बेतिया: वैश्विक महामारी कोरोना की वजह से देश में लॉकडाउन है. इस समय सभी कारखानों के साथ-साथ सभी छोटे-बड़े उद्योग बंद हो गए हैं. रोजगार की समस्या हो गई है. दिहाड़ी मजदूरों के लिए कोई काम नहीं है. जो मजदूर दूसरे प्रदेश में काम कर रहे थे वो वापस आ गए हैं. वहीं, इस लॉक डाउन के दौरान बेतिया जिला प्रशासन ने 4 हजार दिहाड़ी मजदूरों सहित गरीबों को रोजगार दिया है. इसकी शुरुआत नौतन प्रखंड से की गई है.
बेतिया जिला प्रशासन ने बाहर से आए 3300 दिहाड़ी मजदूरों को जिला के अलग-अलग पंचायतों में रोजगार दिया है. ये रोजगार मनरेगा योजना, प्रधानमंत्री आवास योजना, जल जीवन हरियाली योजना के तहत दी गई है. जिले में कुल 315 पंचायत हैं. जिसमें से 236 पंचायतों में कुल 4000 दिहाड़ी मजदूर जॉब कार्धारियों को रोजगार दी गई है. मार्च महीने में दिल्ली, पंजाब, मुंबई अन्य प्रदेशों से आए मजदूरों को पहले क्वारंटाइन किया गया था, फिर उनकी लिस्ट बनाई गई और अब उन्हें रोजगार दिया गया है. जिला प्रशासन ने ये रोजगार जिला के सभी पंचायतों में 15 हजार तक का लक्ष्य रखा है.
हजारों मजदूरों को मिला रोजगार
डीडीसी रविंद्र प्रसाद सिंह ने बताया कि बेतिया के डीएम के नेतृत्व में जिला में अधिक से अधिक लोगों को रोजगार देने का मैप बनाया गया है. जिसकी शुरुआत के नौतन प्रखंड के चंद्रावत नदी से की गई है. इस चंद्रावत नदी की साफ सफाई की शुरुआत की गई है. लॉक डाउन के बीच में सैकड़ों मजदूरों को मनरेगा योजना, पीएम आवास योजना, जल जीवन हरियाली योजना व अन्य योजनाओं के तहत काम दिया गया है. महामारी और लॉक डाउन के बीच गरीबों को रोजगार मिला है. जिससे वो काफी खुश नजर आ रहे हैं. गरीब मजदूरों का कहना है कि इस समय काम मिला है, जिस समय सब कुछ बंद हो गया है. मजदूरी समय पर मिल रही है. हम लोग खुश हैं और सरकार को धन्यवाद दे रहे हैं.
'सभी मजदूर काफी खुश हैं'
मनरेगा कार्यक्रम पदाधिकारी प्रमोद कुमार ने बताया है कि जितने भी इस पंचायत में गरीब दिहाड़ी जॉब कार्डधारी मजदूर थे. उन्हें काम दिया गया है और ससम पर मजदूरी भुगतान किया जाएगा. वहीं, पंचायत सचिव नंदलाल यादव ने बताया कि जिला प्रशासन के इस कार्य से क्षेत्र के गरीबों और दिहाड़ी मजदूरों में खुशी की लहर है.