ETV Bharat / state

बेतिया: महापुरुषों की प्रतिमाओं को है तारणहार का इंतजार, केवल जयंती के दिन किए जाते हैं याद - प्रतिमाओं की साफ-सफाई

शहर के समाहरणालय गेट के पास संविधान की याद दिलाते बाबा साहब भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा धूल से सराबोर हो चुकी है. लेकिन ताथाकथित देशप्रेमियों को इन महापुरूषों की प्रतिमाओं से कोई लेना-देना नहीं है.

महापुरूषों की प्रतिमाओं को तारणहार का इंतजार
महापुरूषों की प्रतिमाओं को तारणहार का इंतजार
author img

By

Published : Jan 17, 2020, 7:17 PM IST

बेतिया: इन दिनों देश में सीएए और एनआरसी को लेकर राष्ट्रवाद बनाम देशद्रोह का मुद्दा छाया हुआ है. शहर के विभिन्न चौक-चौराहों पर लगभग प्रतिदिन आंदोलन हो रहा है. लेकिन महापुरुषों की प्रतिमाओं पर जमी हुई धूल की परतें जिले के नेताओं की बेपरवाही और झूठी कसमों का कड़वा सच बयां कर रही है.

'टूट चुकी है चंद्रशेखर आजाद के पिस्तौल की नली'
शहर में स्थापित आजादी के नायकों की प्रतिमाओं के हाल के बारे में बात करते हुए समाजसेवी विनोद कुमार बताते हैं कि समाहरणालय गेट के पास जहां बाबा साहब भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा धूल से सराबोर हो चुकी है. वहीं, नेपाली पथ पर लगे गीतों के राजकुमार गोपाल सिंह नेपाली की प्रतिमा का रंग सफेद से लाल हो गई है. अंग्रेजी हुकूमत के नाक में दम करने वाले चंद्रशेखर आजाद की पिस्तौल की नली टूट चुकी है और उनकी प्रतिमा पर धूल की मोटी परत जमी हुई है. उन्होंने बताया कि शहीद स्मारक में लगे जिले के सात शहीदों की प्रतिमा हो या फिर तीन लालटेन चौक पर लगे भगत सिंह की प्रतिमा सभी को जयंती और 15 अगस्त और 26 जनवरी जैसे दिनों का इंतजार रहता है.

टूटी हुई शहीद स्मारक प्रतिमा
टूटी हुई शहीद स्मारक प्रतिमा

'केवल जयंती के दिनों याद किए जाते हैं महापुरुष'
इस बात को लेकर स्थानीय निवासी रामेश्वर राम बताते हैं कि देश में महापुरुषों को केवल उनकी जयंती और पुण्यतिथि पर याद किया जाता है. जयंती के दिन उनकी प्रतिमाओं की साफ-सफाई कर फूलों की माला पहनाई जाती है. उन्होंने बताया कि शहर के समाहरणालय गेट के पास संविधान की याद दिलाते बाबा साहब भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा धूल से सराबोर हो चुकी है. लेकिन ताथाकथित देशप्रेमियों को इन महापुरूषों की प्रतिमाओं से कोई लेना-देना नहीं हैं. समाजसेवी विनोद कुमार बताते हैं कि प्रशासनिक उपेक्षा और जनप्रतिनिधियों की उदासीनता के कारण स्थानीय लोगों में धीरे-धीरे आक्रोश बढ़ रहा है.

ईटीवी भारत की खास रिपोर्ट

जल्द शुरू होगी साफ-सफाई- कार्यपालक अधिकारी
इस मामले पर जब ईटीवी भारत संवाददात ने नप के कार्यपालक अधिकारी विजय कुमार उपाध्याय से बात की तो उन्होंने कहा कि मामला मेरे संज्ञान में आया है. जल्द ही शहर के सभी प्रतिमाओं की साफ-सफाई शुरू की जाएगी.

बेतिया: इन दिनों देश में सीएए और एनआरसी को लेकर राष्ट्रवाद बनाम देशद्रोह का मुद्दा छाया हुआ है. शहर के विभिन्न चौक-चौराहों पर लगभग प्रतिदिन आंदोलन हो रहा है. लेकिन महापुरुषों की प्रतिमाओं पर जमी हुई धूल की परतें जिले के नेताओं की बेपरवाही और झूठी कसमों का कड़वा सच बयां कर रही है.

'टूट चुकी है चंद्रशेखर आजाद के पिस्तौल की नली'
शहर में स्थापित आजादी के नायकों की प्रतिमाओं के हाल के बारे में बात करते हुए समाजसेवी विनोद कुमार बताते हैं कि समाहरणालय गेट के पास जहां बाबा साहब भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा धूल से सराबोर हो चुकी है. वहीं, नेपाली पथ पर लगे गीतों के राजकुमार गोपाल सिंह नेपाली की प्रतिमा का रंग सफेद से लाल हो गई है. अंग्रेजी हुकूमत के नाक में दम करने वाले चंद्रशेखर आजाद की पिस्तौल की नली टूट चुकी है और उनकी प्रतिमा पर धूल की मोटी परत जमी हुई है. उन्होंने बताया कि शहीद स्मारक में लगे जिले के सात शहीदों की प्रतिमा हो या फिर तीन लालटेन चौक पर लगे भगत सिंह की प्रतिमा सभी को जयंती और 15 अगस्त और 26 जनवरी जैसे दिनों का इंतजार रहता है.

टूटी हुई शहीद स्मारक प्रतिमा
टूटी हुई शहीद स्मारक प्रतिमा

'केवल जयंती के दिनों याद किए जाते हैं महापुरुष'
इस बात को लेकर स्थानीय निवासी रामेश्वर राम बताते हैं कि देश में महापुरुषों को केवल उनकी जयंती और पुण्यतिथि पर याद किया जाता है. जयंती के दिन उनकी प्रतिमाओं की साफ-सफाई कर फूलों की माला पहनाई जाती है. उन्होंने बताया कि शहर के समाहरणालय गेट के पास संविधान की याद दिलाते बाबा साहब भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा धूल से सराबोर हो चुकी है. लेकिन ताथाकथित देशप्रेमियों को इन महापुरूषों की प्रतिमाओं से कोई लेना-देना नहीं हैं. समाजसेवी विनोद कुमार बताते हैं कि प्रशासनिक उपेक्षा और जनप्रतिनिधियों की उदासीनता के कारण स्थानीय लोगों में धीरे-धीरे आक्रोश बढ़ रहा है.

ईटीवी भारत की खास रिपोर्ट

जल्द शुरू होगी साफ-सफाई- कार्यपालक अधिकारी
इस मामले पर जब ईटीवी भारत संवाददात ने नप के कार्यपालक अधिकारी विजय कुमार उपाध्याय से बात की तो उन्होंने कहा कि मामला मेरे संज्ञान में आया है. जल्द ही शहर के सभी प्रतिमाओं की साफ-सफाई शुरू की जाएगी.

Intro:एंकर: शहीदों की मजार पर लगेंगे हर वर्ष मेले, वतन पर मरने वालों का यही बाकी निशा होगा। बेतिया में देश को आजादी दिलाने वाले महापुरुषों व देश के शहीदों का हाल कुछ ऐसा ही हो गया है, प्रशासनिक उपेक्षा व नेताओं की उदासीनता के कारण यहां महापुरुषों की प्रतिमा धूल फांकने को मजबूर है, आलम यह है कि शहर में लगाए गए सभी महापुरुषों की प्रतिमा या तो क्षतिग्रस्त हो गई है और या फिर उनकी प्रतिमा का रंग ही बदल गया है,अहिंसा के पुजारी गांधीजी हो या फिर भगत सिंह सबके साथ एक सा ही व्यवहार किया जा रहा है, सभी की प्रतिमाएं धूल फांक रही है।


Body: देश में महापुरुषों को उनकी जयंती व पुण्यतिथि पर धूमधाम से याद किया जाता है, उनके प्रतिमाओं की साफ-सफाई कर फूल माला पहनाया जाता है लेकिन उसके बाद उनका हाल क्या होता है यह हम आपको दिखाते हैं, समाहरणालय के गेट पर खड़े संविधान की याद दिलाते बाबा साहब भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा को देखिए जो धूल से सराबोर हो चुका है, ऐसा ही कुछ हाल शहर के नेपाली पथ पर लगे गीतों के राजकुमार गोपाल सिंह नेपाली का भी है, जिनकी प्रतिमा धूल के कारण सफेद से लाल हो गई है, तो अंग्रेजी हुकूमत के नाक में दम करने वाले चंद्रशेखर आजाद के पिस्तौल की नली टूट चुकी है और उनके प्रतिमा पर भी धूल की मोटी चादर चढ़ चुकी है, शहीद स्मारक में लगे हुए जिले के सात शहीदों की प्रतिमा हो या फिर तीन लालटेन चौक पर लगे भगत सिंह की सभी महापुरुषों की प्रतिमा को उस दिन का इंतजार है जिस दिन यहां प्रशासनिक पदाधिकारी से लेकर नेता पहुंचेंगे और इनकी साफ सफाई होगी।

बाइट- रामेश्वर राम, स्थानीय निवासी

प्रशासनिक उपेक्षा व नेताओं की उदासीनता के कारण स्थानीय लोगों में भी आक्रोश है, स्थानीय लोगों की मानें तो जिन महापुरुषों ने देश के लिए अपने प्राण का बलिदान दिया उनकी ऐसी हालत उनके अपने ही देश में होगी ऐसा किसी ने सोचा नहीं होगा, हद तो यह है की शहर के जिन रास्तों से प्रशासनिक पदाधिकारी व नेताओं का काफिला गुजरता है उन रास्तों में पड़ने वाले महापुरुषों की प्रतिमा की दुर्दशा इन्हें कभी नहीं दिखती।

बाइट- विनोद कुमार, बुद्धिजीवी

नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी विजय कुमार उपाध्याय के बयान को सुनकर आप सहज ही अंदाजा लगा सकते हैं कि अगर ईटीवी भारत इस मामले को सामने नहीं लाया होता तो शायद उनकी नजर कभी इन प्रतिमाओं पर पड़ती ही नहीं।

बाइट- विजय कुमार उपाध्याय, ईओ, नगर परिषद


Conclusion:बहरहाल आज देश में भले ही राष्ट्रवाद के नाम पर राजनीति हो रही है लेकिन राष्ट्रवाद का नारा लगाने वाले नेता और राष्ट्रवाद की मुखालफत करने वाले नेताओं के लिए राष्ट्र के महापुरुष सिर्फ वोट का जरिया बनकर रह गए हैं, ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि नेता सिर्फ अपने फायदे के लिए इन महापुरुषों का इस्तेमाल करना जानते हैं, इनका सम्मान करना नहीं ।

जितेंद्र कुमार गुप्ता
ईटीवी भारत बेतिया
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.