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हजारों वर्षों पुरानी है यमुनागढ़ के मंदिर और किले की कहानी, विकास की ताक में ग्रामीण - historical

वर्तमान समय में किले की पहाड़ियां तो दिखती हैं मगर किले के अवशेष सैकड़ों फीट जमीन के नीचे दफन हो चुके हैं.

मां कामाख्या मंदिर
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Published : Mar 12, 2019, 4:10 PM IST

सिवानः जिला मुख्यालय से 12 किलोमीटर दूर सिवान-बड़हरिया मुख्य मार्ग पर स्थित जमुनागढ़ मंदिर और किला अपने ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है. लगभग ढाई हजार वर्ष पहले बना ये किला आज नजर तो नहीं आता लेकिन इसके कुछ अवशेष आज भी देखे जा सकते हैं.

temple
यमुनागढ़ में स्थित एतिहासिक कामाख्या मंदिर

यहां स्थित जमुनागढ़ देवी मंदिर के बारे में कहा जाता है कि यहां जो भी श्रध्दालु आते हैं, उनकी मन्नत पूरी होती ही है. इस मंदिर में हर साल कई दंपति अपने खुशहाल जीवन की कामना के साथ आते हैं. बुजुर्गों की माने तो जमुनागढ़ देवी मंदिर की स्थापना हथुआ के राजा ने किया था.

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पोखर से घिरा था किला

एक भक्त की आस्था से प्रसन्न हुई थी मां
कहा जाता है कि मां कामाख्या जमुनागढ़ रूकी हुई थी. तब एक भक्त जिसका नाम रहशु था, उसकी साधना से मां काफी प्रसन्न हुई थी. इसके बाद जुनागढ़ मंदिर आस्था का प्रमुख केंद्र बन गया.

fort
धरती में दफन अवशेष

इस तरह वीरान हुआ किला
जमुनागढ़ के राजा की कोई संतान नहीं थी, इसलिए वह यहां से पलायन कर गए. धीरे-धीरे किला ध्वस्त होने लगा और पूरा क्षेत्र वीरान हो गया. वर्तमान समय में किले की पहाड़ियां तो दिखती हैं मगर किले के अवशेष सैकड़ों फीट जमीन के नीचे दफन हो चुके हैं. इसके चारों तरफ पोखर बने हुए हैं ताकि कोई सीधे तौर पर किले में प्रवेश न कर सके.

आस्था का केंद्र ये मंदिर

वहीं स्थानीय जनप्रतिनिधि कई बार जमुनागढ़ के मंदिर और किले को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की बात कह चुके हैं, लेकिन पुरातात्विक और ऐतिहासिक महत्व का ये किला और मंदिर आज भी जीर्णोद्धार की बाट जोह रहा है.


सिवानः जिला मुख्यालय से 12 किलोमीटर दूर सिवान-बड़हरिया मुख्य मार्ग पर स्थित जमुनागढ़ मंदिर और किला अपने ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है. लगभग ढाई हजार वर्ष पहले बना ये किला आज नजर तो नहीं आता लेकिन इसके कुछ अवशेष आज भी देखे जा सकते हैं.

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यमुनागढ़ में स्थित एतिहासिक कामाख्या मंदिर

यहां स्थित जमुनागढ़ देवी मंदिर के बारे में कहा जाता है कि यहां जो भी श्रध्दालु आते हैं, उनकी मन्नत पूरी होती ही है. इस मंदिर में हर साल कई दंपति अपने खुशहाल जीवन की कामना के साथ आते हैं. बुजुर्गों की माने तो जमुनागढ़ देवी मंदिर की स्थापना हथुआ के राजा ने किया था.

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पोखर से घिरा था किला

एक भक्त की आस्था से प्रसन्न हुई थी मां
कहा जाता है कि मां कामाख्या जमुनागढ़ रूकी हुई थी. तब एक भक्त जिसका नाम रहशु था, उसकी साधना से मां काफी प्रसन्न हुई थी. इसके बाद जुनागढ़ मंदिर आस्था का प्रमुख केंद्र बन गया.

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धरती में दफन अवशेष

इस तरह वीरान हुआ किला
जमुनागढ़ के राजा की कोई संतान नहीं थी, इसलिए वह यहां से पलायन कर गए. धीरे-धीरे किला ध्वस्त होने लगा और पूरा क्षेत्र वीरान हो गया. वर्तमान समय में किले की पहाड़ियां तो दिखती हैं मगर किले के अवशेष सैकड़ों फीट जमीन के नीचे दफन हो चुके हैं. इसके चारों तरफ पोखर बने हुए हैं ताकि कोई सीधे तौर पर किले में प्रवेश न कर सके.

आस्था का केंद्र ये मंदिर

वहीं स्थानीय जनप्रतिनिधि कई बार जमुनागढ़ के मंदिर और किले को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की बात कह चुके हैं, लेकिन पुरातात्विक और ऐतिहासिक महत्व का ये किला और मंदिर आज भी जीर्णोद्धार की बाट जोह रहा है.


Intro:यमुनागढ़ की कहानी

ढाई हजार साल पुराना है जमुनागढ़ मंदिर व किले का इतिहास

जिला मुख्यालय से 12 किलोमीटर दूर सिवान-बड़हरिया मुख्य मार्ग पर स्थित जमुनागढ़ मंदिर और किला अपने ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है. लगभग ढाई हजार वर्ष पुराना है ये किला. देश के कोने-कोने से श्रद्धालु आए दिन यमुनागढ़ आते हैं और मंदिर में माथा टेककर जो भी मन्नतें मांगते हैं वह पूरी होती है. इतना ही नहीं जमुनागढ़ देवी मंदिर परिसर में प्रत्येक साल दर्जनों लोग दांपत्य जीवन का प्रारंभ मां को साक्षी मानकर करते हैं. बुजुर्गों की माने तो जमुनागढ़ देवी मंदिर का स्थापना हथुआ के राजा ने किया था. भक्त रहशु की साधना से जब देवी मां खुश हुई और कौरी कामाख्या से चलने के बाद थावे जाने के क्रम में जमुनागढ़ पर भी रुकी तब से यह जगह आस्था का महत्वपूर्ण केंद्र बन गया और आज भी आस्था का प्रमुख केंद्र बना हुआ है.




Body:वही जमुनागढ़ कि राजा कोई वारिस नहीं होने के कारण धीरे धीरे पूरे राजपाट से लोगों ने पलायन किया और यह पूरा क्षेत्र वीरान हो गया. धीरे धीरे किला ध्वस्त होने लगा और वर्तमान समय में किले की पहाड़ियां तो दिखती हैं मगर किले के अवशेष सैकड़ों फीट जमीन के नीचे दफन हो चुके हैं. किला देखने से ही प्रतीत होता है कि जिस वक्त यह बना होगा सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए गए होंगे चारों तरफ से पोखरे बने हुए हैं ताकि कोई सीधे तौर पर किले में प्रवेश न कर सके हालांकि वर्तमान समय में पोखरे में पानी का स्थान जलकुंभीओं ने ले लिया है और किले का संरक्षण नहीं किए जाने से वहां आना जाना भी लोगों ने कम कर दिया है.
पर फिर भी दूरदराज से लोग किले को देखने जरूर जमुनागढ़ पहुंचते हैं.


Conclusion:वही स्थानीय जनप्रतिनिधि कई बार जमुनागढ़ के मंदिर और किले को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की बात तो कह चुके हैं लेकिन पुरातात्विक और ऐतिहासिक महत्व का ये किला और मंदिर आज भी जीर्णोद्धार की बाट जोह रहा है.
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