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मौसम की मार लीची की फसल पर भारी, उत्पादन में 40 प्रतिशत तक की कमी के अनुमान

लीची के मायके के रुप में चर्चित पूर्वी चंपारण जिले में लीची के उत्पादन पर मौसम की मार पड़ी है. जिले में इस साल 40 प्रतिशत कम लीची का उत्पादन होने की आशंका है. ग्लोबल वर्मिंग की मार जिले में अब फलों के उत्पादन पर पड़ने लगा है.

लीची
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Published : Jun 1, 2019, 4:13 AM IST

मोतिहारी: पूर्वी चंपारण जिले में सोलह हजार एकड़ में लीची के बाग है. जिले में प्रमुख रुप से मेहसी, चकिया, पिपरा, तुरकौलिया, मधुबन, तेतरिया और मोतिहारी के पूर्वी भाग में लीची की खेती की जाती है. इस बार मौसम की बेरुखी से लीची के दाने छोटे हो रहे हैं. पिछले महीने बारिश नहीं होने के कारण लीची के दाने सूख रहे हैं. और फल फट रहे हैं.

तापमान अधिक होने से लीची पर असर
इसके अलावा बारिश नहीं होने के कारण तापमान चालीस डिग्री से ज्यादा है. जिसका असर लीची के फ्रूटिंग पर भी पड़ा है. इस वजह से फल खराब हो रहे हैं. विभागीय अधिकारियों की मानें तो इस बार बारिश नहीं होने के कारण जिले में चालीस प्रतिशत कम लीची का उत्पादन होगा.

ईटीवी भारत संवाददाता की रिपोर्ट

तापमान संतुलित रखने के बताए जाते हैं उपाय
जिला उद्यान पदाधिकारी ने बताया कि लीची के फ्लावरिंग के लिए बीस डिग्री तापमान चाहिए तथा फ्रूटिंग के लिए ज्यादा से ज्यादा 39 डिग्री तक तापमान की आवश्यकता है. उससे ज्यादा होने पर लीची के फल के उत्पादन पर पड़ता है. अधिकारी ने बताया कि कृषि विभाग द्वारा लीची किसानों को लीची बाग के तापमान को संतुलित रखने के लिए उपाय भी बताये जाते हैं.

इस बार लीची की खेती में काफी नुकसान
हालांकि इस बार तमाम कोशिशों के बाद इस बार लीची के किसानों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. मौसम की बेरूखी के चलते अनुमान है कि लीची की खेती में किसानों को घाटा लग सकता है. पूरे प्रदेश में इस बार प्रतिकूल मौसम के चलते लीची की खेती में काफी नुकसान हुआ है.

मोतिहारी: पूर्वी चंपारण जिले में सोलह हजार एकड़ में लीची के बाग है. जिले में प्रमुख रुप से मेहसी, चकिया, पिपरा, तुरकौलिया, मधुबन, तेतरिया और मोतिहारी के पूर्वी भाग में लीची की खेती की जाती है. इस बार मौसम की बेरुखी से लीची के दाने छोटे हो रहे हैं. पिछले महीने बारिश नहीं होने के कारण लीची के दाने सूख रहे हैं. और फल फट रहे हैं.

तापमान अधिक होने से लीची पर असर
इसके अलावा बारिश नहीं होने के कारण तापमान चालीस डिग्री से ज्यादा है. जिसका असर लीची के फ्रूटिंग पर भी पड़ा है. इस वजह से फल खराब हो रहे हैं. विभागीय अधिकारियों की मानें तो इस बार बारिश नहीं होने के कारण जिले में चालीस प्रतिशत कम लीची का उत्पादन होगा.

ईटीवी भारत संवाददाता की रिपोर्ट

तापमान संतुलित रखने के बताए जाते हैं उपाय
जिला उद्यान पदाधिकारी ने बताया कि लीची के फ्लावरिंग के लिए बीस डिग्री तापमान चाहिए तथा फ्रूटिंग के लिए ज्यादा से ज्यादा 39 डिग्री तक तापमान की आवश्यकता है. उससे ज्यादा होने पर लीची के फल के उत्पादन पर पड़ता है. अधिकारी ने बताया कि कृषि विभाग द्वारा लीची किसानों को लीची बाग के तापमान को संतुलित रखने के लिए उपाय भी बताये जाते हैं.

इस बार लीची की खेती में काफी नुकसान
हालांकि इस बार तमाम कोशिशों के बाद इस बार लीची के किसानों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. मौसम की बेरूखी के चलते अनुमान है कि लीची की खेती में किसानों को घाटा लग सकता है. पूरे प्रदेश में इस बार प्रतिकूल मौसम के चलते लीची की खेती में काफी नुकसान हुआ है.

Intro:मोतिहारी।लीची के मायके के रुप में चर्चित पूर्वी चंपारण जिले में लीची के उत्पादन पर मौसम की मार पड़ी है।जिले में इस साल 40 प्रतिशत कम लीची का उत्पादन होने की आशंका है।ग्लोबल वर्मिंग की मार जिले में अब फलों की उत्पादन पर पड़ने लगा है।


Body:गौरतलब है कि पूर्वी चंपारण जिलें में सोलह हजार एकड़ में लीची के बाग हैं।जिले में प्रमुख रुप से मेहसी,चकिया,पिपरा, तुरकौलिया,मधुबन,तेतरिया और मोतिहारी के पूर्वी भाग में लीची के बाग है।मौसम की बेरुखी से लीची के दाने छोटे तो हो हीं रहे है।पिछले महीने बारिश नही होने के कारण लीची के दाने सूख रहे हैं और फल फट रहे हैं।साथ हीं बारिश नहीं होने के कारण तापमान चालीस डिग्री से ज्यादा है।जिसका असर लीची के फ्रूटिंग पर भी पड़ा है और फल खराब हो रहे हैं।


Conclusion:विभागीय अधिकारियों की माने तो इस बार बारिश नहीं होने के कारण जिले में चालीस प्रतिशत कम लीची का उत्पादन होगा।जिला उद्यान पदाधिकारी ने बताया कि लीची के फ्लावरिंग के लिए बीस डिग्री तापमान चाहिए तथा फ्रूटिंग के लिए ज्यादा से ज्यादा 39 डिग्री की तापमान की आवश्यकता है।उससे ज्यादा होने पर लीची के फल के उत्पादन पर पड़ता है।अधिकारी ने बताया कि लीची किसानों को लीची बाग के तापमान को संतुलित रखने के लिए उपाय बताये जाते है।
बाइट.....डॉ. श्रीकांत......सहायक निदेशक,उद्यान,पूर्वी चंपारण
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