वैशाली: जिले में अपराध का ग्राफ अपने चरम सीमा पर है. अपराधियों का मनोबल इतना बढ़ गया है कि जिले के किसी भी क्षेत्र में इनके लिये हत्या, लूटपाट, रंगदारी, छिनतई और चोरी जैसी घटनाओं को अंजाम देना आसान हो गया है. हर महीने यहां मर्डर और लूट की घटनाओं में तेजी से वृद्धि हुई है. जुलाई महीने में इस जिले में 18 हत्या और एक दर्जन लूट की घटना हो चुकी है. इससे जिले के व्यवसाईयों से लेकर आम आदमी में भय का माहौल है.
व्यवसाई और जनता प्रशासन से नाराज
जिले में तेजी से बढ़ते अपराध को लेकर समय-समय पर व्यवसाईयों से लेकर सत्तारूढ़ दल के नेता धरना प्रदर्शन करते आ रहे हैं. इसके बावजूद पुलिस अपराधों पर नियंत्रण करने में विफल साबित हो रही है. स्थानीय व्यवसायियों और जनता की बात मानें तो पुलिस की सक्रियता नहीं के बराबर है. लोगों ने नाराजगी भरे अंदाज में कहा कि पुलिस सिर्फ दूसरे राज्य के वाहन को देखकर अपनी मोटी कमाई में लगी रहती है. उनको अपराध पर नियंत्रण से कोई लेना देना नहीं है. शहर के कामकाजी महिलाओं की बात मानें तो वे घर से अपने कार्यालय तक आवागमन करने में खुद को सुरक्षित महसूस नहीं करती.
'सजग नहीं है पुलिस'
वैशाली में अन्य जिलों से ज्यादा अपराध हो रहे हैं. इसको लेकर बिहार के डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय द्वारा गठित सेल टीम जिसमें आईजी गणेश कुमार सहित चार डीएसपी की ओर से पिछले दिनों शहर में तीन दिन तक कैम्प लगा हुआ था. इसमें जिला के एसपी मानवजीत सिंह ढिल्लो को कड़े निर्देश भी दिए गए थे. जिसका असर जिले के प्रमुख चौक-चौराहों पर कुछ दिनों तक वाहन और बाइक की चेकिंग के रूप में देखा गया. लेकिन फिर पुलिस ने कुछ दिनों बाद पेट्रोलिंग करना छोड़ दिया. यही वजह है कि एक बार फिर से अपराध ग्राफ में इजाफा हुआ है.
पुलिस करती है हर सम्भव कोशिशः एसपी
वहीं, जिले के पुलिस कप्तान मानवजीत सिंह ढिल्लो ने कहा कि अपराध को नियंत्रित करने के लिये पुलिस जो भी सम्भव है वो कर रही है. उन्होंने बढ़ते अपराध को चुनौती मानते हुए कहा कि अपराधी यदि क्राइम करते हैं तो उनकी गिरफ्तारी भी होती है और वे जेल की सलाखों के पीछे भी पहुंचाए जाते हैं. ईटीवी भारत ने पड़ताल करने पर यह पाया कि अब मुख्यालय से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में पुलिस की गतिविधियां बढ़ गई हैं. देर रात के अंधेरे में भी पुलिस के जवान अपने क्षेत्र में ड्यूटी पर नजर आते हैं, लेकिन यह स्थिति ज्यादा दिनों तक कायम नहीं रहती.