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सिवान का श्रवण कुमार, दिव्यांग होकर भी माता पिता का करता है भरण पोषण

शहर के महादेवा रोड स्थित 45 वर्षीय मनोज साह 12 वर्षों से आंखों से दिव्यांग हैं. उन्हें आंखों से दिखाई नहीं देता फिर भी सालों से अपना खुद का एक छोटा सा होटल चलाकर परिवार का भरण पोषण करते हैं.

सिवान का श्रवण कुमार
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Published : May 22, 2019, 5:30 AM IST

सिवान: आज के बदलते परिवेश में जहां लोग अपने माता-पिता को बोझ समझकर उन्हें ठुकरा देते हैं. वहीं, जन्म से आंखों से दिव्यांग मनोज साह अपने बूढ़े माँ-बाप के साथ मिलकर खुद का होटल चलाता है. अपने सहित माता-पिता के लिए जीवकोपार्जन कर वह दिव्यांगों के लिए प्रेरणा स्रोत बन गए हैं.

होटल चलाकर करते हैं परिवार का भरण पोषण

शहर के महादेवा रोड स्थित 45 वर्षीय मनोज साह 12 वर्षों से आंखों से दिव्यांग हैं. दिव्यांग मनोज साह कहते हैं. वर्षो से होटल चला रहे हैं. अब तो अंदाजा लगाकर सब काम कर लेते हैं. अब तो आदत सी हो गई है. उन्होंने थोड़ी मायूसी से कहा बस गैस जलाने में थोड़ी परेशानी होती है. बाकी मैं किसी पर निर्भर नहीं रहता. सरकार पर आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि सरकार हमें कोई मदद नहीं देती है. हम बहुत गरीब परिवार से हैं और माँ-बाप भी वृद्ध हो गए हैं. किसी तरह हम तीनों जन मिलकर काम करते हैं. अपना और अपने परिवार का पेट पालते हैं.

सिवान का श्रवण कुमार

मां को है अपने बेटे पर गर्व

मनोज की मां विमला देवी का कहना है कि बेटा 12 वर्षों से दिव्यांग है. हम तीनों काम करते हैं. भीख मांगने से अच्छा है कि जूठे प्लेट धोकर और खाना खिलाकर दो टाइम का खाना हमलोगों को नसीब होता है. साथ ही उसकी मां कहती है कि हमें गर्व है कि मेरा बेटा दिव्यांग होने के बावजूद काम करता है. वहीं, ऐसे कई लोग हैं जो दिव्यांगता का बहाना बनाकर मुफ्त की रोटी तोड़ते हैं. उन्हें मेरे बेटे से सीखना चाहिए.

सिवान: आज के बदलते परिवेश में जहां लोग अपने माता-पिता को बोझ समझकर उन्हें ठुकरा देते हैं. वहीं, जन्म से आंखों से दिव्यांग मनोज साह अपने बूढ़े माँ-बाप के साथ मिलकर खुद का होटल चलाता है. अपने सहित माता-पिता के लिए जीवकोपार्जन कर वह दिव्यांगों के लिए प्रेरणा स्रोत बन गए हैं.

होटल चलाकर करते हैं परिवार का भरण पोषण

शहर के महादेवा रोड स्थित 45 वर्षीय मनोज साह 12 वर्षों से आंखों से दिव्यांग हैं. दिव्यांग मनोज साह कहते हैं. वर्षो से होटल चला रहे हैं. अब तो अंदाजा लगाकर सब काम कर लेते हैं. अब तो आदत सी हो गई है. उन्होंने थोड़ी मायूसी से कहा बस गैस जलाने में थोड़ी परेशानी होती है. बाकी मैं किसी पर निर्भर नहीं रहता. सरकार पर आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि सरकार हमें कोई मदद नहीं देती है. हम बहुत गरीब परिवार से हैं और माँ-बाप भी वृद्ध हो गए हैं. किसी तरह हम तीनों जन मिलकर काम करते हैं. अपना और अपने परिवार का पेट पालते हैं.

सिवान का श्रवण कुमार

मां को है अपने बेटे पर गर्व

मनोज की मां विमला देवी का कहना है कि बेटा 12 वर्षों से दिव्यांग है. हम तीनों काम करते हैं. भीख मांगने से अच्छा है कि जूठे प्लेट धोकर और खाना खिलाकर दो टाइम का खाना हमलोगों को नसीब होता है. साथ ही उसकी मां कहती है कि हमें गर्व है कि मेरा बेटा दिव्यांग होने के बावजूद काम करता है. वहीं, ऐसे कई लोग हैं जो दिव्यांगता का बहाना बनाकर मुफ्त की रोटी तोड़ते हैं. उन्हें मेरे बेटे से सीखना चाहिए.

Intro:सिवान का श्रवण कुमार

सिवान से आलोक भारती की स्पेशल स्टोरी

सिवान।

आज के बदलते परिवेश में जहां लोग अपने माता-पिता को बोझ समझकर उन्हें ठुकरा देते हैं.वही जन्म से आंखों से दिव्यांग इस व्यक्ति ने अपने बूढ़े माँ-बाप के साथ मिलकर खुद का होटल चला कर अपना सहित अपने माता पिता का जीवकोपार्जन चलाकर दिव्यांगों के लिए प्रेरणा बन गए हैं.





Body:ये कहानी है सिवान शहर के महादेवा स्थित 45 वर्षीय मनोज साह की जो 12 वर्ष से आंखों से दिव्यांग(अंधे) हैं उन्हें आंखों से दिखाई नहीं देता फिर भी सालों से अपना खुद का एक छोटा सा होटल चलाकर परिवार का भरण पोषण करते हैं दिव्यांग मनोज साह कहते हैं वर्षो से होटल चला रहे हैं अब तो अंदाजा लगातार सब काम कर लेते हैं अब तो आदत सी हो गई है.उन्होंने मायूसी से कहा बस गैस जलाने में थोड़ी परेशानी होती है बाकी मैं किसी पर निर्भर नहीं रहता.वही उन्होंने उदासी से कहा कि सरकार हमें कोई मदद नहीं देती है हम बहुत गरीब परिवार से हैं और माँ-बाप भी वृद्ध हो गए हैं किसी तरह हम तीनों जन मिलकर काम करते हैं और अपना और अपने परिवार का पेट पालते हैं. वही माँ विमला देवी का कहना है कि जवान बेटा 12 वर्षों से दिव्यांग (अंधा) है हम तीनों काम करते हैं भीख मांगने से अच्छा है न कि जूठे प्लेट धोकर,खाना खिलाकर दो टाइम का खाना मिलता है.माँ कहती है हमें गर्व है कि मेरा बेटा दिव्यांग होने के बावजूद काम करता है वही ऐसे कई लोग हैं जो दिव्यांगता का बहाना बनाकर मुफ्त की रोटी तोड़ते हैं उन्हें मेरे बेटे से सीखना चाहिए.

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