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हर रोज लगभग 350 बच्चे रेलवे ट्रैक इसी तरह करते हैं पार, स्कूल जाने के दौरान ट्रेन की रफ्तार से बना रहता है डर - ईटीवी भारत बिहार

Bettiah News: बेतिया में स्कूल जाने के लिए सड़क नहीं है. ऐसे में बच्चे रोज रेलवे ट्रैक पार करके स्कूल जाते हैं. तस्वीरें देख अंदाजा लगाया जा सकता है कि कैसे बड़े हादसे को न्योता दिया जा रहा है.मामले में ईओ ने जल्द से जल्द एक्शन लेने की बात कही है.

बेतिया में रेलवे ट्रैक पार कर स्कूल जाते है बच्चे
बेतिया में रेलवे ट्रैक पार कर स्कूल जाते है बच्चे
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Dec 6, 2023, 1:05 PM IST

खतरे में बच्चों की जान

बेतिया: ईटीवी भारत ने कुछ महीने पहले ही आपको दिखाया था कि कैसे नाव पर सवार होकर बच्चे स्कूल जाने को मजबूर हैं. जान को जोखिम में डालकर बच्चे शिक्षा ग्रहण करने केट लिए विद्यालय जाते हैं. ऐसी ही एक और तस्वीर सामने आई है जिसने सरकार के सभी दावों की पोल खोलकर रख दी है. बच्चे स्कूल जाते हैं तो इसी बात का डर सताता है कि कहीं कोई बड़ा हादसा ना हो जाए.

रेलवे ट्रैक के सिवा कोई और रास्ता नहीं
रेलवे ट्रैक के सिवा कोई और रास्ता नहीं

बेतिया में रेलवे ट्रैक पार कर स्कूल जाते हैं बच्चे: मामला पश्चिमी चंपारण जिले के राजकीयकृत मध्य विद्यालय दिऊलिया नरकटियागंज से जुड़ा है. इस स्कूल के बच्चे जान जोखिम में डालकर रेलवे ट्रैक पर से होते हुए अपने स्कूल जाते हैं. रेलवे ट्रैक के नीचे एक कच्ची सड़क है, जहां गंदगियों का अंबार लगा रहता है और अगर बरसात आ जाए तो रेलवे ट्रैक ही स्कूल जाने का एक साधन है.

कभी भी हो सकता है बड़ा हादसा: नरकटियागंज नगर परिषद दिउलिया वार्ड संख्या 24 में स्थित राजकीयकृत मध्य विद्यालय नगर का एक ऐसा विद्यालय है, जहां पहुंचने के लिए कोई रास्ता ही नहीं है. स्कूल के लगभग 350 बच्चे या तो रेलवे ट्रैक से होकर स्कूल जाते हैं या फिर ट्रेन आने के दौरान गंदगी भरे रास्ते से गुजरते हैं. अगर बरसात हो जाए तो रेलवे ट्रैक के सिवा कोई और रास्ता नहीं है.

राजकीयकृत मध्य विद्यालय दिऊलिया नरकटियागंज
राजकीयकृत मध्य विद्यालय दिऊलिया नरकटियागंज

सड़क पर गंदगी का अंबार: नरकटियागंज नगर परिषद में स्थित नगर का यह स्कूल अपने आप में अजबू है. स्कूल के उत्तर दिशा में रेलवे की भूमि है, जिससे बच्चे और शिक्षक बरसात के बाद रास्ता बनने पर आते जाते हैं या फिर रेल ट्रैक से होकर बच्चों और शिक्षकों को स्कूल में आने की मजबूरी है. स्कूल के बच्चों का कहना है कि रेलवे ट्रैक ही आने का एक रास्ता है.

"रेलवे ट्रैक के नीचे एक कच्ची सड़क है जो रेलवे की भूमि में आता है लेकिन वह गंदगियों से भरा रहता है. जिस कारण उधर से आने में परेशानी होती है और अगर बरसात का मौसम आ जाए तो रेलवे ट्रैक ही स्कूल पहुंचने का एक रास्ता है."- छात्र

बेतिया में रेलवे ट्रैक पार कर स्कूल जाते हैं बच्चे
बेतिया में रेलवे ट्रैक पार कर स्कूल जाते हैं बच्चे

"रेलवे ट्रैक के सिवा दूसरा कोई रास्ता स्कूल पहुंचने के लिए नहीं है. डर तो लगता है लेकिन दूसरा कोई ऑप्शन नहीं है."- छात्रा

रास्ता बनवाने की मांग: स्कूल के शिक्षक ने बताया कि वह अपने निजी सवारी से स्कूल तक पहुंच जाते हैं. वहीं देउलिया वार्ड संख्या 24 के वार्ड पार्षद अजय कुमार पासवान ने बताया कि उन्होंने कई बार लिखित आवेदन नरकटियागंज नगर परिषद में दिया है. स्कूल जाने के लिए रास्ता बनवाने की मांग की गई है.

"बरसात के समय परेशानी होती है. रेलवे ट्रैक से ही मुझे भी स्कूल आना पड़ता है. बच्चों को भी समझाया जाता है कि आप रेलवे ट्रैक से नहीं आए. उसके बावजूद भी बच्चे रेलवे ट्रैक से ही आते हैं. मजबूरी है क्योंकि कोई रास्ता नहीं है लेकिन बच्चों को हमेशा सावधान रहने की बात कही जाती है."- अविनाश कुमार, शिक्षक

"कच्ची सड़क है वह रेलवे की है. वहां पर गंदगी का अंबार लगा रहता है. जिस कारण बच्चों को रेलवे ट्रैक से होकर जाना पड़ता है. कई लोगों से बात हुई है. इसे प्रस्ताव में लाया गया है. लेकिन अभी तक इसका कोई स्थाई निदान नहीं हो पाया. नगर परिषद के सभापति से भी बात हुई है उन्होंने आश्वासन दिया है कि इसका जल्दी कोई रास्ता निकाला जाएगा."- अजय पासवान, वार्ड पार्षद, वार्ड नंबर 24

"इस स्कूल के रास्ते के लिए संसद से लेकर विधायक तक को आवेदन दिया है, ताकि स्कूल जाने के लिए रास्ता बन सके. गांव के लोग कुछ जमीन छोड़ना भी चाहते हैं ताकि बच्चों को स्कूल जाने में किसी प्रकार की कोई परेशानी नहीं हो. बच्चे रेलवे ट्रैक से होकर स्कूल जाते हैं डर उन्हें भी बना रहता है. छोटे-छोटे बच्चे हैं लेकिन अभी तक इसका कोई निदान नहीं निकला."- राजू जेंटलमैन, स्थानीय निवासी

गेट मैन का बयान: राजकीयकृत मध्य विद्यालय दिउलिया नरकटियागंज रक्सौल रेल खंड के दिउलिया वार्ड 24 में रेलवे फाटक संख्या एलसी 62 के समीप स्थित है. यहां जब भी स्कूल में पहुंचने या छुट्टी के दौरान ट्रेनें आती हैं तो बच्चों में भगदड़ मच जाती है. गेट मैन मणिकांत कुमार ने बताया कि ड्यूटी के दौरान बच्चों को रेल ट्रैक से नहीं आने जाने की हिदायत दी जाती है लेकिन बच्चे नहीं मानते हैं.

"यहां इंटरलॉकिंग गेट है और ट्रेनें तभी गुजर सकती है जब गुमटी बंद हो. ऐसे में यहां ड्यूटी पर तैनात गेट मैन भी स्कूल के टाइम पर सतर्क रहते हैं. बच्चों को समझाया जाता है और जब बच्चे स्कूल से लौटते हैं तो उन पर ध्यान दिया जाता है."- मणिकांत कुमार, गेट मैन, दिउलिया रेल गुमटी

अधिकारी का बयान: नरकटियागंज नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी आमिर सुहैल ने बताया कि मामला संज्ञान में आया है. वहां पर जाकर एक से दो दिन में उसका मुआयना किया जाएगा. ताकि रास्ते का कोई समाधान हो सके. रेलवे की भूमि है.

"ऐसे में अगर स्कूल बना है तो वहां जाने का कोई ना कोई रास्ता होगा. जिसका नगर परिषद जांच करेगी और रास्ते का कोई ना कोई निदान निकाला जाएगा. ताकि बच्चों को रेलवे ट्रैक से होकर स्कूल नहीं जाना पड़े. जल्द से जल्द इसका समाधान कर दिया जाएगा."-आमिर सुहैल, ईओ, नरकटियागंज नगर परिषद

बता दें कि पूरे शहर में इस बात की चर्चा होती है कि ये एक ऐसा विद्यालय है कि जहां प्रतिदिन बच्चों को रेल ट्रेक से नहीं आने जाने की सीख दी जाती है. फिर भी बच्चे रेल ट्रैक से ही घर और स्कूल आते जाते हैं. ऐसे में जिला प्रशासन को ध्यान देने की जरूरत है कि जिस तरह से बच्चे रेलवे ट्रैक पार करके स्कूल जाते हैं कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है.

पढ़ें- Bihar Boat Capsized: नाव हादसे का LIVE वीडियो आया सामने, 7 बच्चे अभी भी लापता..

खतरे में बच्चों की जान

बेतिया: ईटीवी भारत ने कुछ महीने पहले ही आपको दिखाया था कि कैसे नाव पर सवार होकर बच्चे स्कूल जाने को मजबूर हैं. जान को जोखिम में डालकर बच्चे शिक्षा ग्रहण करने केट लिए विद्यालय जाते हैं. ऐसी ही एक और तस्वीर सामने आई है जिसने सरकार के सभी दावों की पोल खोलकर रख दी है. बच्चे स्कूल जाते हैं तो इसी बात का डर सताता है कि कहीं कोई बड़ा हादसा ना हो जाए.

रेलवे ट्रैक के सिवा कोई और रास्ता नहीं
रेलवे ट्रैक के सिवा कोई और रास्ता नहीं

बेतिया में रेलवे ट्रैक पार कर स्कूल जाते हैं बच्चे: मामला पश्चिमी चंपारण जिले के राजकीयकृत मध्य विद्यालय दिऊलिया नरकटियागंज से जुड़ा है. इस स्कूल के बच्चे जान जोखिम में डालकर रेलवे ट्रैक पर से होते हुए अपने स्कूल जाते हैं. रेलवे ट्रैक के नीचे एक कच्ची सड़क है, जहां गंदगियों का अंबार लगा रहता है और अगर बरसात आ जाए तो रेलवे ट्रैक ही स्कूल जाने का एक साधन है.

कभी भी हो सकता है बड़ा हादसा: नरकटियागंज नगर परिषद दिउलिया वार्ड संख्या 24 में स्थित राजकीयकृत मध्य विद्यालय नगर का एक ऐसा विद्यालय है, जहां पहुंचने के लिए कोई रास्ता ही नहीं है. स्कूल के लगभग 350 बच्चे या तो रेलवे ट्रैक से होकर स्कूल जाते हैं या फिर ट्रेन आने के दौरान गंदगी भरे रास्ते से गुजरते हैं. अगर बरसात हो जाए तो रेलवे ट्रैक के सिवा कोई और रास्ता नहीं है.

राजकीयकृत मध्य विद्यालय दिऊलिया नरकटियागंज
राजकीयकृत मध्य विद्यालय दिऊलिया नरकटियागंज

सड़क पर गंदगी का अंबार: नरकटियागंज नगर परिषद में स्थित नगर का यह स्कूल अपने आप में अजबू है. स्कूल के उत्तर दिशा में रेलवे की भूमि है, जिससे बच्चे और शिक्षक बरसात के बाद रास्ता बनने पर आते जाते हैं या फिर रेल ट्रैक से होकर बच्चों और शिक्षकों को स्कूल में आने की मजबूरी है. स्कूल के बच्चों का कहना है कि रेलवे ट्रैक ही आने का एक रास्ता है.

"रेलवे ट्रैक के नीचे एक कच्ची सड़क है जो रेलवे की भूमि में आता है लेकिन वह गंदगियों से भरा रहता है. जिस कारण उधर से आने में परेशानी होती है और अगर बरसात का मौसम आ जाए तो रेलवे ट्रैक ही स्कूल पहुंचने का एक रास्ता है."- छात्र

बेतिया में रेलवे ट्रैक पार कर स्कूल जाते हैं बच्चे
बेतिया में रेलवे ट्रैक पार कर स्कूल जाते हैं बच्चे

"रेलवे ट्रैक के सिवा दूसरा कोई रास्ता स्कूल पहुंचने के लिए नहीं है. डर तो लगता है लेकिन दूसरा कोई ऑप्शन नहीं है."- छात्रा

रास्ता बनवाने की मांग: स्कूल के शिक्षक ने बताया कि वह अपने निजी सवारी से स्कूल तक पहुंच जाते हैं. वहीं देउलिया वार्ड संख्या 24 के वार्ड पार्षद अजय कुमार पासवान ने बताया कि उन्होंने कई बार लिखित आवेदन नरकटियागंज नगर परिषद में दिया है. स्कूल जाने के लिए रास्ता बनवाने की मांग की गई है.

"बरसात के समय परेशानी होती है. रेलवे ट्रैक से ही मुझे भी स्कूल आना पड़ता है. बच्चों को भी समझाया जाता है कि आप रेलवे ट्रैक से नहीं आए. उसके बावजूद भी बच्चे रेलवे ट्रैक से ही आते हैं. मजबूरी है क्योंकि कोई रास्ता नहीं है लेकिन बच्चों को हमेशा सावधान रहने की बात कही जाती है."- अविनाश कुमार, शिक्षक

"कच्ची सड़क है वह रेलवे की है. वहां पर गंदगी का अंबार लगा रहता है. जिस कारण बच्चों को रेलवे ट्रैक से होकर जाना पड़ता है. कई लोगों से बात हुई है. इसे प्रस्ताव में लाया गया है. लेकिन अभी तक इसका कोई स्थाई निदान नहीं हो पाया. नगर परिषद के सभापति से भी बात हुई है उन्होंने आश्वासन दिया है कि इसका जल्दी कोई रास्ता निकाला जाएगा."- अजय पासवान, वार्ड पार्षद, वार्ड नंबर 24

"इस स्कूल के रास्ते के लिए संसद से लेकर विधायक तक को आवेदन दिया है, ताकि स्कूल जाने के लिए रास्ता बन सके. गांव के लोग कुछ जमीन छोड़ना भी चाहते हैं ताकि बच्चों को स्कूल जाने में किसी प्रकार की कोई परेशानी नहीं हो. बच्चे रेलवे ट्रैक से होकर स्कूल जाते हैं डर उन्हें भी बना रहता है. छोटे-छोटे बच्चे हैं लेकिन अभी तक इसका कोई निदान नहीं निकला."- राजू जेंटलमैन, स्थानीय निवासी

गेट मैन का बयान: राजकीयकृत मध्य विद्यालय दिउलिया नरकटियागंज रक्सौल रेल खंड के दिउलिया वार्ड 24 में रेलवे फाटक संख्या एलसी 62 के समीप स्थित है. यहां जब भी स्कूल में पहुंचने या छुट्टी के दौरान ट्रेनें आती हैं तो बच्चों में भगदड़ मच जाती है. गेट मैन मणिकांत कुमार ने बताया कि ड्यूटी के दौरान बच्चों को रेल ट्रैक से नहीं आने जाने की हिदायत दी जाती है लेकिन बच्चे नहीं मानते हैं.

"यहां इंटरलॉकिंग गेट है और ट्रेनें तभी गुजर सकती है जब गुमटी बंद हो. ऐसे में यहां ड्यूटी पर तैनात गेट मैन भी स्कूल के टाइम पर सतर्क रहते हैं. बच्चों को समझाया जाता है और जब बच्चे स्कूल से लौटते हैं तो उन पर ध्यान दिया जाता है."- मणिकांत कुमार, गेट मैन, दिउलिया रेल गुमटी

अधिकारी का बयान: नरकटियागंज नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी आमिर सुहैल ने बताया कि मामला संज्ञान में आया है. वहां पर जाकर एक से दो दिन में उसका मुआयना किया जाएगा. ताकि रास्ते का कोई समाधान हो सके. रेलवे की भूमि है.

"ऐसे में अगर स्कूल बना है तो वहां जाने का कोई ना कोई रास्ता होगा. जिसका नगर परिषद जांच करेगी और रास्ते का कोई ना कोई निदान निकाला जाएगा. ताकि बच्चों को रेलवे ट्रैक से होकर स्कूल नहीं जाना पड़े. जल्द से जल्द इसका समाधान कर दिया जाएगा."-आमिर सुहैल, ईओ, नरकटियागंज नगर परिषद

बता दें कि पूरे शहर में इस बात की चर्चा होती है कि ये एक ऐसा विद्यालय है कि जहां प्रतिदिन बच्चों को रेल ट्रेक से नहीं आने जाने की सीख दी जाती है. फिर भी बच्चे रेल ट्रैक से ही घर और स्कूल आते जाते हैं. ऐसे में जिला प्रशासन को ध्यान देने की जरूरत है कि जिस तरह से बच्चे रेलवे ट्रैक पार करके स्कूल जाते हैं कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है.

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