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बिहार : 3 घड़ियालों ने जन्मे 86 बच्चे, चहक उठा गंडक का तट

गंडक में सबसे ज्यादा घड़ियाल, मगरमच्छ और डॉल्फिन पाई जाती हैं. घड़ियाल संरक्षण को लेकर शुरू की गई कवायद के चलते इसबार सुखद खबर सामने आई है. विलुप्त हो रहे घड़ियालों ने 86 बच्चों को जन्म दिया है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट
ईटीवी भारत की रिपोर्ट
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Published : Jun 20, 2020, 8:30 PM IST

Updated : Jun 20, 2020, 9:45 PM IST

वेस्ट चंपारण (बेतिया) : वन एवं पर्यावरण विभाग बिहार सरकार और वर्ल्ड वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया की कवायद के बाद बिहार के लिए बड़ी खुशखबरी है. पश्चिम चंपारण जिला की सीमा में बहने वाली गंडक नदी का तट नवजात घड़ियालों से चहक उठा है. वाल्मीकि टाइगर रिजर्व इन दिनों घड़ियालों की आवाज से गुंजायमान है. इस बार घड़ियालों ने 86 बच्चों को जन्म दिया है.

ऐसा पहली बार हुआ है कि इतनी बड़ी संख्या में नवजात घड़ियालों ने जन्म लिया. खास बात यह है कि ये घड़ियाल विलुप्त हो चुके डायनासोर प्रजाति के हैं. घड़ियाल देश दुनिया से विलुप्त होने की कगार पर खड़े हैं. ऐसे में गंडक नदी में इनकी अच्छी संख्या होना एक सुखद खबर है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

घड़ियाल संरक्षण का नतीजा
बढ़ती संख्या को देखते हुए वाल्मीकि टाइगर रिजर्व में वर्ल्ड वाइल्ड ट्रस्ट ऑफ इंडिया और वन एवं पर्यावरण विभाग बिहार सरकार द्वारा घड़ियालो के लिए सुरक्षित अभ्यारण्य क्षेत्र बनाने की भी चर्चा जोरों पर है. गंडक नदी में वर्तमान समय में सैकड़ों घड़ियाल हैं.

गंडक में छोड़े गए नन्हें घड़ियाल
गंडक में छोड़े गए नन्हें घड़ियाल

गौरतलब है कि 2016 में भारतीय प्रजाति के घड़ियालों का सर्वे हुआ था, जिसमें गंडक नदी में केवल एक दर्जन ही घड़ियाल मिले थे. जबकि अब इनकी संख्या 265 हो गई है. तभी इनके बढ़ती संख्या को देखते हुए संवर्धन (पालन-पोषण ) के लिए सरकार ने कई प्रयास किए हैं.

ऐसे जन्में बच्चे
ऐसे जन्में बच्चे

गंडक नदी के इन घाटों के किनारे झुंड में इनकी उछल कूद का नजारा देख कर इलाके के लोगों में खुशी का माहौल है. गंडक नदी में पहली बार दर्जनों की तादाद में तीन घड़ियालों से 87 बच्चे जन्मे हैं. इन्हें देखकर वर्ल्ड वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया के अधिकारियों और वन एवं पर्यावरण विभाग के चेहरों पर भी खुशी है. गंडक नदी में घड़ियालों के साथ-साथ मगरमच्छ और डॉल्फिन सहित अन्य जीव-जंतुओं का निवास स्थान है.

अंडों की हैचिंग कराई गई
अंडों की हैचिंग कराई गई

घड़ियालों का प्रजनन काल
अप्रैल से जून तक घड़ियाल का प्रजनन काल रहता है. मई-जून में मादा घड़ियाल रेत में 30 से 40 सेमी का गड्ढा खोद कर 40 से लेकर 70 अंडे देती है. करीब महीने भर बाद अंडों से बच्चे मदर कॉल करते हैं, जिसे सुन मादा रेत हटाकर बच्चों को निकालती है और गंडक नदी में ले जाती है.

फोटो आभार - WTI
फोटो आभार - WTI

नदी की धारा से खतरा
घड़ियालों के बच्चों को जीवन बचाने के लिए कई स्तरों पर संघर्ष करना पड़ता है. हालांकि, सबसे बड़ा खतरा तो जीवनदायिनी गंडक नदी ही रहती है. इसकी मुख्यधारा में आकर कई घड़ियालों के बच्चों की मौत भी हो जाती है. इसलिए वर्ल्ड वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया के अधिकारियों ने नदी किनारे बसे किसानों और मछुआरों को विशेष तौर पर प्रशिक्षित कर, उन्हें घड़ियालों के अंडे का सरंक्षण कर उसे हैचिंग कराने का प्रशिक्षण दिया.

फोटो आभार - WTI
फोटो आभार - WTI

इसी प्रशिक्षण का नतीजा है कि गंडक नदी 86 घड़ियालों के जन्म से गुलजार हुआ है और विभाग की मेहनत रंग लाई है. इस बार कुल 94 अंडों का संरक्षण किया गया, जिनमें से 86 बच्चों ने जन्म लिया.

फोटो आभार - WTI
फोटो आभार - WTI

वेस्ट चंपारण (बेतिया) : वन एवं पर्यावरण विभाग बिहार सरकार और वर्ल्ड वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया की कवायद के बाद बिहार के लिए बड़ी खुशखबरी है. पश्चिम चंपारण जिला की सीमा में बहने वाली गंडक नदी का तट नवजात घड़ियालों से चहक उठा है. वाल्मीकि टाइगर रिजर्व इन दिनों घड़ियालों की आवाज से गुंजायमान है. इस बार घड़ियालों ने 86 बच्चों को जन्म दिया है.

ऐसा पहली बार हुआ है कि इतनी बड़ी संख्या में नवजात घड़ियालों ने जन्म लिया. खास बात यह है कि ये घड़ियाल विलुप्त हो चुके डायनासोर प्रजाति के हैं. घड़ियाल देश दुनिया से विलुप्त होने की कगार पर खड़े हैं. ऐसे में गंडक नदी में इनकी अच्छी संख्या होना एक सुखद खबर है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

घड़ियाल संरक्षण का नतीजा
बढ़ती संख्या को देखते हुए वाल्मीकि टाइगर रिजर्व में वर्ल्ड वाइल्ड ट्रस्ट ऑफ इंडिया और वन एवं पर्यावरण विभाग बिहार सरकार द्वारा घड़ियालो के लिए सुरक्षित अभ्यारण्य क्षेत्र बनाने की भी चर्चा जोरों पर है. गंडक नदी में वर्तमान समय में सैकड़ों घड़ियाल हैं.

गंडक में छोड़े गए नन्हें घड़ियाल
गंडक में छोड़े गए नन्हें घड़ियाल

गौरतलब है कि 2016 में भारतीय प्रजाति के घड़ियालों का सर्वे हुआ था, जिसमें गंडक नदी में केवल एक दर्जन ही घड़ियाल मिले थे. जबकि अब इनकी संख्या 265 हो गई है. तभी इनके बढ़ती संख्या को देखते हुए संवर्धन (पालन-पोषण ) के लिए सरकार ने कई प्रयास किए हैं.

ऐसे जन्में बच्चे
ऐसे जन्में बच्चे

गंडक नदी के इन घाटों के किनारे झुंड में इनकी उछल कूद का नजारा देख कर इलाके के लोगों में खुशी का माहौल है. गंडक नदी में पहली बार दर्जनों की तादाद में तीन घड़ियालों से 87 बच्चे जन्मे हैं. इन्हें देखकर वर्ल्ड वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया के अधिकारियों और वन एवं पर्यावरण विभाग के चेहरों पर भी खुशी है. गंडक नदी में घड़ियालों के साथ-साथ मगरमच्छ और डॉल्फिन सहित अन्य जीव-जंतुओं का निवास स्थान है.

अंडों की हैचिंग कराई गई
अंडों की हैचिंग कराई गई

घड़ियालों का प्रजनन काल
अप्रैल से जून तक घड़ियाल का प्रजनन काल रहता है. मई-जून में मादा घड़ियाल रेत में 30 से 40 सेमी का गड्ढा खोद कर 40 से लेकर 70 अंडे देती है. करीब महीने भर बाद अंडों से बच्चे मदर कॉल करते हैं, जिसे सुन मादा रेत हटाकर बच्चों को निकालती है और गंडक नदी में ले जाती है.

फोटो आभार - WTI
फोटो आभार - WTI

नदी की धारा से खतरा
घड़ियालों के बच्चों को जीवन बचाने के लिए कई स्तरों पर संघर्ष करना पड़ता है. हालांकि, सबसे बड़ा खतरा तो जीवनदायिनी गंडक नदी ही रहती है. इसकी मुख्यधारा में आकर कई घड़ियालों के बच्चों की मौत भी हो जाती है. इसलिए वर्ल्ड वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया के अधिकारियों ने नदी किनारे बसे किसानों और मछुआरों को विशेष तौर पर प्रशिक्षित कर, उन्हें घड़ियालों के अंडे का सरंक्षण कर उसे हैचिंग कराने का प्रशिक्षण दिया.

फोटो आभार - WTI
फोटो आभार - WTI

इसी प्रशिक्षण का नतीजा है कि गंडक नदी 86 घड़ियालों के जन्म से गुलजार हुआ है और विभाग की मेहनत रंग लाई है. इस बार कुल 94 अंडों का संरक्षण किया गया, जिनमें से 86 बच्चों ने जन्म लिया.

फोटो आभार - WTI
फोटो आभार - WTI
Last Updated : Jun 20, 2020, 9:45 PM IST
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