पश्चिम चंपारण (बगहा) : बिहार में एक बार फिर से नदियां उफान पर (Flood In Bihar) हैं. पश्चिमी चंपारण के रामनगर गर्दी दोन में पहाड़ी नदियों ने रौद्र रूप दिखाना शुरू कर दिया है. लगातार हो रही बारिश के बाद दोन में पहाड़ी नदियां उफना गई है. जिसमें 300 साल एक पुराना कुआं अचानक पानी बढ़ने की वजह से नदी के गर्भ में समा (300 years old well submerged in river) गया. बता दें कि पिछले वर्ष आई बाढ़ में यह कुआं बच गया था लेकिन इस बार यह जल की आगोश में समा गया.
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300 साल पुराना 100 फीट का गहरा कुआं बह गया : पश्चिमी चंपारण के रामनगर प्रखंड में पिछले वर्ष आई भयंकर बाढ़ गर्दी गांव की जमीन को 15 फीट के गहराई तक अपने साथ बहा ले गई (Flood In West Champaran) थी. लेकिन यहां स्थित 300 साल पुराना 100 फीट का गहरा कुआं टस से मस न हुआ था. जबकि इस बरसात में पहाड़ी नदियों के अचानक उफान पर आने की वजह से पानी की तेज धार के सामने प्राचीन कुआं अपना वजूद नहीं बचा पाया और नदी के गर्भ में समा गया.
बाढ़ की आशंका से डरे सहमे हैं ग्रामीण : बता दें कि जब पहाड़ी नदियों में पानी आता है तो उसकी करेंट काफी तेज होती है. लिहाजा तेज प्रवाह के सामने किसी का टिक पाना असम्भव होता है. इधर पहाड़ी नदियों के उफान से दोन इलाके के लोग काफी परेशान हैं. दोन इलाके से मुख्यालय आने के लिए एक ही पहाड़ी नदी को 22 बार पार करना पड़ता है और फिलहाल सभी नदियां अपने उफान पर हैं. ऐसे में ग्रामीणों की मुसीबत बढ़ गई हैं और ग्रामीण बाढ़ की आशंका से डरे सहमे हैं.
लो लैंड इलाकों में बाढ़ का खतरा : दूसरी तरफ गंडक नदी के जलस्तर में तेजी से वृद्धि (Gandak river water level increase) हो रही है. मंगलवार की दोपहर तक गंडक नदी का जलस्तर 2 लाख 80 हजार 600 पहुंच गया. जिससे लो लैंड इलाकों में बाढ़ का खतरा मंडराने लगा है. खासकर इंडो-नेपाल सीमा स्थित वाल्मीकिनगर के चकदहवा, झंडू टोली, बीन टोली और कान्हा टोली में जलस्तर बढ़ने के बाद सबसे पहले बाढ़ आती है.
''3 लाख क्यूसेक से ज्यादा पानी छोड़े जाने की संभावना है. एसएसबी द्वारा माइकिंग कराकर लोगों को सुरक्षित स्थान पर जाने का निर्देश दिया गया है. ऐसे में बाढ़ को लेकर प्रशासन मुस्तैद है. यदि चकदहवा और झंडू टोला इलाके में बाढ़ आती है तो वहां सामुदायिक किचन की व्यवस्था की जाएगी.'' - दीपक कुमार मिश्रा, एसडीएम, बगहा