ETV Bharat / bharat

'जो दलितों की बात करेगा...' संविधान दिवस कार्यक्रम में माइक बंद होने पर बोले राहुल गांधी - RAHUL GANDHI

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने संविधान दिवस कार्यक्रम में कहा कि 90 फीसदी हिंदुस्तान की आबादी पिछड़ों-दलितों-आदिवासी वर्ग से आती है.

संविधान दिवस कार्यक्रम में पहुंचे राहुल गांधी
संविधान दिवस कार्यक्रम में पहुंचे राहुल गांधी (ANI)
author img

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Nov 26, 2024, 3:05 PM IST

Updated : Nov 26, 2024, 6:56 PM IST

नई दिल्ली: कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और लोकसभा ने नेता विपक्ष राहुल गांधी मंगलवार को संविधान दिवस कार्यक्रम में भाग लेने के लिए तालकटोरा स्टेडियम पहुंचे. इस दौरान, जब नेता प्रतिपक्ष भाषण दे रहे थे, तभी अचानक उनका माइक बंद हो गया. हालांकि, कुछ ही देर बाद माइक फिर से ऑन हो गया.

माइक बंद होने के बाद उन्होंने कहा कि जो भी इस देश में 3 हजार साल से दलितों की, आदिवासियों की बात करता है, उसका माइक ऑफ हो जाता है. काफी लोग आए, कहने लगे जाकर बैठ जाइए, मैंने कहा कि मैं खड़ा रहूंगा. मैंने कहा कि माइक जितना ऑफ करना है करो, मैं खड़ा रहूंगा. यहां रोहित वेमुला की तस्वीर लगी है, वह भी बोलना चाहते थे, लेकिन उन्हें भी चुप करवा दिया गया.

पूरा सिस्टम पिछड़ों-दलितों के खिलाफ
नेता विपक्ष ने कहा कि हर दिन आदिवासी, दलित, पिछड़े वर्ग का युवा डॉक्टर-इंजीनियर, जर्नलिस्ट और अफसर बनने का सपना देखा है, लेकिन देश का पूरा सिस्टम पिछड़ों-दलितों-आदिवासियों के खिलाफ खड़ा है. हिंदुस्तान की 200 सबसे बड़ी कंपनियों की लिस्ट में एक दलित-ओबीसी-पिछड़ा नहीं मिलता.

माइक बंद होने से पहले राहुल गांधी ने लोगों अपने भाषण में कहा कि अगर हिंदुस्तान की जनगणना को देखें तो 15 फीसदी दलित हैं, 15 फीसदी अल्पसंख्यक हैं, लेकिन पिछड़े वर्ग के कितने लोग हैं ये नहीं पता. पिछड़ा वर्ग 50 फीसदी से कम नहीं है. उन्होंने कहा कि15 फीसदी दलित, 8 फीसदी आदिवासी, 15 फीसदी अल्पसंख्यक. 90 फीसदी हिंदुस्तान की आबादी इन वर्गों में से आती है.

'यह सत्य और अहिंसा की किताब'
कांग्रेस सांसद ने कहा, "क्या इसमें (संविधान में) सावरकर जी की आवाज है? क्या इसमें कहीं लिखा है कि हिंसा का इस्तेमाल किया जाना चाहिए, लोगों को मारा जाना चाहिए या झूठ का इस्तेमाल करके सरकार चलानी चाहिए? यह सत्य और अहिंसा की किताब है."

उन्होंने बताया, "कुछ दिन पहले हमने तेलंगाना में जाति जनगणना का काम शुरू किया है और यह नौकरशाही का काम नहीं है.पहली बार तेलंगाना में जाति जनगणना को सार्वजनिक किया गया है. जो सवाल पूछे जा रहे हैं, वे बंद कमरे में 10-15 लोगों द्वारा नहीं चुने जा रहे हैं, वे दलित, आदिवासी, पिछड़े वर्ग के लोग, गरीब, सामान्य जाति के लोग, अल्पसंख्यक लोग, सभी लोग हैं और तेलंगाना के लोगों ने जनगणना की रूपरेखा तैयार की है."

यह भी पढ़ें- अब संस्कृत और मैथिली में भी पढ़ सकेंगे संविधान, राष्ट्रपति के साथ पूरी सभा ने संविधान की प्रस्तावना का पाठ किया

नई दिल्ली: कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और लोकसभा ने नेता विपक्ष राहुल गांधी मंगलवार को संविधान दिवस कार्यक्रम में भाग लेने के लिए तालकटोरा स्टेडियम पहुंचे. इस दौरान, जब नेता प्रतिपक्ष भाषण दे रहे थे, तभी अचानक उनका माइक बंद हो गया. हालांकि, कुछ ही देर बाद माइक फिर से ऑन हो गया.

माइक बंद होने के बाद उन्होंने कहा कि जो भी इस देश में 3 हजार साल से दलितों की, आदिवासियों की बात करता है, उसका माइक ऑफ हो जाता है. काफी लोग आए, कहने लगे जाकर बैठ जाइए, मैंने कहा कि मैं खड़ा रहूंगा. मैंने कहा कि माइक जितना ऑफ करना है करो, मैं खड़ा रहूंगा. यहां रोहित वेमुला की तस्वीर लगी है, वह भी बोलना चाहते थे, लेकिन उन्हें भी चुप करवा दिया गया.

पूरा सिस्टम पिछड़ों-दलितों के खिलाफ
नेता विपक्ष ने कहा कि हर दिन आदिवासी, दलित, पिछड़े वर्ग का युवा डॉक्टर-इंजीनियर, जर्नलिस्ट और अफसर बनने का सपना देखा है, लेकिन देश का पूरा सिस्टम पिछड़ों-दलितों-आदिवासियों के खिलाफ खड़ा है. हिंदुस्तान की 200 सबसे बड़ी कंपनियों की लिस्ट में एक दलित-ओबीसी-पिछड़ा नहीं मिलता.

माइक बंद होने से पहले राहुल गांधी ने लोगों अपने भाषण में कहा कि अगर हिंदुस्तान की जनगणना को देखें तो 15 फीसदी दलित हैं, 15 फीसदी अल्पसंख्यक हैं, लेकिन पिछड़े वर्ग के कितने लोग हैं ये नहीं पता. पिछड़ा वर्ग 50 फीसदी से कम नहीं है. उन्होंने कहा कि15 फीसदी दलित, 8 फीसदी आदिवासी, 15 फीसदी अल्पसंख्यक. 90 फीसदी हिंदुस्तान की आबादी इन वर्गों में से आती है.

'यह सत्य और अहिंसा की किताब'
कांग्रेस सांसद ने कहा, "क्या इसमें (संविधान में) सावरकर जी की आवाज है? क्या इसमें कहीं लिखा है कि हिंसा का इस्तेमाल किया जाना चाहिए, लोगों को मारा जाना चाहिए या झूठ का इस्तेमाल करके सरकार चलानी चाहिए? यह सत्य और अहिंसा की किताब है."

उन्होंने बताया, "कुछ दिन पहले हमने तेलंगाना में जाति जनगणना का काम शुरू किया है और यह नौकरशाही का काम नहीं है.पहली बार तेलंगाना में जाति जनगणना को सार्वजनिक किया गया है. जो सवाल पूछे जा रहे हैं, वे बंद कमरे में 10-15 लोगों द्वारा नहीं चुने जा रहे हैं, वे दलित, आदिवासी, पिछड़े वर्ग के लोग, गरीब, सामान्य जाति के लोग, अल्पसंख्यक लोग, सभी लोग हैं और तेलंगाना के लोगों ने जनगणना की रूपरेखा तैयार की है."

यह भी पढ़ें- अब संस्कृत और मैथिली में भी पढ़ सकेंगे संविधान, राष्ट्रपति के साथ पूरी सभा ने संविधान की प्रस्तावना का पाठ किया

Last Updated : Nov 26, 2024, 6:56 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.