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आज सुपौल में बाढ़ पूर्व तैयारियों का जायजा लेंगे सीएम नीतीश - सुपौल में बाढ़ पूर्व तैयारियों का जायजा

सीएम नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) आज सुपौल में बाढ़ पूर्व तैयारियों का जायजा लेंगे. वे अब बिहार के बाढ़ प्रभावित जिलों में तैयारियों की समीक्षा की शुरुआत कर रहे हैं. जल संसाधन मंत्री संजय झा लगातार सभी प्रमंडल में बाढ़ पूर्व तैयारियों का पिछले कई दिनों से जायजा ले रहे हैं.

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Published : May 13, 2022, 12:36 PM IST

पटना: बिहार में बाढ़ (Flood in Bihar) से निपटने की तैयारियों का अभी से जायाज लेने का सिलसिला शुरू हो गया है. सीएम नीतीश कुमार आज सुपौल में बाढ़ पूर्व तैयारियो का जायजा (Pre flood preparations in Supaul) लेंगे. वे बाढ़ से पहले जल संसाधन विभाग की तैयारियों का जायजा आज से शुरू कर रहे हैं. मुख्यमंत्री गुरुवार को पटना के कई संप हाउसों का निरीक्षण किया था. बरसात पूर्व तैयारियों को लेकर दिशा-निर्देश भी दिये थे. 31 मई तक सभी सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट को पूरा कर लेने का निर्देश भी दिया है. वहीं, सैदपुर नाले की और अधिक गहराई करने का भी निर्देश दिया है जिससे बरसात का पानी आसानी से निकल सके.

ये भी पढ़ें: बिहार में फिर से मंडराने लगा है बाढ़ का खतरा, जल संसाधन मंत्री का दावा- 'है पूरी तैयारी'

अब वे उत्तर बिहार में जल संसाधन विभाग की तैयारियों का जायजा लेने अभियान आज से शुरु कर रहे हैं. जल संसाधन मंत्री संजय झा (Minister Sanjay Jha) लगातार सभी प्रमंडलों में बाढ़ पूर्व तैयारियों का पिछले कई दिनों से जायजा ले रहे हैं. जल संसाधन विभाग का दावा है कि इस बार तैयारी पूरी है. कई तरह के आधुनिक टेक्नोलॉजी का भी प्रयोग किया गया है. उत्तर बिहार के 1 दर्जन से अधिक जिलों में हर साल बाढ़ आती है. कोसी, गंडक, बागमती नदियों में नेपाल से आने वाले पानी के कारण तबाही मचाती है. ऐसे तो हर साल तैयारियों को लेकर बड़ी राशि खर्च की जाती है. बड़े-बड़े दावे भी किये जाते हैं लेकिन लोगों की मुश्किल कम नहीं हो रही है. अब देखना है इस बार की तैयारी किस तरह की है और लोगों को कितनी राहत मिलती है.

पिछले साल 6.64 लाख हेक्टेयर फसल को नुकासान: पिछले साल बाढ़ से लगभग 80 लाख की आबादी प्रभावित हुई थी. 21 जिलों के 294 प्रखंडों में बाढ़ ने तबाही मचायी थी. 6.64 लाख हेक्टेयर फसल की क्षति हुई थी और राज्य सरकार की तरफ से 900 करोड़ रुपए से अधिक की राशि का बाढ़ प्रभावितों के बीच भुगतान किया गया था. ऐसे तो जल संसाधन विभाग के मंत्री का दावा है कि बाढ़ से निपटने की पूरी तैयारी हो रही है. आधुनिक टेक्नोलॉजी का भी प्रयोग किया जा रहा है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी कहा है कि अब हम लोगों का पूरा ध्यान 3 से 4 महीने आपदा पर ही रहेगा. जल्द ही उसकी बैठक भी करेंगे. जल संसाधन विभाग की ओर से बाढ़ की जानकारी, बचाव और सुरक्षा को लेकर आधुनिक तकनीक का प्रयोग किया जा रहा है. तटबंद पर स्टील शीट पाइलिंग तकनीक का भी उपयोग किया जा रहा है. इसके बावजूद इन सब का कितना असर होता है, यह देखने वाली बात है.

बिहार में बाढ़ प्रमुख कारण:
1. नेपाल में अत्यधिक बारिश के कारण बिहार में नदियों में उफान आता है और इसके कारण बाढ़ आती है.
2. नेपाल में डैम बनाने की चर्चा लंबे समय से हो रही है. समझौता भी हुआ है लेकिन डैम अब तक नहीं बना.
3. प्रमुख नदियों में गाद भी एक बड़ी समस्या है.
4. नदियों को जोड़ने की योजना भी लंबे समय से चर्चा में है लेकिन जमीन पर अभी तक किसी पर काम नहीं हो रहा है.
5. कई नदियों पर तटबंध भी आधा अधूरा है. बागमती नदी का तटबंध पिछले कई सालों से बन रहा है.

बिहार में बाढ़ का सबसे बड़ा कारण नेपाल से आने वाला बारिश का पानी है. कोसी, बागमती, बूढ़ी गंडक सहित कई नदियां नेपाल में अप्रत्याशित बारिश के कारण बाढ़ लाती हैं. नेपाल में डैम बनाने की चर्चा भी लंबे समय से हो रही है. अभी हाल में नेपाल के शिष्टमंडल ने पटना में अधिकारियों के साथ बैठक भी की थी. डैम बनाने को लेकर भारत और नेपाल के बीच समझौता भी है लेकिन बात आगे नहीं बढ़ी है. यहां तक कि नेपाल के लोगों ने डैम के लिए सर्वे तक नहीं करने दिया है.

ये भी पढ़ें: सांसद रामकृपाल यादव ने बाढ़ से पहले कई गांवों का किया दौरा, कहा- बांध पर नजर रखें अधिकारी

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पटना: बिहार में बाढ़ (Flood in Bihar) से निपटने की तैयारियों का अभी से जायाज लेने का सिलसिला शुरू हो गया है. सीएम नीतीश कुमार आज सुपौल में बाढ़ पूर्व तैयारियो का जायजा (Pre flood preparations in Supaul) लेंगे. वे बाढ़ से पहले जल संसाधन विभाग की तैयारियों का जायजा आज से शुरू कर रहे हैं. मुख्यमंत्री गुरुवार को पटना के कई संप हाउसों का निरीक्षण किया था. बरसात पूर्व तैयारियों को लेकर दिशा-निर्देश भी दिये थे. 31 मई तक सभी सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट को पूरा कर लेने का निर्देश भी दिया है. वहीं, सैदपुर नाले की और अधिक गहराई करने का भी निर्देश दिया है जिससे बरसात का पानी आसानी से निकल सके.

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अब वे उत्तर बिहार में जल संसाधन विभाग की तैयारियों का जायजा लेने अभियान आज से शुरु कर रहे हैं. जल संसाधन मंत्री संजय झा (Minister Sanjay Jha) लगातार सभी प्रमंडलों में बाढ़ पूर्व तैयारियों का पिछले कई दिनों से जायजा ले रहे हैं. जल संसाधन विभाग का दावा है कि इस बार तैयारी पूरी है. कई तरह के आधुनिक टेक्नोलॉजी का भी प्रयोग किया गया है. उत्तर बिहार के 1 दर्जन से अधिक जिलों में हर साल बाढ़ आती है. कोसी, गंडक, बागमती नदियों में नेपाल से आने वाले पानी के कारण तबाही मचाती है. ऐसे तो हर साल तैयारियों को लेकर बड़ी राशि खर्च की जाती है. बड़े-बड़े दावे भी किये जाते हैं लेकिन लोगों की मुश्किल कम नहीं हो रही है. अब देखना है इस बार की तैयारी किस तरह की है और लोगों को कितनी राहत मिलती है.

पिछले साल 6.64 लाख हेक्टेयर फसल को नुकासान: पिछले साल बाढ़ से लगभग 80 लाख की आबादी प्रभावित हुई थी. 21 जिलों के 294 प्रखंडों में बाढ़ ने तबाही मचायी थी. 6.64 लाख हेक्टेयर फसल की क्षति हुई थी और राज्य सरकार की तरफ से 900 करोड़ रुपए से अधिक की राशि का बाढ़ प्रभावितों के बीच भुगतान किया गया था. ऐसे तो जल संसाधन विभाग के मंत्री का दावा है कि बाढ़ से निपटने की पूरी तैयारी हो रही है. आधुनिक टेक्नोलॉजी का भी प्रयोग किया जा रहा है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी कहा है कि अब हम लोगों का पूरा ध्यान 3 से 4 महीने आपदा पर ही रहेगा. जल्द ही उसकी बैठक भी करेंगे. जल संसाधन विभाग की ओर से बाढ़ की जानकारी, बचाव और सुरक्षा को लेकर आधुनिक तकनीक का प्रयोग किया जा रहा है. तटबंद पर स्टील शीट पाइलिंग तकनीक का भी उपयोग किया जा रहा है. इसके बावजूद इन सब का कितना असर होता है, यह देखने वाली बात है.

बिहार में बाढ़ प्रमुख कारण:
1. नेपाल में अत्यधिक बारिश के कारण बिहार में नदियों में उफान आता है और इसके कारण बाढ़ आती है.
2. नेपाल में डैम बनाने की चर्चा लंबे समय से हो रही है. समझौता भी हुआ है लेकिन डैम अब तक नहीं बना.
3. प्रमुख नदियों में गाद भी एक बड़ी समस्या है.
4. नदियों को जोड़ने की योजना भी लंबे समय से चर्चा में है लेकिन जमीन पर अभी तक किसी पर काम नहीं हो रहा है.
5. कई नदियों पर तटबंध भी आधा अधूरा है. बागमती नदी का तटबंध पिछले कई सालों से बन रहा है.

बिहार में बाढ़ का सबसे बड़ा कारण नेपाल से आने वाला बारिश का पानी है. कोसी, बागमती, बूढ़ी गंडक सहित कई नदियां नेपाल में अप्रत्याशित बारिश के कारण बाढ़ लाती हैं. नेपाल में डैम बनाने की चर्चा भी लंबे समय से हो रही है. अभी हाल में नेपाल के शिष्टमंडल ने पटना में अधिकारियों के साथ बैठक भी की थी. डैम बनाने को लेकर भारत और नेपाल के बीच समझौता भी है लेकिन बात आगे नहीं बढ़ी है. यहां तक कि नेपाल के लोगों ने डैम के लिए सर्वे तक नहीं करने दिया है.

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