पटना: बेतिया राज की 15221 एकड़ जमीन समेत सारी परिसंपत्तियां अब बिहार सरकार की होगी. विधानसभा ने बेतिया राज की संपत्ति को निहित करने वाला विधेयक-2024 की मंजूरी दे दी. राज्यपाल से मंजूरी मिलने के बाद यह कानून बन जायेगा. इसके बाद से यह सवाल उठने लगे कि जो लोग उस जमीन पर घर बनाकर रह रहे हैं, उनका क्या होगा. क्या उन्हें एक झटके में बेघर कर दिया जाएगा. ऐसे लोगों के लिए भू राजस्व मंत्री ने राहत भरी खबर है. फिलहाल किसी को विस्थापित नहीं किया जाएगा.
क्या करना होगा यहां के निवासियों कोः भूमि सुधार एवं राजस्व मंत्री दिलीप जायसवाल ने सोमवार 2 दिसंबर को मीडिया से बात करते हुए कहा कि बेतिया महाराज को संतान नहीं थी. और उनके जमीन पर कब्जा किया जा रहा था. हमने एक कानून बनाया, अब बेतिया राज की जमीन को लेकर कोई कोर्ट में नहीं जा सकता है. बेतिया राज की 15221 एकड़ जमीन सरकार में निहित हो गई है. अगर कोई गरीब या भूमिहीन लोग लंबे समय से किसी भूखंड पर रहते हैं वह अपील दायर कर सकता है.
"हर जिले में एक विशेष अधिकारी तैनात किए जा रहे हैं, जो शिकायतों की सुनवाई करेगा. अगर उनकी जमीन अपील में सही पाई गई तो अभी उसे जमीन को इस अधिसूचना से अलग रखा जाएगा. फिलहाल किसी को तुरंत विस्थापित नहीं किया जाएगा."- दिलीप जायसवाल, भूमि एवं राजस्व सुधार मंत्री
औद्योगीकरण के लिए लैंड बैंक समस्याः बेतिया राज की अतिक्रमित जमीन को मुक्त कराने के लिए भूमि सुधार एवं राजस्व विभाग ने कमर कस लिया है. औद्योगिकरण बिहार के लिए चुनौती है. बिहार में इंडस्ट्री लगाने में सरकार को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. लैंड बैंक में जमीन पर्याप्त नहीं होने के चलते सरकार उद्योगपतियों को इच्छा अनुसार जमीन उपलब्ध नहीं कर पाती है. जमीन की समस्या को देखते हुए सरकार ने बेतिया राज की जमीन को लेकर कानून बनाए हैं.
बेतिया राज की संपत्ति का अधिग्रहण क्यों ? : बेतिया राज के अंतिम राजा हरेंद्र किशोर सिंह की मृत्यु 26 मार्च 1893 को हुई थी. उनकी दो रानियां थीं, पहली पत्नी शिव रत्ना कुंवर की मृत्यु 1896 में हो गई. दूसरी रानी का नाम महारानी जानकी कुंवर था. कहा जाता है कि महारानी जानकी कुंवर संपत्ति का प्रबंधन करने में सक्षम नहीं थीं, इसलिए इसका प्रबंधन 'कोर्ट ऑफ वार्ड्स' द्वारा किया गया.
जमीनों पर हो चुका है कब्जा : वर्तमान में बेतिया राज की संपत्ति का प्रबंधन बिहार सरकार के राजस्व परिषद के 'कोर्ट ऑफ वार्ड्स' द्वारा किया जाता है. पिछले साल 13 दिसंबर तक राजस्व बोर्ड द्वारा जारी किए गए रिपोर्ट के अनुसार, पश्चिमी चंपारण जिले में 'बेतिया एस्टेट' की कुल भूमि में से 6,505 एकड़ (लगभग 66 प्रतिशत) पर अतिक्रमण किया गया है. वहीं पूर्वी चंपारण में 3,219 एकड़ यानी लगभग 60 प्रतिशत भूमि पर अतिक्रमण हुआ है.
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