सिवान: बिहार के सिवान के रहने वाले नितेश भारद्वाज ने अपनी उपलब्धियों से न केवल अपने जिले का बल्कि राज्य की भी मान बढ़ाया है. दरअसल जिले के दरौंदा के रहने वाले नितेश को गूगल न्यूज इनिशियेटिव की ओर से आयोजित गूगल समिट के टॉक सीरीज से बुलावा आया है. 12 सितंबर को ऑनलाइन हो रहे इस कार्यक्रम में नितेश आखिरी ऐसे वक्ता हैं, जो अपनी संस्था आदिवासी जनजागृति के माध्यम से सामाजिक कुरीतियों को दूर करने के तौर-तरीकों पर अपनी बात रखेंगे.
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कौन हैं नितेश भारद्वाज?: नितेश दरौंदा पिपरा गांव के निवासी है. वह सामाजिक कार्यकर्ता और पूर्व शिक्षक वीरेंद्र ठाकुर के पोते हैं. नितेश ने साल 2017 में आदिवासी जनजागृति संस्था की शुरुआत की थी. ये संस्था महाराष्ट्र के नंदुरबार में आदिवासियों के लिए काम कर रही है. इस गांव में आजादी के 76 साल बाद भी सड़क और बिजली जैसी बुनियादी सुविधाओं का अभाव है.
किस तरह काम करती है उनकी टीम?: नितेश अभी 200 गांवों में काम कर रहे हैं, उनकी टीम में 45 सदस्य हैं. वहां संस्था के माध्यम से गांव में जाकर योजनाओं को स्थिति को लेकर शॉर्ट वीडियो बनाते हैं. साथ ही सरकार और प्रशासन तक गांव की समस्या को पहुंचाने की कोशिश करते हैं. इनकी संस्था के नाम पर नंदूबार प्रशासन ने स्थानीय सड़क का नाम रखा है.
अभी तक 5 संस्थान रख चुके हैं अपने विचार: नितेश के द्वारा किए गए कार्यों की वजह से टाइम्स नाऊ समेत दुनिया के कई क्रिएटिव संस्थाओं ने उनके ऊपर डॉक्यूमेंटरी फिल्म भी बनायी है. उन्हें कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार मिल चुके हैं. नितेश भरद्वाज कुल 5 संस्थानों में अपने संस्थाओं के द्वारा लाए गए बदलावों पर अपनी राय साझा कर चुके हैं. उन्होंने एडसन टैंडोक सह- प्राध्यापक नानयांग प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, ब्रिस कॉर्बेट, संस्थापक, स्क्विज किड्स, हेगर हेशम, परियोजना अधिकारी और खोजी पत्रकारिता के लिए अरब रिपोर्टर (एआरआईजे) और एंडिसिवे में पॉडकास्ट प्रोडक्शन के प्रमुख शामिल हैं.