वैशाली : बिहार की उप मुख्यमंत्री रेणु देवी ने केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी को 'बड़े भाई' कहकर सम्बोधित किया. अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि 'मैं अपने भाई से एक आग्रह करना चाहती हूं. बड़े भाई आप हमेशा एक्सपेरिमेंट करते रहे हैं. इथेनॉल ने तो बिहार को बहुत कुछ दिया है लेकिन आपसे हमारी विनम्र प्रार्थना है कि हमारे यहां भी मोटर वेहकिल और कुछ कार की फैक्ट्री लगवाने की कृपा करें.
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दरअसल, मंगलवार को महात्मा गांधी सेतु के पूर्वी लेन का उद्घाटन (Inauguration of Gandhi Setu) किया गया. केंद्रीय परिवहन एवं राज्यमार्ग मंत्री नितिन गडकरी (Union Minister Nitin Gadkari) व बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इसका उद्घाटन किया. इसी मौके पर उप मुख्यमंत्री रेणु देवी ने अपनी मांग रखी. उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार के शासनकाल में बिहार में सड़कों का जाल बिछा है और बिछाया जा रहा है. मैं इसके लिए नीतीश कुमार को बधाई देती हूं.
महात्मा गांधी सेतु के 1 नंबर पाया के निकट तेरसिया में बने भव्य पंडाल में भव्य उद्घाटन समारोह किया गया. इससे पहले साढ़े 5 किलोमीटर से ज्यादा लंम्बा महात्मा गांधी सेतु पुल का उद्घाटन तत्कालीन देश की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने किया था. उत्तर बिहार को राज्य की राजधानी से जोड़ने वाली महात्मा गांधी सेतु को बिहार का लाइफ लाइन भी कहा जाता है. केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उद्घाटन कार्यक्रम के दौरान फीता काटकर गांधी सेतु के पूर्वी लेन का लोकार्पण (Mahatma Gandhi Setu East Lane) किया. इसी के साथ मंगलवार से गांधी सेतु की दोनों लेनों पर आवागमन शुरू कर दिया गया.
21 सौ करोड़ की लागत से दिया गया नया लुक: 15 जून 2017 से पूर्वी लेन के निर्माण का कार्य शुरू हुआ था. जिसकी अनुमानित लागत 1382.40 करोड़ थी लेकिन बाद में यह बढ़कर लभगभ 21 सौ करोड़ हो गया है. इसके निर्माण में 66360 मीट्रिक टन स्टील, 25 लाख नट वोल्ट के अलावा 460 एलईडी लाइट भी लगाया गया है. कभी एशिया के सबसे बड़े ब्रिज का तमगा हासिल इस सेतु के बन जाने से उत्तर बिहार को बड़ी राहत मिलेगी. सेतु पर दो मीटर का फुटपाथ बनाया गया है. जिस पर साइकिल और पैदल लोग आवाजाही कर सकते है. इसके अलावा पहली बार इस सेतु में यूटिलिटी कॉरिडोर भी बनाया गया है. सेतु के पूर्वी लेन की लम्बाई 5 किलोमीटर 575 मीटर है.
1982 में इंदिरा गांधी ने किया था उद्घाटन : बता दें कि गंगा नदी पर पटना में महात्मा गांधी सेतु पुल 1982 में बनाया गया था. तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने पुल का उद्घाटन किया था. लेकन, इस पुल की स्वीकृति 1969 में भारत सरकार द्वारा दी गई थी. इसके बाद 1972 से 1982 तक पुल निर्माण का कार्य चला था. पुल 10 वर्षों में बनकर तैयार हुआ था. इसपर 87.22 करोड़ की लागत आई थी. पुल में कुल 46 पाया है. लेकिन उचित रखरखाव नहीं होने से पुल जर्जर हो गया था.
पुल के 100 साल चलने का दावा किया गया लेकिन 1991 से ही मरम्मत को लेकर इस पर चर्चा शुरू हो गई. 2014 में केंद्र और राज्य सरकार ने इसकी जीर्णोद्धार करने का फैसला लिया. सुपर स्ट्रक्चर को चेंज कर स्टील का स्ट्रक्चर लगाने का निर्णय लिया गया. जीर्णोद्धार का कार्य 2017 से शुरू हुआ. पुल के ऊपरी भाग को पूरी तरह तोड़कर स्टील का बनाने का निर्णय लिया गया. 24 साल बाद अब यह पुल दोबारा मजबूती के साथ बनकर तैयार है. पहले से ही इस पुल का पश्चिमी लेन चालू था.
'लंबा होना भी आफत है' : कार्यक्रम में संबोधन के दौरान हाजीपुर से सांसद व केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस को लंबा होने की वजह से भारी परेशानी का सामना करना पड़ा. अंत में उन्हें कहना पड़ा कि लंबा होना भी आफत है. दरअसल, गांधी सेतु के पूर्वी लेन के उद्घाटन कार्यक्रम को संबोधित करने के दौरान माइक उनके मुंह के नजदीक तक नहीं पहुंच पा रही थी. इस वजह से उन्हें परेशानी हो रही थी. इसके बाद कॉडलेस माइक मंगाई गई. फिर पशुपति पारस ने अपना संबोधन शुरू किया.
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