वैशालीः बोचहां उपचुनाव में एनडीए की हार पर केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस ने कहा कि कोई करारी हार नहीं है. कई जगह जीते हैं, एक हार ही गए तो क्या हुआ. जनता मालिक है और जनता का जो भी जनादेश है वह स्वीकार है. यह बात उन्होंने वैशाली के लालगंज में कही. वे एक श्रद्धांजलि सभा में शामिल होने पहुंचे थे. इसके बाद उन्होंने हम नेता के संरक्षक जीतन राम मांझी के बयान के बारे में भी टिप्पणी की.
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नहीं हुई करारी शिकस्तः बोचहां उपचुनाव में मिली हार के सवाल पर जवाब देते हुए केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस ने कहा कि हाल में हमने चार राज्यों में चुनाव जीते हैं. बिहार में दो स्थानों में उपचुनाव जीता है. अगर एक सीट हार भी जाते हैं, तो यह करारी हार कैसे हुई. मैं तो जनता को जनार्दन मानता हूं. जनता का जनादेश जहां होगा पार्टी वहां जीतेगी. एनडीए गठबंधन हमेशा से एकजुट होकर चुनाव लड़ रहा है. इसके साथ ही उन्होंने जीतन राम मांझी के बारे में कहा कि वे बड़े नेता हैं. वे क्या टिप्पणी कर रहे हैं और क्यों कर रहे हैं, यह उनसे सवाल करें.
बोचहां में आरजेडी की जीत: आपको बता दें कि उपचुनाव में सत्ताधारी बीजेपी और विपक्षी पार्टी आरजेडी के बीच सीधा मुकाबला था. वीआईपी पार्टी मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने में जुटी थी लेकिन बोचहां की जनता ने मुसाफिर पासवान के बेटे और आरजेडी उम्मीदवार अमर पासवान को विधायक चुना. उपचुनाव में दो छोटे दलों ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के शीर्ष नेताओं को मुश्किल में डाल दिया. जेडीयू के चलते जहां चिराग पासवान को एनडीए छोड़ना पड़ा वहीं बीजेपी के चलते मुकेश सहनी को एनडीए छोड़ना पड़ा. उपचुनाव में दोनों दलों ने पैंतरा बदला और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन को सीट गंवानी पड़ी. अमर पासवान को 82,562 वोट मिले हैं. वहीं, बीजेपी की बेबी कुमारी को 45,909 वोट और वीआईपी की गीता कुमारी को 29,279 वोट मिले.
एनडीए को झटका: बोचहां विधानसभा सीट को लेकर एनडीए में बवंडर खड़ा हुआ और अब नतीजे भी सामने आ गए. राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन में कलह की वजह से सीट राजद के खेमे में चली गई. बड़े मतों के अंतर से एनडीए को हार का सामना करना पड़ा है. दरअसल भाजपा और वीआईपी बोचहां सीट को लेकर उलझ गई. जिद में मुकेश सहनी को जहां मंत्री पद गंवाना पड़ा, वहीं एनडीए को सीटिंग सीट से हाथ धोना पड़ा. 2024 लोकसभा चुनाव से पहले बोचहां उपचुनाव के नतीजे राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के नेताओं के लिए खतरे की घंटी है. बड़े मतों के अंतर से मिली शिकस्त ने भाजपा नेताओं के चेहरे पर शिकन ला दी है.
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