अररिया: बिहार में शिक्षा विभाग के नए कारनामा से सब हैरान हैं. इसको लेकर शिक्षा विभाग का खूब मजाक उड़ाया जा रहा है. सवाल है कि क्या मरने के बाद भी शिक्षक नौकरी कर सकता है? कोई भी इस सवाल का जवाब 'नहीं' में देगा लेकिन शिक्षा विभाग को शायद इस सवाल का जवाब 'हां' लगता है. इसलिए विभाग के द्वारा उल्टा-पुल्टा आदेश जारी किया गया है.
मृत शिक्षक से स्पष्टीकरण: दरअसल, यह मामला अररिया डीपीओ स्थापना से जुड़ा है. अररिया डीपीओ स्थापना की ओर से 1024 शिक्षकों से सप्ष्टीकरण मांगा गया है. स्पष्टीकरण की कॉपी को सोशल मीडिया X डाला गया है. Education Bihar @Educatio_Bihar से जानकारी दी गयी है कि मृत शिक्षकों की सूची विभाग के पास नहीं है. कहा जा रहा है कि 1024 शिक्षकों में 11 शिक्षक ऐसे हैं, जिसकी मौत साल 2024 में हो चुकी है.
DEO अररिया जिसमें दो मृत्यु समेत 1024 शिक्षकों की अनुपस्थिति पर स्पष्टीकरण। ठीक ही मृत्य शिक्षकों की सूचि उनके पास नहीं गई लेकिन इतनी जल्दबाजी।
— Education Bihar (@Educatio_Bihar) January 19, 2025
साहब वेतन और ट्रांसफर पर इतनी जल्द बाजी क्यों नहीं दिखाते @sidarths @araria_deo @BiharEducation_ @RajnishJhakumar pic.twitter.com/55jfgndi8B
'इनकी हो चुकी है मौत': शिक्षक संघ का कहना है कि शिक्षा विभाग की ओर से जारी लिस्ट में 11 शिक्षकों में परमानंद ऋषिदेव, मंजूर आलम, नसीम अख्तर, विश्वबंधु ठाकुर, अफसाना खातून, मो. कासिम, सादिक अनवर, बीबी नहार, अंतेश कुमार सिंह, देवानंद मंडल, मनोज कुमार पटवे शामिल हैं. बताया जा रहा है कि इन सभी शिक्षकों का निधन साल 2024 में हो चुका है. इसके बावजूद शिक्षा विभाग उम्मीद करता है कि ये सभी स्कूल में समय से उपस्थित हों.
अनुपस्थित रहने पर स्पष्टीकरण: इन सभी शिक्षक को ई-शिक्षा कोष पोर्टल पर अनुपस्थित पाया गया. इसलिए डीपीओ स्थापना रवि रंजन ने अपने पत्रांक 184/ 18-01-2025 के द्वारा स्पष्टीकरण मांगा है. अब इन शिक्षकों से अनुपस्थित रहने का कारण पूछा गया है. इस मामले में डीपीओ ने विद्यालय के प्रधान व बीईओ दोषी ठहराया है. कहा कि उन्हें समय से प्रतिवेदन उपलब्ध नहीं कराया गया.
"विद्यालय के प्रधान व बीईओ की जिम्मेदारी थी कि मृत शिक्षकों का प्रतिवेदन उपलब्ध कराएं. लेकिन रिपोर्ट नहीं दी गयी. अवलोकन के दौरान इन शिक्षकों की उपस्थिति नहीं थी. इसलिए स्पष्टीकरण मांगा गया है. लापरवाही बरतने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी." -रवि रंजन, डीपीओ स्थापना
वहीं इस मामले में जिला शिक्षा पदाधिकारी संजय कुमार ने मौखिक तौर बताया की "इस संदर्भ हम कुछ नहीं कह सकते हैं. स्थापना डीपीओ द्वारा स्पष्टीकरण पूछा गया आप उनसे ही पूछिये."
'कार्यशैली पर सवाल': इधर, शिक्षक संघ ने विभाग की कार्यशैली पर सवाल उठाया है. संघ का कहना है कि शिक्षा विभाग द्वरा इस तरह का निर्देश जारी करने से पहले समीक्षा करनी चाहए. उन्होंने तो यह भी कहा कि सर्वर ठीक नहीं रहने के कारण कई शिक्षक उपस्थित होते हुए ई पोर्टल पर उपस्थिति दर्ज नहीं करा पाते हैं.
"समीक्षा के उपरांत ही इस तरह के स्पष्टीकरण मांगनी चाहिए. ऐसी भूल से बचना चाहिए. इस तरह की गलती से लोगों के बीच शिक्षा विभाग की कार्यशैली पर सवाल उठता है. पिछले 4-5 दिनों से जिले में सर्वर की समस्या है. इस कारण बहुत सारे शिक्षक विद्यालय में उपस्थित रहने के बावजूद भी ऑनलाइन उपस्थिति दर्ज नहीं करा पाते." -अब्दुल कुद्दूस, जिलाध्यक्ष, प्राथमिक शिक्षक संघ
अब सवाल उठता है कि अगर ये सभी शिक्षक सरकारी लिस्ट में जिंदा हैं तो क्या इनकी सैलरी भी बन रही है. अगर ऐसा हुआ तो विभाग की ओर से बड़े घोटाले की आशंका है. शिक्षक संघ की ओर से इसको लेकर भी सवाल उठाए जा रहे हैं.
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