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सीतामढ़ी: सैंड आर्टिस्ट मधुरेंद्र कुमार ने दी महान गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह को श्रद्धांजलि

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Published : Nov 16, 2019, 2:36 PM IST

इस अद्भुत आकृति को देखने को लेकर शिक्षक ही नहीं बल्कि स्कूल के सभी छात्र उपस्थित रहे. इस पूरे मामले पर सैंड आर्टिस्ट मधुरेंद्र कुमार ने  बताया कि महान गणितज्ञ की आकास्मिक निधन से देश को अपूर्णीय क्षति हुई है

महान गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण को सैंड आर्टिस्ट मधुरेंद्र कुमार ने दी श्रद्धांजलि

सीतामढ़ी: जिला मुख्यालय के एमपी हाई स्कूल में एक कलाकार ने अपनी अद्भुत कलाकृति से बिहार के लाल और विश्व के महानतम गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह को श्रद्धांजलि दी. सैंड आर्टिस्ट मधुरेंद्र कुमार ने 5 घंटे तक कठिन मेहनत कर रेत से वशिष्ठ नारायण सिंह जी की तस्वीर बनाई. इसके बाद फूल अर्पित कर उन्हें भावपूर्ण श्रद्धांजलि दी.


स्कूल के सभी छात्र रहे उपस्थित
इस अद्भुत आकृति को देखने के लिए शिक्षक ही नहीं बल्कि स्कूल के सभी छात्र भी उपस्थित रहे. सैंड आर्टिस्ट मधुरेंद्र कुमार ने बताया कि महान गणितज्ञ की आकास्मिक निधन से देश को अपूर्णीय क्षति हुई है. जिन्होंने प्रख्यात वैज्ञानिक अल्बर्ट स्क्रीन के सापेक्ष सिद्धांतों को भी चुनौती दी थी. असफल विवाह से उपजे तनाव के कारण वो मनु विदिता नामक असहाय मानसिक रोग के शिकार हो गए.

यह भी पढ़े: बढ़ते अपराध पर बोले गिरिराज- यह चिंता का विषय है, DIG से करूंगा बात


गुरुवार को पीएमसीएच में हुआ था निधन
बता दें कि सैंड आर्टिस्ट मधुरेंद्र कुमार ऐसे ही महापुरुषों की जयंती पर उनकी तस्वीर बनाकार अपने अंदाज में उन्हें याद करते हैं. इसी कड़ी में उन्होंने शनिवार को एमपी हाई स्कूल परिसर में अपनी कला को प्रदर्शित करते हुए लोगों की पुरानी यादों को पुनर्जीवित कर दिया. महान गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह का गुरुवार को पीएमसीएच में निधन हो गया था.

इसके बाद पूरे प्रदेश में शोक की लहर दौड़ गई. वशिष्ठ नारायण सिंह की अंतिम यात्रा में बड़ी तादाद में लोग पहुंचे. राजकीय सम्मान के साथ बिहार विभूति का अंतिम संस्कार किया गया. वशिष्ठ नारायण सिंह को उनके भतीजे ने मुखाग्नि दी.

सीतामढ़ी: जिला मुख्यालय के एमपी हाई स्कूल में एक कलाकार ने अपनी अद्भुत कलाकृति से बिहार के लाल और विश्व के महानतम गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह को श्रद्धांजलि दी. सैंड आर्टिस्ट मधुरेंद्र कुमार ने 5 घंटे तक कठिन मेहनत कर रेत से वशिष्ठ नारायण सिंह जी की तस्वीर बनाई. इसके बाद फूल अर्पित कर उन्हें भावपूर्ण श्रद्धांजलि दी.


स्कूल के सभी छात्र रहे उपस्थित
इस अद्भुत आकृति को देखने के लिए शिक्षक ही नहीं बल्कि स्कूल के सभी छात्र भी उपस्थित रहे. सैंड आर्टिस्ट मधुरेंद्र कुमार ने बताया कि महान गणितज्ञ की आकास्मिक निधन से देश को अपूर्णीय क्षति हुई है. जिन्होंने प्रख्यात वैज्ञानिक अल्बर्ट स्क्रीन के सापेक्ष सिद्धांतों को भी चुनौती दी थी. असफल विवाह से उपजे तनाव के कारण वो मनु विदिता नामक असहाय मानसिक रोग के शिकार हो गए.

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गुरुवार को पीएमसीएच में हुआ था निधन
बता दें कि सैंड आर्टिस्ट मधुरेंद्र कुमार ऐसे ही महापुरुषों की जयंती पर उनकी तस्वीर बनाकार अपने अंदाज में उन्हें याद करते हैं. इसी कड़ी में उन्होंने शनिवार को एमपी हाई स्कूल परिसर में अपनी कला को प्रदर्शित करते हुए लोगों की पुरानी यादों को पुनर्जीवित कर दिया. महान गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह का गुरुवार को पीएमसीएच में निधन हो गया था.

इसके बाद पूरे प्रदेश में शोक की लहर दौड़ गई. वशिष्ठ नारायण सिंह की अंतिम यात्रा में बड़ी तादाद में लोग पहुंचे. राजकीय सम्मान के साथ बिहार विभूति का अंतिम संस्कार किया गया. वशिष्ठ नारायण सिंह को उनके भतीजे ने मुखाग्नि दी.

Intro: सीतामढ़ी, जिला मुख्यालय स्थित एमपी हाई स्कूल के प्रांगण में एक कलाकार ने अपने अदभुद कलाकृति से बिहार के लाल और विश्व के महानतम गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह को दी श्रद्धांजलि।


Body:बताते चले मुख्यालय स्थित एमपी हाई स्कूल में आज एक सैंड आर्टिस्ट मधुरेंद्र जो मूल तह पूर्वी चंपारण के निवासी है। जो इन दिनों मुख्यालय स्थित एमपी हाई स्कूल में अपनी शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। उसने अपने कला के माध्यम से बिहार के लाल और विश्व के महानतम गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह जी की तसवीर करीब 5 घंटे तक बालू के रेस से कठिन मेहनत कर आकृति बना कर फूल अर्पित करते भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित की। की इस अद्भुत आकृति को देखने को लेकर शिक्षक ही नहीं स्कूल के सभी छात्र उपस्थित थे। इस पूरे मामले पर सैंड आर्टिस्ट मधु ने बताया कि महान महान गणितज्ञ की असामाजिक निधन से देश को अपूर्णीय क्षति हुई है। जिन्होंने प्रख्यात वैज्ञानिक अल्बर्ट स्क्रीन के सापेक्ष सिद्धांतों को भी चुनौती दी थी। असफल विवाह से कुछ उपजे तनाव के कारण उन्हें मनु विदिता नामक असहाय मानसिक रोग के शिकार हो गए। बरसों बाद विस्तारक पर भीख मांगते देखा गया जिसको एक सज्जन ने उन्हें पहचान की और अस्पताल ले गए जहां उनके घर वालों को भी खबर दी गई। मंगलूर के एक बड़े अस्पताल में उनका इलाज चला किंतु मानसिक दशा ठीक नहीं हो पाई कुछ दिनों के बाद उनकी तबीयत फिर अचानक बहुत ही खराब हो गई और उसे पटना के सीएमसी अस्पताल में भर्ती कराया गया लेकिन इलाज के बावजूद भी उनकी मौत हो गई।



Conclusion:गौरतलब हो कि सैंड आर्टिस्ट मधुरेंद्र ऐसे ही महापुरुषों की जयंती वर्ष अंदाज देखकर उन्हें याद कर और बालू पर कलाकारी कर दो पुरानी यादों को ताजा कर लोगो याद ताजा करते है। इसी कड़ी में उसने आज एमपी हाई स्कूल परिसर में अपने कला को प्रदर्शित कर लोगों को पुरानी यादों को पुनर्जीवित कर दिया।
बाईट, मधुरेश, सैंड कलाकार।
वाइट , संतोष कुमार , शिक्षक।
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