सीतामढ़ी: एक तरफ सरकार और आपदा विभाग बाढ़ के दौरान राहत और बचाव कार्य के लिए प्रतिवर्ष नाव की खरीद कर जरूरतमंदों के बीच उपलब्ध कराने की बात कहती है. वहीं, दूसरी तरफ जिले में खरीदी गई नावों का भुगतान अब तक लंबित रखा गया है. इसका नतीजा यह है कि बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में जरूरतमंदों के बीच नाव उपलब्ध कराने में परेशानी आ रही है.
जेडीयू जिलाध्यक्ष सह विधायक प्रतिनिधि राणा रणधीर सिंह चौहान ने आरोप लगाया है कि उनकी पत्नी जेडीयू विधायक सुनीता सिंह चौहान ने वर्ष 2018-19 में भीषण बाढ़ के दौरान परसौनी और बेलसंड प्रखंड क्षेत्र में 36 नाव विधायक मद से दिए. लेकिन आज तक नाव आपूर्तिकर्ता का भुगतान नहीं किया जा सका है. इस कारण आपूर्तिकर्ता अब नाव देने से परहेज कर रहे हैं. जेडीयू नेता ने कहा कि भुगतान के लिए वर्तमान जिलाधिकारी और आपदा विभाग से लिखित अनुरोध किया. लेकिन 2 वर्ष बीत जाने के बावजूद नाव आपूर्तिकर्ता का भुगतान नहीं किया जा सका है.
जेडीयू जिलाध्यक्ष ने प्रशासन से की मांग
जेडीयू नेता ने कहा कि इस साल बाढ़ में आपूर्तिकर्ता बकाया राशि नहीं दिए जाने के कारण नाव देने से परहेज कर रहे हैं. जबकि कई बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में नाव की जरूरत है. इसलिए नाव नकद खरीद कर जरूरतमंदों को उपलब्ध कराना पड़ रहा है. वहीं, विधायक प्रतिनिधि ने जल्द से जल्द नाव आपूर्तिकर्ता के बकाया राशि का भुगतान करने की मांग की है. ताकि आगे नाव की आवश्यकता होने पर उपलब्ध कराने में किसी तरह की समस्या आड़े न आए.
4 नाव कराया गया उपलब्ध
बकाया भुगतान लंबित होने के बावजूद 10 जुलाई को जिले में आई बाढ़ के कारण प्रभावित क्षेत्रों में विधायक प्रतिनिधि ने नाव खरीद कर उपलब्ध कराया है. वहीं, जेडीयू जिलाध्यक्ष बाढ़ पीड़ितों की मांग पर परसौनी प्रखंड के महादलित बस्ती, बेलसंड प्रखंड के सौली रुपौली पंचायत, नगर पंचायत क्षेत्र के बसौल और वार्ड नंबर 8 में अब तक चार नाव उपलब्ध करवा चुके हैं. वहीं मधकौल और चंदौली गांव में भी बहुत जल्द ही नाव दिए जाएंगे. दोनों गांव के लोग विधायक प्रतिनिधि से लगातार नाव की मांग कर रहे हैं.
नाव उपलब्ध होने से ग्रामीण उत्साहित
बता दें कि जिन गांव में अब तक नाव नहीं दिए गए थे वहां नाव मिलने से ग्रामीण बेहद खुश हैं. ग्रामीणों का कहना है कि वर्षों से बाढ़ प्रभावित क्षेत्र होने के बावजूद नाव उपलब्ध नहीं था. लेकिन अब विधायक प्रतिनिधि की तरफ से नाव दिए जाने से ग्रामीणों को काफी सहूलियत हुई है.