रोहतास: बिहार में पूर्ण शराबबंदी के बावजूद कई बार पुलिस पर शराब माफियाओं के साथ मिलीभगत का आरोप लगता रहा है. ऐसा ही मामला रोहतास के नोखा थाना क्षेत्र से जुड़ा हुआ है. जहां सासाराम कोर्ट के स्पेशल जज शैलेश कुमार पांडा ने नोखा थाना में स्थापित रह चुके दारोगा प्रमोद कुमार सिंह पर शराब माफियाओं से मिली भगत के आरोप में अरेस्ट वारंट जारी किया है. वहीं संबंधित तारीख पर पेश नहीं होने पर नोखा थाना में तत्कालिक दारोगा प्रमोद सिंह को गिरफ्तार करने का आदेश दिया.
दारोगा के खिलाफ अरेस्ट वारंट: दअरसल उत्पाद एक्सक्लूसिव कोर्ट नंबर दो के प्रभारी स्पेशल जज शैलेन्द्र कुमार पांडा की अदालत ने शराब तस्करों से सांठगांठ के मामले में एसपी कार्यालय में तैनात दारोगा प्रमोद कुमार सिंह की गिरफ्तारी के आदेश दिये हैं. विशेष अदालत ने गैर जमानतीय वारंट का तामिला कराने के लिए एसपी को निर्देशित किया है. वहीं विशेष लोक अभियोजक रमेश कुमार रमन ने बताया कि नोखा थाना में स्थापित रह चुके दरोगा पर शराब माफियाओं से मिली भगत का आरोप है. जिस मामले में स्पेशल जज ने गिरफ्तारी आदेश जारी किया है.
"4 साल पहले के एक मामले में नोखा के तात्कालिक थानाध्यक्ष नरोत्तम चंद्र ने शराब मामले में एक एफआईआर दर्ज की थी. इस एफआईआर के जांच के क्रम में थाना में स्थापित दारोगा प्रमोद कुमार सिंह की संलिप्तता सामने आई थी. इसी मामले में कोर्ट के स्पेशल जज ने ये गिरफ्तारी का आदेश जारी किया है."- रमेश कुमार रमन, स्पेशल लोक अभियोजक
चार साल पुराना है मामला: बताया जा रहा है कि 19 मार्च 2020 को नोखा में चौसा नहर किनारे पुलिस ने दो वाहनों पर लदे 120 लीटर से अधिक शराब को बरामद किया था. मामले में नोखा के तत्कालीन थानाध्यक्ष नरोत्तम चंद्र ने चार नामजद समेत दो वाहनों के मालिक और चालक पर प्राथमिकी दर्ज की थी. जांच के क्रम में उस समय नोखा थाने में पदास्थापित रहे पुलिस अवर निरीक्षक प्रमोद कुमार सिंह का शराब तस्करों से सांठगांठ होने का प्रमाण मिला था. इसके बाद उसे जेल भेज दिया गया था.
दारोगा पर क्यों हुआ वारेंट जारी?: उच्च न्यायालय पटना से 15 दिसंबर 2020 को आरोपी दारोगा को जमानत मिली थी. विशेष अदालत का कहना था कि उच्च न्यायालय द्वारा प्रत्येक तारीख पर उपस्थित होकर ट्रायल में दारोगा सहयेग करेंगे. साथ ही यह भी कहा था कि लगातार दो तिथियों पर उपस्थित नहीं होने पर अदालत उनकी जमानत रद्द करने पर विचार कर सकती है. ऐसे में आरोपी दारोगा बीते चार तारीखों से अदालत में बिना कारण के गायब पाये गए. ऐसे में बंध पत्र खंडित किया गया और गैर जमानतीय वारंट जारी कर दिया गया. वहीं आदेश के बाद आरोपी दारोगा की मुश्किलें बढ़ गई है.