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बेटी की हत्या के जुर्म में मां और मौसा को उम्रकैद, 31 साल बाद कोर्ट ने सुनाया फैसला

रोहतास सिविल कोर्ट ने हत्या मामले में 31 साल बाद फैसला सुनाया है. मृतक की मां और मौसा को आजीवन कारावास की सजा मिली है.

Rohtas Civil Court
रोहतास सिविल कोर्ट (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : 12 hours ago

सासाराम: बिहार के रोहतास में 31 साल पुराने मामले में कोर्ट का अहम फैसला आया है. रोहतास व्यवहार न्यायालय ने एक किशोरी की हत्या से जुड़े मामले में सजा के बिंदु पर सुनवाई करते हुए दो दोषियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. साथ ही 15000 रुपये का जुर्माना भी लगाया है. जुर्माने की राशि नहीं जमा करने पर एक साल की अतिरिक्त सजा का भी प्रावधान है. जिन लोगों की सजा मिली है, उनमें मृतक की मां और मौसा शामिल है.

31 साल हुआ था मर्डर: दरअसल, 6 अप्रैल 1993 अकोढ़ीगोला थाना क्षेत्र में एक किशोरी को पहले अगवा किया और फिर बधार में ले जाकर उसे गोली मार दी गई. इस हत्याकांड की प्राथमिकी पूर्व देहरी डालमियानगर थाना कांड संख्या 136/ 1993 में दर्ज हुई थी. दर्ज प्राथमिक्की के अनुसार घटना 6 अप्रैल 1993 को अकोढ़ीगोला थाना क्षेत्र के जदवा बधार में हुई थी. वहीं, अनुसंधान के क्रम में पूछताछ में पुलिस को पता चला कि नाजायज संबंध की जानकारी होने पर बेटी को मां ने ही अन्य के साथ मिलकर गोली मारकर हत्या कर दी. कत्ल के बाद साक्ष्य मिटाने के लिए जादवा बधार स्थित गेहूं के खेत में शव को गड़वा दिया, जिसे बाद में पुलिस ने बरामद कर लिया था.

मां और मौसा को आजीवन कारावास: अपर सत्र न्यायाधीश द्वितीय धीरेंद्र मिश्र की अदालत ने मामले में अभियोजन पक्ष की तरफ से 11 गवाहों को पेश किया गया था. तमाम दलीलों को सुनने के बाद मृत किशोरी की मां और मौसा को हत्या और साक्ष्य छुपाने का दोषी पाया गया. मामले में न्यायालय ने मृत किशोरी की मां और मौसा को आजीवन कारावास की सजा सुनाई.

दोनों दोषी पर कोर्ट ने लगाया जुर्माना: साथ ही अदालत ने दोषी सगी मां पर सात हजार का जुर्माना भी लगाया है. जुर्माना नहीं जमा करने पर उसे 6 माह की अतिरिक्त कारावास की सजा होगी. वहीं मौसा पर 15000 का जुर्माना लगाया गया है. इसे जमा नहीं करने पर एक साल की अतिरिक्त कारावास की सजा होगी. साक्ष्य के अभाव में एक शख्स को न्यायालय ने बरी कर दिया है.

ये भी पढ़ें: 21 साल बाद आया रोहतास ट्रिपल मर्डर केस का फैसला, 10 दोषियों को आजीवन कारावास

सासाराम: बिहार के रोहतास में 31 साल पुराने मामले में कोर्ट का अहम फैसला आया है. रोहतास व्यवहार न्यायालय ने एक किशोरी की हत्या से जुड़े मामले में सजा के बिंदु पर सुनवाई करते हुए दो दोषियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. साथ ही 15000 रुपये का जुर्माना भी लगाया है. जुर्माने की राशि नहीं जमा करने पर एक साल की अतिरिक्त सजा का भी प्रावधान है. जिन लोगों की सजा मिली है, उनमें मृतक की मां और मौसा शामिल है.

31 साल हुआ था मर्डर: दरअसल, 6 अप्रैल 1993 अकोढ़ीगोला थाना क्षेत्र में एक किशोरी को पहले अगवा किया और फिर बधार में ले जाकर उसे गोली मार दी गई. इस हत्याकांड की प्राथमिकी पूर्व देहरी डालमियानगर थाना कांड संख्या 136/ 1993 में दर्ज हुई थी. दर्ज प्राथमिक्की के अनुसार घटना 6 अप्रैल 1993 को अकोढ़ीगोला थाना क्षेत्र के जदवा बधार में हुई थी. वहीं, अनुसंधान के क्रम में पूछताछ में पुलिस को पता चला कि नाजायज संबंध की जानकारी होने पर बेटी को मां ने ही अन्य के साथ मिलकर गोली मारकर हत्या कर दी. कत्ल के बाद साक्ष्य मिटाने के लिए जादवा बधार स्थित गेहूं के खेत में शव को गड़वा दिया, जिसे बाद में पुलिस ने बरामद कर लिया था.

मां और मौसा को आजीवन कारावास: अपर सत्र न्यायाधीश द्वितीय धीरेंद्र मिश्र की अदालत ने मामले में अभियोजन पक्ष की तरफ से 11 गवाहों को पेश किया गया था. तमाम दलीलों को सुनने के बाद मृत किशोरी की मां और मौसा को हत्या और साक्ष्य छुपाने का दोषी पाया गया. मामले में न्यायालय ने मृत किशोरी की मां और मौसा को आजीवन कारावास की सजा सुनाई.

दोनों दोषी पर कोर्ट ने लगाया जुर्माना: साथ ही अदालत ने दोषी सगी मां पर सात हजार का जुर्माना भी लगाया है. जुर्माना नहीं जमा करने पर उसे 6 माह की अतिरिक्त कारावास की सजा होगी. वहीं मौसा पर 15000 का जुर्माना लगाया गया है. इसे जमा नहीं करने पर एक साल की अतिरिक्त कारावास की सजा होगी. साक्ष्य के अभाव में एक शख्स को न्यायालय ने बरी कर दिया है.

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