वैशाली: देशभर में नवरात्रि को लेकर लोगों में खास उत्साह देखा जा रहा है. वैशाली में दुर्गा पूजा को लेकर बच्चों के कोमल मन में आस्था की अनोखी लौ देखी गई है. बच्चे कुछ ऐसा कर जाते ही जिसकी चर्चा खास हो जाती है. हम बात कर रहे हैं महनार वाड नंबर 11 की जहां 8 वर्ष से 15 वर्ष तक के लगभग आधे दर्जन बच्चों की टोली मां दुर्गा की अद्भुत तरीके से पूजा करती है. इनकी आस्था का अनुमान इस बात से लगाया जा सकता है कि घर से चॉकलेट खाने के लिए मिलने वाले पैसों को बचाकर ये विधिवत मां दुर्गा की पूजा करते है.
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बच्चों ने खुद से बनाई मां दुर्गा की प्रतिमा: सबसे मजेदार बात यह है कि इन्हीं बच्चों में से एक अभिषेक कुमार ने खुद ही मां दुर्गा की प्रतिमा भी बनाई है. प्रतिमा बनाने के लिए वह गांव के आसपास मिलने वाले सामानो का प्रयोग करता है. जिसमें इसके साथ अन्य बच्चे भी पूरा सहयोग करते हैं. कुछ सामान इन बच्चों को बाहर से खरीदने पड़ते हैं. जिसके लिए यह बचाए गए पॉकेट मनी का उपयोग करते हैं. इतना ही नही इन्हीं बच्चों के द्वारा दुर्गा सप्तशती को पढ़कर मां दुर्गा की विधिवत पूजा अर्चना और आरती की जाती है.
दो वर्षों से कर रहे पूजा: पिछले दो वर्षों से यह बच्चे दुर्गा पूजा करते आ रहे हैं. उनकी आस्था को देखकर आसपास के लोग भी इन्हें सपोर्ट करने लगे हैं. बच्चों के द्वारा की जा रही दुर्गा पूजा की चर्चा अब महनार के वार्ड नंबर 11 से निकलकर दूर दराज के इलाकों तक पहुंच गई है. इस विषय में अभिषेक की मां विमला देवी ने बताया कि बहुत खुशी मिलती है कि बच्चे लोग पढ़ाई करते है साथ ही उन्होंने खुद से मूर्ति बनाई है.
"बहुत खुशी मिलती है कि बच्चे पढ़ाई के साथ मूर्ति बनाई है. यह साल भर पैसा जमा करके मूर्ति बना लेते हैं. बचपन से ही शौक है बच्चों को मूर्ति बनाने का. गांव के अन्य लड़के खुद से सहयोग करते हैं सब मिलकर पैसा जमा करते है. बच्चे खुद से मूर्ति बनाते हैं कोई मिस्त्री या कोई अन्य नहीं आता है." - विमला देवी, अभिषेक की मां
पढ़ाई के साथ बच्चे बनाते हैं मूर्ति: मूर्ति बनाने और पूजा पाठ के विषय में अभिषेक का कहना है कि मन में आया कि जैसे बड़ी-बड़ी मूर्ति बनती है उसी को देख कर हम भी छोटी मूर्ती बना सकते हैं. हमलोग पढ़ाई करते हैं. वहीं स्थानीय रंजीत कुमार ने बताया कि बहुत अच्छा लगता है मोहल्ला के बच्चे मिलकर पूजा करते हैं. महनार के वार्ड नंबर 11 में इन बच्चों ने अपने हाथों से दुर्गा जी की मूर्ति बनाई है. इन्हें देखकर मन खुश हो गया.
"मैंने बाहर मां दुर्गा की प्रतिमा देखी मन में आया कि हमें भी बनाना चाहिए तो हमने भी बना लिया. हम सभी बच्चे पढ़ाई करते हैं. तस्वीर में से देख कर हम मूर्ति बना लेते हैं. खर्चा ज्यादा नहीं होता है कुछ सामान गांव मेंमिल जाता है, कुछ बच्चे लोग चंदा देते हैं. बहुत खुशी होती है, हम लोग 2 साल से कर रहे हैं." - अभिषेक कुमार, मूर्तिकार