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सीतामढ़ी में सरकारी स्तर पर धान खरीददारी की रफ्तार सुस्त, पैक्स अधीक्षकों ने बैठक कर दी आंदोलन की चेतावनी

सीतामढ़ी में पैक्स के माध्यम से धान अधिप्राप्ति की धीमी रफ्तार (Slow Paddy Procurement In Sitamarhi) से एक तरफ किसान परेशान हैं. वहीं दूसरी ओर पैक्स अध्यक्षों ने बैठक कर आंदोलन की चेतावनी दी है. पढ़ें पूरी खबर..

बिहार में धान अधिप्राप्ति
बिहार में धान अधिप्राप्ति
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Published : Dec 26, 2022, 8:33 PM IST

बिहार में धान अधिप्राप्ति

सीतामढ़ीः बिहार में सराकरी स्तर पर पैक्स के माध्यम से धान खरीददारी की रफ्तार धीमा (Slow Paddy Procurement In Bihar) है. कुछ यही हाल बिहार के सीतामढ़ी (Paddy Purchase in Sitamarhi) जिले का भी है. धान खरीददारी की रफ्तार को बढ़ाने की मांग को लेकर जिले के पैक्स अध्यक्षों ने कॉपरेटिव बैंक परिसर (Cooperative Bank Sitamarhi) में बैठक की. बैठक में तय किया गया कि जल्द अगर धान खरीददारी को तेज नहीं किया गया तो इसके खिलाफ आंदोलन किया जायेगा.

ये भी पढ़ें-राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को नहीं भेजा जा सकेगा कतरनी चूड़ा और चावल, भागलपुर में उत्पाद हुआ कम

"सरकार की महत्वकांक्षी योजना धरातल पर फेल नजर आ रही है. धान अधिप्राप्ति को लेकर सरकार ने कई दिशा निर्देश जारी किया है. इसके बावजूद जिले में दो ही निबंधित राइस मील है, जिसकी क्षमता 2 टन है. लेकिन रजिस्ट्रेशन 12 टन का करवा लिया गया है और अब तक मिल के द्वारा पैक्स अध्यक्षों से धान नहीं लिया जा रहा है. इस मुद्दे पर डीएम से कई बार बात की गई. लेकिन कोई हल नहीं निकाला गया है."-बिपिन झा, पैक्स अध्यक्ष

दो माह बाद भी राइस मिल चालू नहीं ः मौके पर पैक्स अध्यक्षों ने कहां कि पैक्स द्वारा नंबर माह से धान की खरीददारी की जा रही है. गोदामों में धान का अंबार लगा है. कई दफा इस को लेकर जिला प्रशासन से भी बात की गई, लेकिन जिला प्रशासन के द्वारा दो मिलर के पास ही धान देने को कहा गया. दिसंबर माह बीतने जा रहा है. अब तक दोनों में से कोई मिल चालू नहीं किया गया. जल्द से जल्द धान की खरीदारी नहीं की जाती है तो बाध्य होकर सरकार और जिला प्रशासन के खिलाफ आंदोलन करेंगे.

मजबूरी में सस्ते दाम पर बिचौलिए को बेच रहे हैं किसानः जिले में समय पर खरीददारी तो शुरू हुई लेकिन धान अधिप्राप्ति की रफ्तार काफी सुस्त है. कहीं धान में नमी तो कहीं धान की कटाई कम होने की बात कह कर अधिकारी पल्ला झाड़ रहे हैं. कहीं गोदाम में जगह नहीं होने के कारण धान की खरीददारी नहीं हो पा रही है. वहीं जिले भर में बड़े पैमाने पर बिचौलियों द्वारा धान की खरीददारी की जा रही है. जिस तरह बिचौलिए गांव में जाकर धान की खरीददारी कर रहे हैं. उससे यह साफ है कि आने वाले दिनों में बिचौलियों के माध्यम से ही समितियों में धान जाएगा और लक्ष्य को पूरा किया जाएगा. जैसा कि अबतक होता आ रहा है.

बिहार में धान अधिप्राप्ति

सीतामढ़ीः बिहार में सराकरी स्तर पर पैक्स के माध्यम से धान खरीददारी की रफ्तार धीमा (Slow Paddy Procurement In Bihar) है. कुछ यही हाल बिहार के सीतामढ़ी (Paddy Purchase in Sitamarhi) जिले का भी है. धान खरीददारी की रफ्तार को बढ़ाने की मांग को लेकर जिले के पैक्स अध्यक्षों ने कॉपरेटिव बैंक परिसर (Cooperative Bank Sitamarhi) में बैठक की. बैठक में तय किया गया कि जल्द अगर धान खरीददारी को तेज नहीं किया गया तो इसके खिलाफ आंदोलन किया जायेगा.

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"सरकार की महत्वकांक्षी योजना धरातल पर फेल नजर आ रही है. धान अधिप्राप्ति को लेकर सरकार ने कई दिशा निर्देश जारी किया है. इसके बावजूद जिले में दो ही निबंधित राइस मील है, जिसकी क्षमता 2 टन है. लेकिन रजिस्ट्रेशन 12 टन का करवा लिया गया है और अब तक मिल के द्वारा पैक्स अध्यक्षों से धान नहीं लिया जा रहा है. इस मुद्दे पर डीएम से कई बार बात की गई. लेकिन कोई हल नहीं निकाला गया है."-बिपिन झा, पैक्स अध्यक्ष

दो माह बाद भी राइस मिल चालू नहीं ः मौके पर पैक्स अध्यक्षों ने कहां कि पैक्स द्वारा नंबर माह से धान की खरीददारी की जा रही है. गोदामों में धान का अंबार लगा है. कई दफा इस को लेकर जिला प्रशासन से भी बात की गई, लेकिन जिला प्रशासन के द्वारा दो मिलर के पास ही धान देने को कहा गया. दिसंबर माह बीतने जा रहा है. अब तक दोनों में से कोई मिल चालू नहीं किया गया. जल्द से जल्द धान की खरीदारी नहीं की जाती है तो बाध्य होकर सरकार और जिला प्रशासन के खिलाफ आंदोलन करेंगे.

मजबूरी में सस्ते दाम पर बिचौलिए को बेच रहे हैं किसानः जिले में समय पर खरीददारी तो शुरू हुई लेकिन धान अधिप्राप्ति की रफ्तार काफी सुस्त है. कहीं धान में नमी तो कहीं धान की कटाई कम होने की बात कह कर अधिकारी पल्ला झाड़ रहे हैं. कहीं गोदाम में जगह नहीं होने के कारण धान की खरीददारी नहीं हो पा रही है. वहीं जिले भर में बड़े पैमाने पर बिचौलियों द्वारा धान की खरीददारी की जा रही है. जिस तरह बिचौलिए गांव में जाकर धान की खरीददारी कर रहे हैं. उससे यह साफ है कि आने वाले दिनों में बिचौलियों के माध्यम से ही समितियों में धान जाएगा और लक्ष्य को पूरा किया जाएगा. जैसा कि अबतक होता आ रहा है.

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