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पश्चिमी चंपारण: सैलानियों के लिये सरकार ने की विशेष व्यवस्था, अब पर्यटक प्रतिदिन ले सकेंगे नृत्य का आनंद - पर्यटकों के लिये विशेष व्यवस्था

अतिथिशाला में ठहरने वाले अतिथियों के लिए सरकार ने वाल्मीकिनगर के तराई क्षेत्रों में बसे थारू जनजाति की संस्कृति से जुड़े लोकनृत्य को दिखाने का सरकार ने प्रबंध किया है.

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अब पर्यटक प्रतिदिन ले सकेंगे नृत्य का आनंद
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Published : Dec 6, 2019, 9:25 AM IST

पश्चिमी चंपारण: वाल्मीकि टाइगर रिजर्व के सैर पर निकलने वाले सैलानियों के मनोरंजन के लिए सरकार ने एक नई पहल शुरू की है. इसके तहत दिन भर पहाड़, जंगल, और अन्य पर्यटन स्थलों का दीदार कर अतिथिशाला में ठहरने वाले पर्यटकों के लिए सरकार ने थारू जनजाति के संस्कृति से जुड़े लोकनृत्य व संगीत देखने की व्यवस्था की है. साथ ही साथ वाल्मीकिनगर के दर्शनीय स्थलों एवं उनकी विशेषताओं से सम्बंधित चलचित्र भी दिखाए जाते हैं.

कम बजट में धार्मिक स्थल, प्राकृतिक सौंदर्य और पहाड़ सहित जंगली जीव जंतुओं का दीदार करने वाले पर्यटकों के लिए वाल्मीकिनगर में बहुत कुछ है. सुबह-सुबह जंगल सफारी की सैर, बोटिंग, कौलेश्वर झूला व वाल्मीकि आश्रम जैसे पौराणिक स्थलों के दर्शन का लुत्फ आप यहां उठा सकते हैं. इन सब के भ्रमण के उपरांत पर्यटकों के मनोरंजन का भी सरकार ने खासा ध्यान रखा है. इसी के तहत पर्यटकों के लिए अब एक नई पहल शुरू की गई है.

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अब पर्यटक प्रतिदिन ले सकेंगे नृत्य का आनंद

पर्यटकों के लिये विशेष व्यवस्था
अतिथिशाला में ठहरने वाले अतिथियों के लिए सरकार ने वाल्मीकिनगर के तराई क्षेत्रों में बसे थारू जनजाति की संस्कृति से जुड़े लोकनृत्य को दिखाने का भी सरकार ने प्रबंध किया है. इतना ही नहीं, सरकार की तरफ से वाल्मीकि विहार गेस्ट हाउस में आधे घंटे मूवी दिखाने की भी व्यवस्था की गई है जिसके तहत वाल्मीकि टाइगर रिज़र्व के सभी दर्शनीय स्थलों व उसके विशेषताओं को दिखाया जाता है.

जानकारी देते वनाधिकारी और पर्यटक

ये भी पढ़ें- हैदराबाद गैंगरेप-मर्डर : एनकाउंटर में चारों आरोपी ढेर

सरकार की पहल की सराहना
बिहार का मिनी कश्मीर कहे जाने वाले वाल्मीकि टाइगर रिजर्व का दीदार करने के लिये यह उपयुक्त मौसम है. यहां प्रतिदिन हजारों सैलानी प्राकृतिक छटा का आनंद लेने पहुंचते हैं. ऐसे में आने वाले पर्यटकों को भी सरकार की यह पहल काफी लुभा रही है और पर्यटक इसकी काफी सराहना भी कर रहे हैं.

पश्चिमी चंपारण: वाल्मीकि टाइगर रिजर्व के सैर पर निकलने वाले सैलानियों के मनोरंजन के लिए सरकार ने एक नई पहल शुरू की है. इसके तहत दिन भर पहाड़, जंगल, और अन्य पर्यटन स्थलों का दीदार कर अतिथिशाला में ठहरने वाले पर्यटकों के लिए सरकार ने थारू जनजाति के संस्कृति से जुड़े लोकनृत्य व संगीत देखने की व्यवस्था की है. साथ ही साथ वाल्मीकिनगर के दर्शनीय स्थलों एवं उनकी विशेषताओं से सम्बंधित चलचित्र भी दिखाए जाते हैं.

कम बजट में धार्मिक स्थल, प्राकृतिक सौंदर्य और पहाड़ सहित जंगली जीव जंतुओं का दीदार करने वाले पर्यटकों के लिए वाल्मीकिनगर में बहुत कुछ है. सुबह-सुबह जंगल सफारी की सैर, बोटिंग, कौलेश्वर झूला व वाल्मीकि आश्रम जैसे पौराणिक स्थलों के दर्शन का लुत्फ आप यहां उठा सकते हैं. इन सब के भ्रमण के उपरांत पर्यटकों के मनोरंजन का भी सरकार ने खासा ध्यान रखा है. इसी के तहत पर्यटकों के लिए अब एक नई पहल शुरू की गई है.

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अब पर्यटक प्रतिदिन ले सकेंगे नृत्य का आनंद

पर्यटकों के लिये विशेष व्यवस्था
अतिथिशाला में ठहरने वाले अतिथियों के लिए सरकार ने वाल्मीकिनगर के तराई क्षेत्रों में बसे थारू जनजाति की संस्कृति से जुड़े लोकनृत्य को दिखाने का भी सरकार ने प्रबंध किया है. इतना ही नहीं, सरकार की तरफ से वाल्मीकि विहार गेस्ट हाउस में आधे घंटे मूवी दिखाने की भी व्यवस्था की गई है जिसके तहत वाल्मीकि टाइगर रिज़र्व के सभी दर्शनीय स्थलों व उसके विशेषताओं को दिखाया जाता है.

जानकारी देते वनाधिकारी और पर्यटक

ये भी पढ़ें- हैदराबाद गैंगरेप-मर्डर : एनकाउंटर में चारों आरोपी ढेर

सरकार की पहल की सराहना
बिहार का मिनी कश्मीर कहे जाने वाले वाल्मीकि टाइगर रिजर्व का दीदार करने के लिये यह उपयुक्त मौसम है. यहां प्रतिदिन हजारों सैलानी प्राकृतिक छटा का आनंद लेने पहुंचते हैं. ऐसे में आने वाले पर्यटकों को भी सरकार की यह पहल काफी लुभा रही है और पर्यटक इसकी काफी सराहना भी कर रहे हैं.

Intro:पश्चिम चंपारण स्थित वाल्मीकि टाइगर रिजर्व के सैर पर निकलने वाले सैलानियों के मनोरंजन के लिए सरकार ने एक नई पहल शुरू की है। इसके तहत दिन भर पहाड़, जंगल, व अन्य पर्यटन स्थलों का दीदार कर अतिथिशाला में ठहरने वाले पर्यटकों के लिए सरकार ने थारू जनजाति के संस्कृति से जुड़े लोकनृत्य व संगीत देखने की व्यवस्था की है। साथ हीं साथ वाल्मीकिनगर के दर्शनीय स्थलों एवं उनके विशेषताओं से सम्बंधित चलचित्र भी दिखाई जाती है।


Body:कम बजट में धार्मिक स्थलों, प्राकृतिक सौंदर्य व पहाड़ों सहित जंगली जीव जंतुओं का दीदार करने वाले पर्यटकों के लिए वाल्मीकिनगर में बहुत कुछ है। सुबह सुबह जंगल सफारी की सैर, बोटिंग, कौलेश्वर झूला व वाल्मीकि आश्रम जैसे पौराणिक स्थलों के दर्शन का लुत्फ आप यहां उठा सकते हैं। इन सब के भ्रमण के उपरांत पर्यटकों के मनोरंजन का भी सरकार ने खासा ध्यान रखा है। और इसी के तहत पर्यटकों के लिए अब एक नई पहल शुरू की गई है। शाम को घूमकर अतिथिशाला में ठहरने वाले अतिथियों के लिए सरकार ने वाल्मीकिनगर के तराई क्षेत्रों में बसे थारू जनजाति की संस्कृति से जुड़े लोकनृत्य को दिखाने का भी सरकार ने प्रबंध किया है। ताकि पर्यटक अपने दिनभर की थकान से नृत्य व संगीत का कार्यक्रम देख आसानी से उबर सकें। इतना ही नही सरकार के तरफ से वाल्मीकि विहार गेस्ट हाउस में आधे घण्टे मूवी दिखाने की भी व्यवस्था की गई है जिसके तहत वाल्मीकि टाइगर रिज़र्व के सभी दर्शनीय स्थलों व उसके विशेषताओं को दिखाया जाता है। वन अधिकारी रॉबिन आनंद का कहना है कि पर्यटकों के घूमने से लेकर ठहरने, खाने व उनके मनोरंजन तक के सुविधाओं का ख्याल व इंतेजाम रखा गया है।
बाइट- 1 रॉबिन आनंद, वनाधिकारी
बाइट- 2 चंदन कुमार , पर्यटक।


Conclusion:बिहार का मिनी कश्मीर कहे जाने वाले वाल्मीकि टाइगर रिजर्व का दीदार करने के लिए अभी उपयुक्त मौसम है। यहां प्रतिदिन हजारों सैलानी प्राकृतिक छटा का आनंद लेने पहुचते हैं। ऐसे में आने वाले पर्यटकों को भी सरकार की यह पहल काफी लुभा रही है और पर्यटक इस पहल की काफी सराहना भी कर रहे हैं।
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