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रामनवमी: जय माता दी के नारों से गूंज उठा मंदिर परिसर, भक्त बोले- हर मनोकामना होती है पूरी

बेतिया के मदनपुर में स्थित देवी का मंदिर में श्रद्धालुओं के लिए एक आस्था रामनवमी देवी मंदिर वाल्मीकि टाइगर रिज़र्व बगहा मदनपुका केंद्र है. रामनवमी के दिन हजारों श्रद्धालुओं ने दर्शन किए.

बेतिया
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Published : Apr 13, 2019, 8:09 PM IST

बेतिया: रामनवमी के अवसर पर पूरे प्रदेश में धूम रहा. जिले के मदनपुर में स्थित देवी मंदिर में श्रद्धालुओं के लिए एक आस्था का केंद्र है. रामनवमी के दिन हजारों श्रद्धालुओं ने दर्शन किए. इस शक्तिपीठ से पौराणिक मान्यताएं भी जुड़ा हुआ है. इसको लेकर प्रशासन ने भी कड़े इंतजाम किया था.

शहर के बगहा से 10 किमी दूर वाल्मीकि टाइगर रिज़र्व क्षेत्र में मदनपुर का यह शक्तिपीठ मंदिर अवस्थित है. यह मंदिर पूरे क्षेत्र में प्रसिद्ध है. इस शक्तिपीठ धाम पर पूरे उत्तर भारत सहित नेपाल से भी श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं. श्रद्धालुओं का ऐसा मानना है कि यहां मांगी सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है. चैत्र रामनवमी के मौके पर भक्तों की काफी भीड़ जुटती है.

इस शक्तिपीठ से पौराणिक कथा भी जुड़ा हुआ है. कहा जाता है कि इस क्षेत्र के राजा मदन सिंह थे. मदन सिंह ने एक बार भक्त रहसु से देवी दर्शन की जिद कर दिये. भक्त रहसु के मना करने पर भी राजा मदन सिंह नहीं माने. इसके बाद देवी दर्शन तो दिये. लेकिन राजा के सभी परिवार वाले की मृत्यु हो गई.

श्रद्धालु जानकारी देते हुए

यह मंदिर पूरे क्षेत्र में है प्रसिद्ध

मदनपुर देवी स्थान भक्तों के लिए आराधना का केंद्र बिंदु माना जाता है. भक्त बिना भय के टाइगर रिज़र्व क्षेत्र के जंगल में यहां दर्शन करने आते हैं. शारदीय नवरात्र और चैत्र नवरात्र के समय हजारों की संख्या में दूर दराज से भक्त आते हैं. प्रदेश में इस देवी स्थान को एक सिद्धपीठ स्थान माना जाता है.

बेतिया: रामनवमी के अवसर पर पूरे प्रदेश में धूम रहा. जिले के मदनपुर में स्थित देवी मंदिर में श्रद्धालुओं के लिए एक आस्था का केंद्र है. रामनवमी के दिन हजारों श्रद्धालुओं ने दर्शन किए. इस शक्तिपीठ से पौराणिक मान्यताएं भी जुड़ा हुआ है. इसको लेकर प्रशासन ने भी कड़े इंतजाम किया था.

शहर के बगहा से 10 किमी दूर वाल्मीकि टाइगर रिज़र्व क्षेत्र में मदनपुर का यह शक्तिपीठ मंदिर अवस्थित है. यह मंदिर पूरे क्षेत्र में प्रसिद्ध है. इस शक्तिपीठ धाम पर पूरे उत्तर भारत सहित नेपाल से भी श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं. श्रद्धालुओं का ऐसा मानना है कि यहां मांगी सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है. चैत्र रामनवमी के मौके पर भक्तों की काफी भीड़ जुटती है.

इस शक्तिपीठ से पौराणिक कथा भी जुड़ा हुआ है. कहा जाता है कि इस क्षेत्र के राजा मदन सिंह थे. मदन सिंह ने एक बार भक्त रहसु से देवी दर्शन की जिद कर दिये. भक्त रहसु के मना करने पर भी राजा मदन सिंह नहीं माने. इसके बाद देवी दर्शन तो दिये. लेकिन राजा के सभी परिवार वाले की मृत्यु हो गई.

श्रद्धालु जानकारी देते हुए

यह मंदिर पूरे क्षेत्र में है प्रसिद्ध

मदनपुर देवी स्थान भक्तों के लिए आराधना का केंद्र बिंदु माना जाता है. भक्त बिना भय के टाइगर रिज़र्व क्षेत्र के जंगल में यहां दर्शन करने आते हैं. शारदीय नवरात्र और चैत्र नवरात्र के समय हजारों की संख्या में दूर दराज से भक्त आते हैं. प्रदेश में इस देवी स्थान को एक सिद्धपीठ स्थान माना जाता है.

Intro:रामनवमी के मौके पर मदनपुर देवी स्थान पर लाखों की तादाद में भक्तों की भीड़ देखने को मिली। इस देवी स्थान को सिद्धपीठ माना जाता है। यही वजह है कि यहाँ भक्त दशकों से मन्नतें मांगने आते है और माता उनकी मन्नतों को पूरा करती हैं। मनोकामना पूरी होने के बाद यहाँ बलि की भी प्रथा सदियों से चली आ रही।



Body:लाखों की संख्या में मन्नते मांगने आते हैं श्रद्धालू।
बगहा शहर से महज 10 किमी दूर बिहार को उत्तरप्रदेश से जोड़ने वाले एन एच 28 बी से ठीक सटे वाल्मीकि टाइगर रिज़र्व के जंगल के बीचो बीच अवस्थित माँ मदनपुर का स्थान भक्तो के लिए आस्था व श्रद्धा का केंद्र है। यहाँ बिहार , उत्तरप्रदेश व नेपाल के दूर दराज के इलाकों से प्रतिवर्ष लाखों श्रद्धालु अपनी मन्नतें लेकर आते हैं और ऐसा माना जाता है कि उनकी मनोकामनाएं माँ शीघ्र पूरी करती हैं। चाहे शारदीय नवरात्र हो या चैत्र रामनवमी लोग यहाँ दशकों से लगातार माँ का दर्शन करने आते हैं।
मन्नतें पूरी होने के बाद बलि की भी है प्रथा।
सैकड़ो वर्ष से यहाँ लोग मन्नतें मांगने तो आते ही हैं, देवी माँ के प्रति इनका विश्वास इतना ज्यादा है कि अपनी मनोकामना पूरी होने के बाद यहाँ बकरे की बलि चढ़ाने की भी परम्परा है। सप्तमी तिथि से यहाँ भारी तादाद में भक्तों के आने का सिलसिला शुरू हो जाता है। लेकिन नवमी और दशमी तिथि से बलि देने की प्रक्रिया शुरू हो जाती है।
माँ के दरबार में बाघ और शेर भी आते हैं दर्शन करने।
वाल्मीकि टाइगर रिज़र्व के घने जंगलों के मध्य अवस्थित इस शक्ति पीठ के बारे में अनेक किस्से कहानियां जुड़ी हुई हैं। इस स्थान का नाम मदन सिंह के नाम पर पड़ा है। ऐसा माना जाता है कि प्राचीन समय में जब यहाँ रहसु गुरु रहते थे तभी बडगांव स्टेट के मदन सिंह ने उनसे देवी माँ के दर्शन की जिद्द कर दी थी। रहसु गुरु के मना करने के बावजूद भी जब मदन सिंह जिद्द पर अड़े रहे तो माता ने दर्शन दिया था जिसके बाद उनके खानदान के सभी लोगों की मृत्यु हो गई थी। ऐसा भी कहा जाता है कि रहसु गुरु के समय जो लोग भी यहाँ दर्शन को आते थे उनके लिए प्रसाद के तौर पर अलकतरा में बाघ से दौरी करा जो अनाज निकलता था उतने में ही सभी भक्तों को प्रसाद मिल जाता था। आज भी रात्रि में माता के इस दरबार मे बाघ रात्रि में आते हैं। और स्थान पर दर्शन देते हैं।






Conclusion:भक्तों में श्रद्धा व विश्वास का प्रतीक ही माना जाएगा कि मदनपुर देवी स्थान तक आने के लिए लोग जंगल के बीच से कई पगडण्डी व मुश्किल रास्तों के सफर तय कर लोग बिना भय के जंगल के बीचों बीच से गुजर कर माँ के दरबार मे हाजिरी लगाते हैं।
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