बगहा: बिहार के बगहा जिले के रमपुरवा पंचायत अंतर्गत राजकीय मध्य विद्यालय में कोरेंटीन किए गए मजदूरों ने एक बेहतर मिशाल पेश की है. इन सभी प्रवासी मजदूरों ने श्रमदान कर इस विद्यालय की सूरत बदलकर रख दी है.
दरअसल, लॉकडाउन में मजदूरों को भूख ने सताया तो नेपाल से बिहार के लिए चल दिए. सभी 52 मजदूर पड़ोसी देश नेपाल से गण्डक नदी के रास्ते यहां पहुंचे, जिन्हें इंडो नेपाल सीमा पर स्थित लक्ष्मीपुर रमपुरवा राजकीय मध्य विद्यालय में क्वारेंटाइन किया गया.
क्वारंटीन सेंटर को बना दिया खास
इस दौरान खाली समय में इन 52 मजदूरों की एक अनूठी पहल से क्वारंटीन सेंटर की तस्वीर बदल गई है. कोरोना महामारी की वजह से स्कूल महीनों से बंद था. क्वारंटीन सेंटर में सभी मजदूर खाली बैठे रहते थे. ऐसे में इन्होंने बदहाल स्कूल की सूरत बदलने की ठानी. इन मजदूरों ने सोशल डिस्टेंस का पालन करते हुए साफ-सफाई और रंग-रोगन, खेल मैदान का सौंदर्यीकरण किया. साथ ही साथ ही फूल-पत्तियों से स्कूल की सूरत बदलकर रख दी.
श्रमदान से किया विद्यालय का कायापलट
इन मजदूरों का कहना है कि सिर्फ खाना खा कर सोने से बेहतर है. मेहनत कर के समाज को सकारात्मक संदेश देना. इसी सोच से प्रभावित हो हमने विद्यालय की दीवार का रंग-रोगन किया और विद्यालय कैम्पस की सफाई कर इसमें सब्जियों, फूलों और फल का पौधरोपण भी किया. इनका कहना है कि ये लोग स्थानीय हैं और विद्यालय में फलदार वृक्ष इसी सोच से लगाये हैं, ताकि भविष्य में हमारी नई पीढ़ी को फल मिल सके और यादगार के तौर पर लोग इसे संजो कर रखें.
मजदूरों की मेहनत ने बदली स्कूल की सूरत
विद्यालय के प्रधानाध्यापक संजय बैठा ने बताया कि मजदूरों ने कहा कि बेवजह बैठने से अच्छा है कुछ काम करना और फिर उन्होंने सामान देने के लिए कहा, जिससे स्कूल की सूरत बदल सकें. इसके बाद हमने मजदूरों को पेंट, कुदाल इत्यादि सामान मुहैया कराया, जिसके बाद मजदूरों की मेहनत के बाद महीनों से बंद पड़ा ये स्कूल बेहद खूबसूरत और हरा-भरा हो गया है.
DM ने की तारीफ
जिलाधिकारी कुंदन कुमार ने भी इन मजदूरों के काम की तारीफ की है. साथ ही अपने सोशल मीडिया वॉल पर इन तस्वीरों को पोस्ट किया है.
दूसरों को भी सबक लेना चाहिए: मुखिया
स्थानीय मुखिया सुमन सिंह ने बताया कि यदि इनके काम से प्रभावित होकर अन्य क्वारंटीन सेंटर में रह रहे मजदूर भी सबक ले तो इसका काफी प्रभाव पड़ेगा. उन्होंने यह भी कहा कि लॉकडाउन और कोरोना संक्रमण के दरम्यान मजदूरों की यह पहल शानदार है जो हमेशा याद रहेगी.