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बेतिया में थारू महोत्सव की धूम, दिन में होली, रात में दीपावली जैसा माहौल

थारू आदिवासी के लोगों ने अनुसूचित जनजाति होने का आठवां वर्षगांठ मनाया. आज के दिन थारू जाति के लोग झंडातोलन के बाद एक-दसरे को रंग गुलाल लगाकर दिन में होली और रात में सभी घरों में दिये जलाकर दिवाली मनाते हैं.

बेतिया
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Published : Jan 9, 2021, 6:28 PM IST

बेतिया: थारू महोत्सव के अवसर पर थरूहट क्षेत्र के जमुनिया, दोमाठ, चौहट्टा, रामपुर में झंडातोलन किया गया. झंडातोलन के बाद सभी लोगों के बीच रंग गुलाल लगाकर इस कार्यक्रम को होली की तर्ज पर मनाया गया. थारू महोत्सव के अवसर पर दोमाठ में दुर्गा महिला क्लब की ओर से हंसा कुमारी की अध्यक्षता में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया.

थारू महोत्सव का आयोजन
जिप अध्यक्ष शैलेन्द्र गढ़वाल ने लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि उस सरकार को धन्यवाद जिन्होंने हम थारूओं को अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिया है. उन्होंने कहा कि आज के ही दिन 8 जनवरी 2003 को थारूओं को अनुसूचित जनजाति का दर्जा मिला था. जिसके उपलक्ष्य में थारूओं की ओर से दिन में होली और रात में दिवाली मनाया जाता है. 2003 में अटलबिहारी वाजपेयी की केंद्र में सरकार थी उसी समय थारू जाति को आदिवासी होने का दर्जा मिला था. आज आरक्षण का लाभ थारू जाति को मिला रहा है.

दिन में होली और रात में दिवाली
आज के दिन थारू जाति के लोग झंडातोलन के बाद एक दसरे को रंग गुलाल लगाकर दिन में होली और रात में सभी घरों में दिये जलाकर दिवाली मनाते हैं. आयोजन के दौरान दोमाठ के छोटे-छोटे बच्चियों ने स्वागत गान गाया. बुजुर्ग महिलाओं और युवतियों ने थरूहट का लोकगीत झमता को प्रस्तुत करते हुए उपस्थित लोगों का मन मोह लिया. वहीं, पांच जनवरी को बैडमिंटन प्रतियोगीता में अव्वल आये बच्चों को सम्मानित किया गया.

बेतिया: थारू महोत्सव के अवसर पर थरूहट क्षेत्र के जमुनिया, दोमाठ, चौहट्टा, रामपुर में झंडातोलन किया गया. झंडातोलन के बाद सभी लोगों के बीच रंग गुलाल लगाकर इस कार्यक्रम को होली की तर्ज पर मनाया गया. थारू महोत्सव के अवसर पर दोमाठ में दुर्गा महिला क्लब की ओर से हंसा कुमारी की अध्यक्षता में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया.

थारू महोत्सव का आयोजन
जिप अध्यक्ष शैलेन्द्र गढ़वाल ने लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि उस सरकार को धन्यवाद जिन्होंने हम थारूओं को अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिया है. उन्होंने कहा कि आज के ही दिन 8 जनवरी 2003 को थारूओं को अनुसूचित जनजाति का दर्जा मिला था. जिसके उपलक्ष्य में थारूओं की ओर से दिन में होली और रात में दिवाली मनाया जाता है. 2003 में अटलबिहारी वाजपेयी की केंद्र में सरकार थी उसी समय थारू जाति को आदिवासी होने का दर्जा मिला था. आज आरक्षण का लाभ थारू जाति को मिला रहा है.

दिन में होली और रात में दिवाली
आज के दिन थारू जाति के लोग झंडातोलन के बाद एक दसरे को रंग गुलाल लगाकर दिन में होली और रात में सभी घरों में दिये जलाकर दिवाली मनाते हैं. आयोजन के दौरान दोमाठ के छोटे-छोटे बच्चियों ने स्वागत गान गाया. बुजुर्ग महिलाओं और युवतियों ने थरूहट का लोकगीत झमता को प्रस्तुत करते हुए उपस्थित लोगों का मन मोह लिया. वहीं, पांच जनवरी को बैडमिंटन प्रतियोगीता में अव्वल आये बच्चों को सम्मानित किया गया.

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