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ग्राउंड रिपोर्ट : इंडो-नेपाल बार्डर पर कोरोना की जांच की सच्चाई

पश्चिम चंपारण के इंडो-नेपाल सीमा पर कैम्प कर रहे चिकित्सकों के पास कोरोना वायरस जांच करने का उपकरण मौजूद नहीं है. ऐसे में भारतीय नेपाल जाकर कोरोना वायरस की जांच कराने को मजबूर हैं.

सीमा पर लगा कैंप
सीमा पर लगा कैंप
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Published : Mar 13, 2020, 6:42 PM IST

पश्चिम चंपारण: कोरोना वायरस को डब्लूएचओ ने अंतर्राष्ट्रीय आपदा घोषित किया है. वहीं, बिहार में इससे निपटने का इंतजाम नहीं है. बेतिया अंतर्गत इंडो-नेपाल बार्डर पर कोरोना वायरस को लेकर लगाए जा रहे मेडिकल कैम्प में समुचित व्यवस्था नहीं है. इस बात का खुलासा तब हुआ जब ईटीवी भारत संवाददाता ग्राउंड जीरो पर पहुंचे. सीमा पर तैनात डॉक्टरों का कहना है कि उनके पास ऐसा कोई उपकरण नहीं है, जिससे कोरोना के लक्षणों की जांच की जा सके. ऐसे में भारतीय सीमावर्ती इलाकों में रहने वाले लोगों पर कोरोना वायरस के संक्रमण का भय बना हुआ है.

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नेपाल के डॉक्टर लगातार कर रहे जांच

इंडो-नेपाल सीमा पर नहीं है व्यवस्था

सरकार की ओर से लगातार कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप को लेकर बैठकें की जा रही हैं. वाल्मीकिनगर स्थित इंडो-नेपाल सीमा पर पिछले एक महीने से मेडिकल टीम कैम्प कर लोगों को सावधानियां बरतने की सलाह दे रही है. साथ ही साथ लोगों को इसके लक्षणों के बाबत जागरूक किया जा रहा है. लेकिन, मेडिकल कैम्प के चिकित्सक संजय कुमार का कहना है कि उनके पास लोगों में कोरोना के लक्षणों को जांचने के लिए कोई उपकरण उपलब्ध नहीं है. शिकायत करने पर अधिकारियों की ओर से आश्वासन दिया जा रहा है.

नेपाल जाने को मजबूर हैं भारतीय

नेपाल सरकार कोरोना को लेकर काफी संजीदा दिख रही है. नेपाल बार्डर पर भी लगातार कैंप किया जा रहा है. मेडिकल कैम्प के चिकित्सकों को तमाम उपकरणों से लैस किया गया है. नेपाल सीमा पर लगे मेडिकल कैम्प के चिकित्सक का कहना है कि इस कैम्प में स्प्रे और जांच के लिए उपकरण उपलब्ध हैं. यही वजह है कि भारतीय लोग भी यहां आकर जांच करवा रहे हैं. प्रतिदिन तकरीबन 400 से ज्यादा नेपाली और भारतीय कोरोना के लक्षणों का जांच कराने यहां पहुंच रहे हैं.

देखें पूरी रिपोर्ट

भारत में 80 से ज्यादा मरीज

बता दें कि कोरोना संक्रमण को लेकर अब लोगों में दहशत साफ दिख रही है. केंद्र से लेकर राज्य सरकारें अलर्ट मोड पर नजर आ रही हैं. कर्नाटक में एक संक्रमित व्यक्ति की मौत का मामला भी सामने आया है. वहीं, भारत में अब तक 80 से ज्यादा संक्रमित लोगों की पहचान की गई है.

पश्चिम चंपारण: कोरोना वायरस को डब्लूएचओ ने अंतर्राष्ट्रीय आपदा घोषित किया है. वहीं, बिहार में इससे निपटने का इंतजाम नहीं है. बेतिया अंतर्गत इंडो-नेपाल बार्डर पर कोरोना वायरस को लेकर लगाए जा रहे मेडिकल कैम्प में समुचित व्यवस्था नहीं है. इस बात का खुलासा तब हुआ जब ईटीवी भारत संवाददाता ग्राउंड जीरो पर पहुंचे. सीमा पर तैनात डॉक्टरों का कहना है कि उनके पास ऐसा कोई उपकरण नहीं है, जिससे कोरोना के लक्षणों की जांच की जा सके. ऐसे में भारतीय सीमावर्ती इलाकों में रहने वाले लोगों पर कोरोना वायरस के संक्रमण का भय बना हुआ है.

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नेपाल के डॉक्टर लगातार कर रहे जांच

इंडो-नेपाल सीमा पर नहीं है व्यवस्था

सरकार की ओर से लगातार कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप को लेकर बैठकें की जा रही हैं. वाल्मीकिनगर स्थित इंडो-नेपाल सीमा पर पिछले एक महीने से मेडिकल टीम कैम्प कर लोगों को सावधानियां बरतने की सलाह दे रही है. साथ ही साथ लोगों को इसके लक्षणों के बाबत जागरूक किया जा रहा है. लेकिन, मेडिकल कैम्प के चिकित्सक संजय कुमार का कहना है कि उनके पास लोगों में कोरोना के लक्षणों को जांचने के लिए कोई उपकरण उपलब्ध नहीं है. शिकायत करने पर अधिकारियों की ओर से आश्वासन दिया जा रहा है.

नेपाल जाने को मजबूर हैं भारतीय

नेपाल सरकार कोरोना को लेकर काफी संजीदा दिख रही है. नेपाल बार्डर पर भी लगातार कैंप किया जा रहा है. मेडिकल कैम्प के चिकित्सकों को तमाम उपकरणों से लैस किया गया है. नेपाल सीमा पर लगे मेडिकल कैम्प के चिकित्सक का कहना है कि इस कैम्प में स्प्रे और जांच के लिए उपकरण उपलब्ध हैं. यही वजह है कि भारतीय लोग भी यहां आकर जांच करवा रहे हैं. प्रतिदिन तकरीबन 400 से ज्यादा नेपाली और भारतीय कोरोना के लक्षणों का जांच कराने यहां पहुंच रहे हैं.

देखें पूरी रिपोर्ट

भारत में 80 से ज्यादा मरीज

बता दें कि कोरोना संक्रमण को लेकर अब लोगों में दहशत साफ दिख रही है. केंद्र से लेकर राज्य सरकारें अलर्ट मोड पर नजर आ रही हैं. कर्नाटक में एक संक्रमित व्यक्ति की मौत का मामला भी सामने आया है. वहीं, भारत में अब तक 80 से ज्यादा संक्रमित लोगों की पहचान की गई है.

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