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रामनवमी पर हाजीपुर के रामचौरा मंदिर में भव्य मेले का आयोजन, यहीं हुआ था भगवान राम और लक्ष्मण का मुंडन - Ram and Lakshman

हाजीपुर का रामचौरा मंदिर (Ramchaura Temple of Hajipur in Vaishali) राम भक्तों के लिए बेहद खास है. यहां प्रभु श्री राम का पद चिन्ह है. मान्यता है कि यहां राम के पद चिन्ह छूने से पाप खत्म हो जाते हैं. यहीं से रामनवमी मेले की शुरुआत भी हुई थी. रामायण में वर्णित है कि राम और लक्ष्मण गंगा पार कर यहां रुके थे. उनका मुंडन इसी जगह हुआ था. पढ़ें पूरी खबर..

रामनवमी पर भव्य मेला का आयोजन
रामनवमी पर भव्य मेला का आयोजन
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Published : Apr 10, 2022, 5:26 PM IST

वैशाली: बिहार के वैशाली में रामनवमी पर भव्य मेला (Grand Fair is Organized in Vaishali on Ram Navami) लगा है. हाजीपुर के रामचौरा मंदिर में इस मेले का आयोजन किया गया है. मान्यता है कि श्री राम के 249 प्रमुख स्थानों में 22वें नंबर पर हाजीपुर का रामचौरा मंदिर आता है. कहा तो यह भी जाता है कि रामचौरा मंदिर से ही रामनवमी मेले की शुरुआत हुई थी. राक्षसों से परेशान ऋषि-मुनियों की रक्षा के लिए गुरु वशिष्ठ, राजा दशरथ से उनके पुत्र राम और लक्ष्मण (Ram and Lakshman) को मांग कर आश्रम जाने के क्रम में गंगा नदी पार कर हाजीपुर के रामचौरा स्थान पर रुके थे. यहां राम जी और लक्ष्मण जी के सिर का मुंडन भी हुआ. राम के प्रतीक चिन्ह के रूप में इस स्थान पर राम जी का पद चिन्ह मौजूद है.

ये भी पढ़ें- रामनवमी पर बिहार के सरकारी कर्मियों को नीतीश कुमार का तोहफा, अब 34% मिलेगा महंगाई भत्ता

रामचौरा मंदिर में भव्य मेले का आयोजन: प्रत्येक वर्ष रामनवमी के अवसर पर बड़ी संख्या में यहां राम भक्तों की भीड़ जमा होती है. इस अवसर पर बेल और लाई का मेला लगाने की परंपरा है. राम जी के पद चिन्ह के दर्शन करने के लिए लोग नेपाल, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल सहित देश के विभिन्न राज्यों से यहां आते हैं. रामचौरा मंदिर में काले पत्थर पर राम जी के पद चिन्ह हैं. लगातार पूजा-पाठ से और स्पर्श करने से पद चिन्ह जब हल्का पड़ने लगा तो अयोध्या से एक सफेद पत्थर पर उकेरा गया पद चिन्ह प्रतीक के रूप में यहां स्थापित किया गया है.

राम जी के पद चिन्ह के दर्शन करने आते हैं भक्त: राम नवमी के अवसर पर आए भक्तों में शिवानी कुमारी ने बताया कि यहां राम जी के चरणों में पूजा करने का खास महत्व है. विशाखा कुमारी ने कहा कि मंदिर में वो पूजा करने आई हैं. क्योंकि हम सब जीवन में आगे बढ़े, हमें भगवान कोई कष्ट नहीं दें, पढ़ाई में आगे बढ़े. मंदिर के बारे में स्थानीय पंकज सिंह ने बताया कि राम चरित्र मानस में चर्चा है कि गुरु वशिष्ठ राम और लक्ष्मण को राजा दशरथ से राक्षसों के संघार हेतु लेकर जब लौट रहे थे तो नदी पार कर यहां रुके थे. यहां राम जी का पद चिन्ह है.

भगवान राम की पूजा करने दूर-दूर से आते हैं श्रद्धालु: पूजा-अर्चना करने आए, महावीर सिंह बताते हैं कि यहां राम जी के चरण के निशान हैं. जिनको छूने से तमाम तरह के पाप खत्म हो जाते हैं. रामचौरा मंदिर के संस्थापक छोटू बताते हैं कि यहां मेले की विधि व्यवस्था अच्छे से की गई है. नेपाल सहित अन्य राज्यों से लोग मंदिर में आते हैं. यह जगह राम जी के 249 महत्वपूर्ण स्थलों में से 22 वां स्थान रखता है. वहीं, रजनीश सिंह ने बताया कि रामचंद्र जी के पद चिन्ह का दर्शन करने, हाजीपुर के रामचौरा मंदिर आए हैं. यहां मनोकामनाएं पूर्ण होने के बाद भी लोग भगवान का आभार व्यक्त करने आते हैं.

हाजीपुर का रामचौरा मंदिर बेहद महत्वपूर्ण मंदिर माना जाता है: मंदिर की देखरेख और व्यवस्था इतनी बढ़िया नहीं है जितनी होनी चाहिए थी. राम नवमी के अवसर पर यहां दूर-दराज से लोग आते हैं. मेला भी लगता है. लेकिन रामनवमी के बाद इस मंदिर की देखरेख उस तरीके से नहीं की जाती है. ऐसे में कहा जा सकता है श्रीराम हाजीपुर के अरोड़ा में भी कहीं ना कहीं आंशिक रूप से उपेक्षित हैं.

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वैशाली: बिहार के वैशाली में रामनवमी पर भव्य मेला (Grand Fair is Organized in Vaishali on Ram Navami) लगा है. हाजीपुर के रामचौरा मंदिर में इस मेले का आयोजन किया गया है. मान्यता है कि श्री राम के 249 प्रमुख स्थानों में 22वें नंबर पर हाजीपुर का रामचौरा मंदिर आता है. कहा तो यह भी जाता है कि रामचौरा मंदिर से ही रामनवमी मेले की शुरुआत हुई थी. राक्षसों से परेशान ऋषि-मुनियों की रक्षा के लिए गुरु वशिष्ठ, राजा दशरथ से उनके पुत्र राम और लक्ष्मण (Ram and Lakshman) को मांग कर आश्रम जाने के क्रम में गंगा नदी पार कर हाजीपुर के रामचौरा स्थान पर रुके थे. यहां राम जी और लक्ष्मण जी के सिर का मुंडन भी हुआ. राम के प्रतीक चिन्ह के रूप में इस स्थान पर राम जी का पद चिन्ह मौजूद है.

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रामचौरा मंदिर में भव्य मेले का आयोजन: प्रत्येक वर्ष रामनवमी के अवसर पर बड़ी संख्या में यहां राम भक्तों की भीड़ जमा होती है. इस अवसर पर बेल और लाई का मेला लगाने की परंपरा है. राम जी के पद चिन्ह के दर्शन करने के लिए लोग नेपाल, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल सहित देश के विभिन्न राज्यों से यहां आते हैं. रामचौरा मंदिर में काले पत्थर पर राम जी के पद चिन्ह हैं. लगातार पूजा-पाठ से और स्पर्श करने से पद चिन्ह जब हल्का पड़ने लगा तो अयोध्या से एक सफेद पत्थर पर उकेरा गया पद चिन्ह प्रतीक के रूप में यहां स्थापित किया गया है.

राम जी के पद चिन्ह के दर्शन करने आते हैं भक्त: राम नवमी के अवसर पर आए भक्तों में शिवानी कुमारी ने बताया कि यहां राम जी के चरणों में पूजा करने का खास महत्व है. विशाखा कुमारी ने कहा कि मंदिर में वो पूजा करने आई हैं. क्योंकि हम सब जीवन में आगे बढ़े, हमें भगवान कोई कष्ट नहीं दें, पढ़ाई में आगे बढ़े. मंदिर के बारे में स्थानीय पंकज सिंह ने बताया कि राम चरित्र मानस में चर्चा है कि गुरु वशिष्ठ राम और लक्ष्मण को राजा दशरथ से राक्षसों के संघार हेतु लेकर जब लौट रहे थे तो नदी पार कर यहां रुके थे. यहां राम जी का पद चिन्ह है.

भगवान राम की पूजा करने दूर-दूर से आते हैं श्रद्धालु: पूजा-अर्चना करने आए, महावीर सिंह बताते हैं कि यहां राम जी के चरण के निशान हैं. जिनको छूने से तमाम तरह के पाप खत्म हो जाते हैं. रामचौरा मंदिर के संस्थापक छोटू बताते हैं कि यहां मेले की विधि व्यवस्था अच्छे से की गई है. नेपाल सहित अन्य राज्यों से लोग मंदिर में आते हैं. यह जगह राम जी के 249 महत्वपूर्ण स्थलों में से 22 वां स्थान रखता है. वहीं, रजनीश सिंह ने बताया कि रामचंद्र जी के पद चिन्ह का दर्शन करने, हाजीपुर के रामचौरा मंदिर आए हैं. यहां मनोकामनाएं पूर्ण होने के बाद भी लोग भगवान का आभार व्यक्त करने आते हैं.

हाजीपुर का रामचौरा मंदिर बेहद महत्वपूर्ण मंदिर माना जाता है: मंदिर की देखरेख और व्यवस्था इतनी बढ़िया नहीं है जितनी होनी चाहिए थी. राम नवमी के अवसर पर यहां दूर-दराज से लोग आते हैं. मेला भी लगता है. लेकिन रामनवमी के बाद इस मंदिर की देखरेख उस तरीके से नहीं की जाती है. ऐसे में कहा जा सकता है श्रीराम हाजीपुर के अरोड़ा में भी कहीं ना कहीं आंशिक रूप से उपेक्षित हैं.

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