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बेतिया के राजकीय बुनियादी विद्यालय में 2 शिक्षकों के भरोसे सैकड़ों छात्र.. गरज में स्टूडेंट बने 'गुरुजी'

बेतिया के राजकीय बुनियादी विद्यालय (Buniyadi Vidyalaya Pandey Tola) में टीचर की कमी के कारण कई पीरियड में बच्चे खुद ही दूसरे बच्चों को पढ़ाते हैं. कक्षा खाली रहती है, तो बच्चे टीचर बन जाते हैं और अपने से कमजोर छात्र-छात्राओं को पढ़ाते हैं. ये स्कूल 1 से लेकर 8 वीं तक दो ही टीचर पर चल रहा है. पढ़ें पूरी खबर...

नौनिहालों के भविष्य के साथ खिलवाड़
नौनिहालों के भविष्य के साथ खिलवाड़
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Published : Apr 14, 2022, 2:32 PM IST

बेतियाः चनपटिया प्रखंड के लालगढ़ पंचायत में स्थित बुनियादी विद्यालय पांडे टोला का हाल देखकर आप दंग रह जाएंगे. इस बुनियादी विद्यालय (Teachers Lack In Rajkiye Buniyadi Vidyalaya) में पहली से आठवीं वर्ग तक की पढ़ाई का जिम्मा यहां के मात्र 2 शिक्षकों के कंधे पर है और स्कूल में 175 छात्र हैं. एक ही साथ सभी की पढ़ाई होती है. शिक्षक के अभाव में छात्र ही शिक्षक बनकर बच्चों को पढ़ाते हैं. लेकिन इस स्कूल में शिक्षक की बहाली नहीं हो पा रही है. छात्र और शिक्षक दोनों का कहना है कि टीचर नहीं रहने से पढ़ाई बाधित होती है.

यह भी पढ़ें - 1 शिक्षक.. 230 छात्र.. बिहार की शिक्षा व्यवस्था का हाल देखिए




नौनिहालों के भविष्य से खिलवाड़ः चनपटिया प्रखंड स्थित लालगढ़ पंचायत के बुनियादी विद्यालय पांडे टोला की इस तस्वीर को देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि की इन नौनिहालों को कैसी शिक्षा मिल रही होगी. शिक्षा विभाग इन नौनिहालों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहा है. बिना टीचर के यह पहली क्लास के छात्र कैसे पढ़ते होंगे. तस्वीरों में आप देख सकते हैं कि यह बच्चे खुद पढ़ते भी हैं और दूसरे बच्चे को पढ़ाते भी हैं.

यह भी पढ़ें - फोल्डर मेंटेंन नहीं होने से बिहार के लाखों शिक्षकों की नौकरी पर मंडरा रहा खतरा, विभाग ने नहीं लिया सबक

बच्चे ही बन जाते हैं शिक्षकः पहली कक्षा के छात्र-छात्राएं गिनती, पहाड़ा, ककहरा, एबीसीडी सब कुछ पढ़ाते हैं और पढ़ते भी हैं. कारण यह है कि विद्यालय में शिक्षक नहीं हैं, तो खुद इन छात्रों ने पढ़ाई का जिम्मा अपने कंधों पर उठा लिया. बच्चों से जब इस संबंध में बात की गई तो उन्होंने बताया कि शिक्षक नहीं होने की वजह से वह खुद दूसरे बच्चों को पढ़ाते हैं. लेकिन इस विद्यालय को आज तक दो से ज्यादा शिक्षक नहीं मिले.

यह भी पढ़ें - अजब है शिक्षा का हाल, कभी-कभी खुलता है ये स्कूल, बाकी दिन चरती हैं बकरियां

शिक्षक की कमी से जूझ रहा विद्यालयः वहीं, इस बुनियादी विद्यालय में पढ़ा रहे शिक्षक रत्नेश कुमार ने बताया कि शिक्षकों की कमी की वजह से ऐसा होता है. 6ठी, 7वीं और 8वीं क्लास के छात्र एक ही क्लास रूम में बैठकर पढ़ाई करते हैं. इनकी सभी विषयों की पढ़ाई नहीं हो पा रही है. उन्होंने बताया कि शिक्षक की कमी से विद्यालय जूझ रहा है. सभी को जानकारी है लेकिन अभी इस स्कूल में मात्र दो ही शिक्षक हैं. जो पहली से लेकर आठवीं तक के बच्चों को पढ़ाते हैं.


बच्चों की सरकार से मांगः अब सवाल उठता है कि इसका जवाबदेह कौन है? यह बच्चे सरकार से मांग कर रहे कि विद्यालय में शिक्षकों की बहाली की जाए. ताकि हम बच्चों को सभी विषय की जानकारी मिल सके. शिक्षक भी छात्र की बातों पर सहमति जता रहे हैं. जिस तरह से इस बुनियादी विद्यालय में बच्चों की पढ़ाई हो रही है, क्या इन बच्चों को नई शिक्षा नीति के तहत अच्छी शिक्षा मिल पाएगी.

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बेतियाः चनपटिया प्रखंड के लालगढ़ पंचायत में स्थित बुनियादी विद्यालय पांडे टोला का हाल देखकर आप दंग रह जाएंगे. इस बुनियादी विद्यालय (Teachers Lack In Rajkiye Buniyadi Vidyalaya) में पहली से आठवीं वर्ग तक की पढ़ाई का जिम्मा यहां के मात्र 2 शिक्षकों के कंधे पर है और स्कूल में 175 छात्र हैं. एक ही साथ सभी की पढ़ाई होती है. शिक्षक के अभाव में छात्र ही शिक्षक बनकर बच्चों को पढ़ाते हैं. लेकिन इस स्कूल में शिक्षक की बहाली नहीं हो पा रही है. छात्र और शिक्षक दोनों का कहना है कि टीचर नहीं रहने से पढ़ाई बाधित होती है.

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नौनिहालों के भविष्य से खिलवाड़ः चनपटिया प्रखंड स्थित लालगढ़ पंचायत के बुनियादी विद्यालय पांडे टोला की इस तस्वीर को देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि की इन नौनिहालों को कैसी शिक्षा मिल रही होगी. शिक्षा विभाग इन नौनिहालों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहा है. बिना टीचर के यह पहली क्लास के छात्र कैसे पढ़ते होंगे. तस्वीरों में आप देख सकते हैं कि यह बच्चे खुद पढ़ते भी हैं और दूसरे बच्चे को पढ़ाते भी हैं.

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बच्चे ही बन जाते हैं शिक्षकः पहली कक्षा के छात्र-छात्राएं गिनती, पहाड़ा, ककहरा, एबीसीडी सब कुछ पढ़ाते हैं और पढ़ते भी हैं. कारण यह है कि विद्यालय में शिक्षक नहीं हैं, तो खुद इन छात्रों ने पढ़ाई का जिम्मा अपने कंधों पर उठा लिया. बच्चों से जब इस संबंध में बात की गई तो उन्होंने बताया कि शिक्षक नहीं होने की वजह से वह खुद दूसरे बच्चों को पढ़ाते हैं. लेकिन इस विद्यालय को आज तक दो से ज्यादा शिक्षक नहीं मिले.

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शिक्षक की कमी से जूझ रहा विद्यालयः वहीं, इस बुनियादी विद्यालय में पढ़ा रहे शिक्षक रत्नेश कुमार ने बताया कि शिक्षकों की कमी की वजह से ऐसा होता है. 6ठी, 7वीं और 8वीं क्लास के छात्र एक ही क्लास रूम में बैठकर पढ़ाई करते हैं. इनकी सभी विषयों की पढ़ाई नहीं हो पा रही है. उन्होंने बताया कि शिक्षक की कमी से विद्यालय जूझ रहा है. सभी को जानकारी है लेकिन अभी इस स्कूल में मात्र दो ही शिक्षक हैं. जो पहली से लेकर आठवीं तक के बच्चों को पढ़ाते हैं.


बच्चों की सरकार से मांगः अब सवाल उठता है कि इसका जवाबदेह कौन है? यह बच्चे सरकार से मांग कर रहे कि विद्यालय में शिक्षकों की बहाली की जाए. ताकि हम बच्चों को सभी विषय की जानकारी मिल सके. शिक्षक भी छात्र की बातों पर सहमति जता रहे हैं. जिस तरह से इस बुनियादी विद्यालय में बच्चों की पढ़ाई हो रही है, क्या इन बच्चों को नई शिक्षा नीति के तहत अच्छी शिक्षा मिल पाएगी.

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