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बेतिया: नाले के पानी के बीच नारकीय जीवन जीने को मजबूर हैं गांधीनगर के लोग, सालों से यही हाल - मजबूर हैं गांधीनगर के लोग

बसवरिया गांव के वार्ड नंबर 31 के गांधीनगर मोहल्ले में पिछले कई सालों से नारकीय हालात हैं. स्थानीय लोग किसी तरह गुजर-बसर करने को मजबूर हैं.

गंदगी के बीच रह रहे लोग
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Published : Oct 16, 2019, 10:45 AM IST

बेतिया: राज्य सरकार के तमाम दावों के बीच कहीं ना कहीं से प्रशासनिक लापरवाही की खबरें सामने आ ही जाती हैं. यहां भी बसवरिया के वार्ड नंबर 31 का हाल इन दिनों नरक जैसा है. यहां लोगों का जीना दूभर हो रखा है. दरअसल, इस इलाके में सड़क पर गंदा पानी तैर रहा है. ताज्जुब की बात तो यह है कि यह पानी बरसात या बाढ़ का नहीं है, बल्कि नाले का है.

BETIAH
गंदगी के बीच रह रहे लोग

बसवरिया के वार्ड नंबर 31 के गांधीनगर मोहल्ले में पिछले कई सालों से नारकीय हालात हैं. स्थानीय लोग किसी तरह गुजर-बसर करने को मजबूर हैं. कई बार शिकायत के बावजूद कोई संज्ञान नहीं लिया गया है. जिससे लोगों में काफी गुस्सा है. हालात इतने खराब हैं कि आसपास से गुजरना भी मुश्किल जान पड़ता है.

BETIAH
हाल बेहाल

महात्मा गांधी के नाम पर पड़ा मोहल्ले का नाम
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के नाम पर इस मोहल्ले का नाम गांधीनगर रखा गया. गांधीजी को स्वच्छता का प्रतीक माना जाता है. लेकिन, गांधी के नाम पर बसे इस मोहल्ले की दशा तो पूरी विपरीत है. देश भर में स्वच्छता का ढिंढोरा पीटने वाले प्रतिनिधियों की नजर यहां नहीं जाती है.

ईटीवी भारत संवाददाता की रिपोर्ट

बदतर हैं हालात
इलाके का हाल इस कदर बेहाल है कि लोगों का दैनिक जीवन काफी मुश्किल हो गया है. लोगों को कहीं भी जाने के लिए इसी रास्ते से गुजरना पड़ता है. छोटे बच्चे गंदे पानी को पार कर स्कूल जाने को मजबूर हैं. जिससे बीमारियों का खतरा भी बढ़ गया है.

BETIAH
स्थानीय लोगों का फूटा गुस्सा

स्थानीय लोगों का फूटा गुस्सा
वार्ड नंबर 31 के पार्षद पति का कहना है कि हम लगातार शिकायत करते हैं, लेकिन कोई फायदा नहीं हो रहा है. इसबार उन्होंने नगर परिषद को कड़े शब्दों में चेतावनी दी है कि अगर हल नहीं निकाला गया तो वह चुप नहीं रहेंगे.

बेतिया: राज्य सरकार के तमाम दावों के बीच कहीं ना कहीं से प्रशासनिक लापरवाही की खबरें सामने आ ही जाती हैं. यहां भी बसवरिया के वार्ड नंबर 31 का हाल इन दिनों नरक जैसा है. यहां लोगों का जीना दूभर हो रखा है. दरअसल, इस इलाके में सड़क पर गंदा पानी तैर रहा है. ताज्जुब की बात तो यह है कि यह पानी बरसात या बाढ़ का नहीं है, बल्कि नाले का है.

BETIAH
गंदगी के बीच रह रहे लोग

बसवरिया के वार्ड नंबर 31 के गांधीनगर मोहल्ले में पिछले कई सालों से नारकीय हालात हैं. स्थानीय लोग किसी तरह गुजर-बसर करने को मजबूर हैं. कई बार शिकायत के बावजूद कोई संज्ञान नहीं लिया गया है. जिससे लोगों में काफी गुस्सा है. हालात इतने खराब हैं कि आसपास से गुजरना भी मुश्किल जान पड़ता है.

BETIAH
हाल बेहाल

महात्मा गांधी के नाम पर पड़ा मोहल्ले का नाम
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के नाम पर इस मोहल्ले का नाम गांधीनगर रखा गया. गांधीजी को स्वच्छता का प्रतीक माना जाता है. लेकिन, गांधी के नाम पर बसे इस मोहल्ले की दशा तो पूरी विपरीत है. देश भर में स्वच्छता का ढिंढोरा पीटने वाले प्रतिनिधियों की नजर यहां नहीं जाती है.

ईटीवी भारत संवाददाता की रिपोर्ट

बदतर हैं हालात
इलाके का हाल इस कदर बेहाल है कि लोगों का दैनिक जीवन काफी मुश्किल हो गया है. लोगों को कहीं भी जाने के लिए इसी रास्ते से गुजरना पड़ता है. छोटे बच्चे गंदे पानी को पार कर स्कूल जाने को मजबूर हैं. जिससे बीमारियों का खतरा भी बढ़ गया है.

BETIAH
स्थानीय लोगों का फूटा गुस्सा

स्थानीय लोगों का फूटा गुस्सा
वार्ड नंबर 31 के पार्षद पति का कहना है कि हम लगातार शिकायत करते हैं, लेकिन कोई फायदा नहीं हो रहा है. इसबार उन्होंने नगर परिषद को कड़े शब्दों में चेतावनी दी है कि अगर हल नहीं निकाला गया तो वह चुप नहीं रहेंगे.

Intro:एंकर: यह तस्वीर देखिए, यह तस्वीर किसी गांव कस्बे की नहीं है, अब सड़क पर लगे इस पानी को देखिए, यह कोई बरसात का पानी नहीं बल्कि गंदे नाली का पानी है, जो सड़क पर एक- दो महीने से नहीं बल्कि 2 सालों से बह रही है,लेकिन इसकी सुध लेने वाला कोई नहीं है, बदबू की बात करना तो बेमानी होगी, अगर आप यहां कुछ देर ठहर जाए तो आप अस्पताल में ही नजर आएंगे।


Body:यह तस्वीर शहर के बसवरिया के वार्ड नंबर 31 के गांधीनगर की है, नाम सुना आपने.. गांधीनगर ।
जिस गांधी के नाम पर इस मोहल्ले का नाम रखा गया है आज उनकी आत्मा भी रोती होगी और सोचती होगी कि स्वच्छता का ढिंढोरा मेरे नाम को लेकर पीटा जा रहा है आज उसी मोहल्ले के लोगों का यह हाल है।

अब इन छोटे-छोटे बच्चों को स्कूल और कोचिंग जाते हैं देखिए, वर्षों से इनका यही हाल है, इस बदबू के रास्ते प्रतिदिन उन्हें गुजरना पड़ता है, इस बदबू भरे मोहल्ले में उन्हें रहना पड़ता है, इनकी तो मजबूरी है कि इन्हें स्कूल तो जाना ही है, यह अपनी इस बेबसी किसको सुनाएं , कौन सुनेगा, यह बच्चियां बोल रही है जिला प्रशासन से, यह लड़कियां बोल रही हैं नगर परिषद से, हमें इस बदबू से बचाइए.. इस नारकीय जीवन से बाहर लाइए।

बाइट- छात्रा, कोचिंग जाते हुए

अब इन मोहल्ले वासियों को देख लीजिए,इनकी तो बस आदत सी बन गई है इस नर्क में रहने की, बेचारी क्या करें सिस्टम से गुहार लगाते लगाते थक चुके हैं, आवेदन भी दे चुके हैं लेकिन उस आवेदन पर किसी की अब तक नजर नहीं पड़ी, उस आवेदन पत्र शायद अब धूल भी जम चुकी होगी और उसके साथ ही इनके किस्मत पर भी, स्थानीय लोगों की मानें तो उनकी याद सिर्फ चुनाव के वक्त ही जनप्रतिनिधियों को आती है, उसके बाद तो उनके कान में जूं तक नहीं रेंगती।

बाइट- स्थानीय निवासी

अब जरा इनकी सुनिए... यह इस 31 नंबर वार्ड के पार्षद पति हैं, जिनका नाम अमरनाथ गुप्ता है, इस मोहल्ले की स्थिति देख कर इनको रहा नहीं गया और आज 2 वर्ष बाद इनकी नींद खुली है, इन्होंने नगर परिषद को चेतावनी दी है कि अगर इसका समाधान जल्द से जल्द नहीं होता है तो उनका रहना ही बेकार है, हम इस्तीफा दे देंगे । काश आपने 1 वर्ष पहले बोला होता तो शायद इस वर्ष तो आपकी मुराद पूरी हो ही जाती और आपका नाम भी आपके नाम की तरह अमर हो जाता।

बाइट- अमरनाथ गुप्ता, पार्षद पति, वार्ड नंबर 31


Conclusion:खैर बात जो भी हो लेकिन मोहल्ले वासियों को देख कर आज गांधी जी की आत्मा भी रोती होगी, गांधी जी की आत्मा भी जरूर बोलती होगी या तो मेरे नाम को इस मोहल्ले से मुक्ति दिला दो या तुम नारकीय जीवन से मुक्ति पा लो।

पीटीसी

जितेंद्र कुमार गुप्ता
ईटीवी भारत, बेतिया
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