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इस गांव में आज भी 20 से 30 फीट पर मिलता है पानी, ये है खास वजह

पानी के लिए मचे हाहाकार के बीच बिहार के जमुई जिले में एक गांव ऐसा है, जहां महज 20 से 30 फीट पर आसानी से पानी मिल रहा है. ईटीवी भारत ने इसके पीछे के रहस्य का पता लगाया है.

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Published : Jun 1, 2019, 7:25 PM IST

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जमुई: जहां एक ओर गर्मियों में पानी का जलस्तर 130 से 150 फीट गहराई तक पहुंच चुका है. वहीं, जमुई के एक गांव में आज भी महज 20 से 30 फीट पर पानी आसानी से मिल रहा है. यह पानी ना सिर्फ पीने के लिए बल्कि खेतों के पटवन के प्रयोग में भी लाया जा रहा है. आईये जानते हैं उस वजह के बारे में, जिससे इस गांव में पानी इतने कम स्तर में मिल रहा है.

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आसानी से मिलता है पानी

जिले के वरहट प्रखंड स्थित केड़िया गांव में जलस्तर बहुत अच्छा है. यहां महज 20 से 30 फीट पर पर्याप्त पानी उपलब्ध है. ईटीवी भारत ने इस गांव में जाकर इसके पीछे का रहस्य जाना, तो पता चला यहां के किसानों की सूझबूझ और अथक प्रयास से ये संभव हो रहा है. किसानों का कहना है कि आसानी से मिलने वाले पानी से हम सब्जियां और फसलें पैदा कर रहे हैं.

जानकारी देते किसान

क्या है रहस्य...

  1. जैविक खेती कर फसल और सब्जी उपजा रहे हैं गांव के किसान ( रासायनिक खेती का बहिष्कार कर दिया है ).
  2. गांव में बोरिंग का बहिष्कार कर दिया गया है. अनाप शनाप बोरिंग के कारण ही पानी बर्बाद हो रहा है. इससे जल स्तर नीचे जा रहा है.
  3. जैविक खेती से जल संरक्षण का नाता है. इससे खेतों की मिट्टी में नमी बनी रहती है.
  4. छोटे-छोटे तालाब बनाकर वर्षा का पानी जमा किया जा सकता है. नहर में जगह-जगह चैक डैम बनाकर भी पानी रोके रखा जा सकता है. बर्बाद होने से बचाया जा सकता है.
  5. केड़िया के किसान संगठित है, जिस कारण सरकार से कुछ सहयोग मिल पा रहा है.
  6. केड़िया के किसानों का कहना है कि जल संरक्षण और जैविक खेती की जानकारी हम लोग आसपास के गांवों के किसानों से सांझा करते है. लेकिन सरकार अगर प्रयास करे, तो बड़े पैमाने पर अन्य गांवों के किसानों को भी लाभ पहुंचेगा.

जरूरी है ये पहल
आस-पास के गांव में सरकार की योजनाओं का फायदा नहीं पहुंच रहा है. सरकार की हर घर, नल जल योजना कहां तक सक्सेस है या हो पाएगी. ये अभी देखना बाकी है. लेकिन जमुई के केड़िया गांव के किसानों की पहल अगर सभी गांवों में सुचारू रूप से लागू हो जाए, तो वो दिन दूर नहीं कि लोगों को आसानी से पानी मिल जाएगा.

जमुई: जहां एक ओर गर्मियों में पानी का जलस्तर 130 से 150 फीट गहराई तक पहुंच चुका है. वहीं, जमुई के एक गांव में आज भी महज 20 से 30 फीट पर पानी आसानी से मिल रहा है. यह पानी ना सिर्फ पीने के लिए बल्कि खेतों के पटवन के प्रयोग में भी लाया जा रहा है. आईये जानते हैं उस वजह के बारे में, जिससे इस गांव में पानी इतने कम स्तर में मिल रहा है.

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आसानी से मिलता है पानी

जिले के वरहट प्रखंड स्थित केड़िया गांव में जलस्तर बहुत अच्छा है. यहां महज 20 से 30 फीट पर पर्याप्त पानी उपलब्ध है. ईटीवी भारत ने इस गांव में जाकर इसके पीछे का रहस्य जाना, तो पता चला यहां के किसानों की सूझबूझ और अथक प्रयास से ये संभव हो रहा है. किसानों का कहना है कि आसानी से मिलने वाले पानी से हम सब्जियां और फसलें पैदा कर रहे हैं.

जानकारी देते किसान

क्या है रहस्य...

  1. जैविक खेती कर फसल और सब्जी उपजा रहे हैं गांव के किसान ( रासायनिक खेती का बहिष्कार कर दिया है ).
  2. गांव में बोरिंग का बहिष्कार कर दिया गया है. अनाप शनाप बोरिंग के कारण ही पानी बर्बाद हो रहा है. इससे जल स्तर नीचे जा रहा है.
  3. जैविक खेती से जल संरक्षण का नाता है. इससे खेतों की मिट्टी में नमी बनी रहती है.
  4. छोटे-छोटे तालाब बनाकर वर्षा का पानी जमा किया जा सकता है. नहर में जगह-जगह चैक डैम बनाकर भी पानी रोके रखा जा सकता है. बर्बाद होने से बचाया जा सकता है.
  5. केड़िया के किसान संगठित है, जिस कारण सरकार से कुछ सहयोग मिल पा रहा है.
  6. केड़िया के किसानों का कहना है कि जल संरक्षण और जैविक खेती की जानकारी हम लोग आसपास के गांवों के किसानों से सांझा करते है. लेकिन सरकार अगर प्रयास करे, तो बड़े पैमाने पर अन्य गांवों के किसानों को भी लाभ पहुंचेगा.

जरूरी है ये पहल
आस-पास के गांव में सरकार की योजनाओं का फायदा नहीं पहुंच रहा है. सरकार की हर घर, नल जल योजना कहां तक सक्सेस है या हो पाएगी. ये अभी देखना बाकी है. लेकिन जमुई के केड़िया गांव के किसानों की पहल अगर सभी गांवों में सुचारू रूप से लागू हो जाए, तो वो दिन दूर नहीं कि लोगों को आसानी से पानी मिल जाएगा.

Intro:जमुई चहुंओर पानी के लिए मचा है हहाकार ऐसा भीषण सुखाड़ पानी का जलस्तर कहीं 110 तो कही 130 तक जा रहा है चापाकल बोरिंग फेल हो रहा है पीने के लिए शुद्ध पानी भी पर्याप्त मात्रा में नहीं मिल रहा है ऐसे में जमुई के वरहट प्रखंड अंतर्गत केड़िया गांव के किसान की सूझबूझ और अथक प्रयास से आज भी पूरे गांव में कुंऐ में महज 20 से 30 फीट पर पर्याप्त पानी उपलब्ध है न सिर्फ पीने के लिए बल्कि यहां के किसान आज भी खेतों का पटवन कर सब्जी और फसल उपजा रहे है


Body:जमुई " केड़िया गांव का रहस्य आज भी 30 फीट पर पर्याप्त पानी उपलब्ध है जबकि भीषण गर्मी और सुखाड़ के कारण पानी के लिए हाहाकार मचा है " etv bharat की ग्राउंड रिपोर्ट ( एक्सक्लुसिव खबर )

जमुई जल संरक्षण के उपाय बता रहे केड़िया गांव के किसान

जमुई एक देश के कई राज्यो में पीने के पानी के लिए हाहाकार मचा है पानी का जल स्तर काफी नीचे जा चुका है लोगों को पीने का शुद्ध पानी नहीं मिल रहा है

ऐसे में जमुई के वरहट प्रखंड अंतर्गत केड़िया गांव में पीने का पानी भी आसानी से उपलब्ध है बल्कि सब्जी और फसल का पटवन भी खेतों में कर रहे है जमुई के 10 प्रखंड में कई ग्रामीण इलाकों में पेयजल की गंभीर समस्या उत्पन्न हो गई है चापाकल बोरिंग फेल हो रहे है जमीन का जल स्तर तेजी से नीचे जा रहा है ऐसे में भी जमुई वरहट प्रखंड अंतर्गत केड़िया गांव के कुंऐ में महज 20 से 30 फीट पर पानी उपलब्ध है

etv bharat के रिपोर्टर ने केड़िया गांव का दौरा किया और जीरो ग्राउंड पर जाकर न सिर्फ कुऐं में पर्याप्त मात्रा में पानी देखा बल्कि वहां के किसानों से मिलकर जानकारी हासिल की कि जब हरेक तरफ पानी के लिए हाहाकार मचा है ऐसे में केड़िया गांव में कैसे पानी उपलब्ध है

आइऐ केड़िया गांव के किसानों की जुबानी जानते है क्या रहस्य है केड़िया में आज भी 30 फीट पर पानी उपलब्ध है

केड़िया गांव के किसानों की जुबानी जल संरक्षण के उपाय --------------------------------------------------------------------------
पर्यावरण की समस्या को लेकर हवा खराब हो रही है पानी की समस्या उत्पन्न हो गई है केड़िया गांव ने एक नमूना प्रस्तुत किया है पहले इस गांव में भी पानी की समस्या थी लेकिन यहां के किसानों ने जानकारी जुटाकर जल संरक्षण की दिशा में एकजुट होकर काम किए जिसका नतीजा है आज भीषण सुखाड़ में भी केड़िया गांव में महज 20 से 30 फीट पर कुऐं में पर्याप्त पानी उपलब्ध रहता है

किसान ---- 1 जैविक खेती कर फसल और सब्जी उपजा रहे है पूरे गांव के किसान ( रासायनिक खेती का बहिष्कार कर दिया है )
2 पूरे गांव में बोरिंग का बहिष्कार कर दिया है अनाप शनाप बोरिंग के कारण ही पानी बर्बाद हो रहा है जल स्तर नीचे जा रहा है
3 जैविक खेती से जल संरक्षण का नाता है खेतों में मिट्टी में नमी बनी रहती है जैविक खाद के प्रयोग से
4 छोटे - छोटे तालाब बनाकर वर्षा का पानी जमा किया जा सकता है नहर में जगह - जगह चैक डैम बनाकर भी पानी रोके रखा जा सकता है बर्बाद होने से बचाया जा सकता है
5 केड़िया के किसान संगठित है जिस कारण सरकार से कुछ सहयोग मिल पा रहा है आस - पास के गांव में सरकार की योजनाओं का फायदा नहीं पहुंच रहा है सरकार की योजना हर धर नल का जल कहां तक सक्सेस है या हो पाऐगा अभी देखना बाकी है
6 केड़िया के किसान का कहना है जल संरक्षण और जैविक खेती की जानकारी हमलोग आसपास के गांवों के किसानों से सांझा करते है लेकिन सरकार अगर प्रयास करें तो बड़े पैमाने पर अन्य गांवों के किसानों को भी लाभ पहुंचेगा

वाइट ------ किसान
पीटूसी
केड़िया जीरो ग्राउंड का वीडियो

राजेश जमुई


Conclusion:जैविक खेती को लेकर सबसे पहले चर्चा में आया था जमुई के वरहट प्रखंड अंतर्गत पड़ने वाला केड़िया ग्राम जब पूरे गांव के किसानों ने रासायनिक खेती का बहिष्कार कर जैविक खेती को अपना लिया था मंत्री प्रेम कुमार भी इस गांव का दौरा कर किसानों से जैविक खेती की जानकारी और स्थल निरीक्षण कर चुके है

अब यहां के किसानों ने न सिर्फ अपने लिए जल संरक्षण के उपाय किए है बल्कि अगल - बगल के किसानों को भी जल संरक्षण को लेकर जानकारी दे रहे है
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