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सीतामढ़ी: आज भी है उपेक्षित है घुमंतू समुदाय, नहीं मिल रहा कोई सरकारी लाभ - कल्याण विकास बोर्ड का गठन

घुमंतू समुदाय के जातियों और जनजातियों के उत्थान और विकास के लिये लोकसभा चुनाव के पहले अंतरिम बजट के दौरान सरकार ने कई घोषणाएं की थी. लेकिन विकास और कल्याण कार्यक्रम इन लोगों तक नहीं पहुंच पा रहा है. अंतरिम बजट की घोषणा इस समुदाय से कोसों दूर है.

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घुमंतू समुदाय
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Published : Dec 14, 2019, 10:34 AM IST

सीतामढ़ी: आजादी के 72 साल बाद भी देश के हजारों घुमंतू और अर्ध घुमंतू जाति समुदाय के लोग अपमान भरा जीवन जीने को विवश है. आजाद भारत में इनके लिये ना तो पुनर्वास की व्यवस्था की गई, ना ही पहचान के लिये कोई आधार दिया गया है. इस समुदाय के हजारों परिवार के लोग देश के अलग-अलग प्रदेशों में अपने परिवार का भरण पोषण करने को मजबूर है. बता दें कि इस समुदाय के लड़के और लड़कियां आज भी निरक्षर है. इसके चलते वह अपना हक और अधिकार नहीं जानते. यह समुदाय अपने ही देश में सभी सरकारी योजनाओं से अनजान है.

सरकार ने की थी कई घोषणाएं
देश के अलग-अलग हिस्सों में रहने वाले इस समुदाय की मोगिया, नट, खानाबदोश, आदिवासी, बहेलिया सहित अन्य जाति शामिल है. लोकसभा चुनाव के पहले अंतरिम बजट के दौरान सरकार ने कई घोषणाएं की थी. जिसमें रेल मंत्री पीयूष गोयल ने संसद में बजट पेश करने के दौरान उपेक्षित घुमंतू अर्ध घुमंतू जातियों/ जनजातियों के कल्याण और विकास के लिए भी की थी.

घुमंतू समुदाय के लोगों को नहीं मिल रहा कोई सरकारी लाभ

'घुमंतू समुदायों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा'
रेल मंत्री पीयूष गोयल ने कहा था कि सरकार राष्ट्रीय स्तर पर कल्याण विकास बोर्ड का गठन करेगी. जो देशभर के घुमंतू और अर्ध घुमंतू समुदाय के लिए काम करेगी. इस बोर्ड की मुख्य जिम्मेदारी कल्याण और विकास योजनाओं की अनुशंसा करना और क्रियान्वित करना होगा. उन्होंने कहा था कि सरकार सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के अंतर्गत एक कल्याण विकास बोर्ड का गठन किया जायेगा. जिसका उद्देश्य गैर अधिसूचित घुमंतू अर्ध घुमंतू समुदाय के कल्याण और विकास कार्यक्रमों को क्रियान्वित करना होगा. साथ ही उन्होंने कहा था कि सरकार देश के सबसे वंचित वर्ग तक पहुंचने के लिए प्रतिबद्ध है. इसमें गैर अधिसूचित घुमंतू और अर्ध घुमंतू समुदायों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा.

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घुमंतू समुदाय के लोग

घूम-घूम कर जीवन जीने को विवश
इन समुदाय के लोगों तक विकास और कल्याण कार्यक्रम नहीं पहुंच पा रहे हैं. यह निरंतर पीछे छूटते जा रहे हैं. वहीं, अंतरिम बजट की घोषणा इस समुदाय से कोसों दूर है. घुमंतू समुदाय के सदस्य ने बताया कि इनके पास किसी भी तरह की कोई सरकारी सुविधाओं का लाभ नहीं है. दो वक्त की रोटी के लिये भीख मागना पड़ता है. घुमंतू समुदाय के लोग राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र से छोड़कर बिहार में अपना जीवन जीने को विवश है. वहीं, इस समुदाय के लोगों के लिए ना ही रहने के लिये जगह है. ना ही पहनने के लिये कपड़े. इनके पास ना तो वोटर कार्ड है, ना आधार कार्ड और ना ही राशन कार्ड है. इसलिए यह समुदाय आज भी आजाद भारत में गुलाम बने हुए हैं.

सीतामढ़ी: आजादी के 72 साल बाद भी देश के हजारों घुमंतू और अर्ध घुमंतू जाति समुदाय के लोग अपमान भरा जीवन जीने को विवश है. आजाद भारत में इनके लिये ना तो पुनर्वास की व्यवस्था की गई, ना ही पहचान के लिये कोई आधार दिया गया है. इस समुदाय के हजारों परिवार के लोग देश के अलग-अलग प्रदेशों में अपने परिवार का भरण पोषण करने को मजबूर है. बता दें कि इस समुदाय के लड़के और लड़कियां आज भी निरक्षर है. इसके चलते वह अपना हक और अधिकार नहीं जानते. यह समुदाय अपने ही देश में सभी सरकारी योजनाओं से अनजान है.

सरकार ने की थी कई घोषणाएं
देश के अलग-अलग हिस्सों में रहने वाले इस समुदाय की मोगिया, नट, खानाबदोश, आदिवासी, बहेलिया सहित अन्य जाति शामिल है. लोकसभा चुनाव के पहले अंतरिम बजट के दौरान सरकार ने कई घोषणाएं की थी. जिसमें रेल मंत्री पीयूष गोयल ने संसद में बजट पेश करने के दौरान उपेक्षित घुमंतू अर्ध घुमंतू जातियों/ जनजातियों के कल्याण और विकास के लिए भी की थी.

घुमंतू समुदाय के लोगों को नहीं मिल रहा कोई सरकारी लाभ

'घुमंतू समुदायों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा'
रेल मंत्री पीयूष गोयल ने कहा था कि सरकार राष्ट्रीय स्तर पर कल्याण विकास बोर्ड का गठन करेगी. जो देशभर के घुमंतू और अर्ध घुमंतू समुदाय के लिए काम करेगी. इस बोर्ड की मुख्य जिम्मेदारी कल्याण और विकास योजनाओं की अनुशंसा करना और क्रियान्वित करना होगा. उन्होंने कहा था कि सरकार सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के अंतर्गत एक कल्याण विकास बोर्ड का गठन किया जायेगा. जिसका उद्देश्य गैर अधिसूचित घुमंतू अर्ध घुमंतू समुदाय के कल्याण और विकास कार्यक्रमों को क्रियान्वित करना होगा. साथ ही उन्होंने कहा था कि सरकार देश के सबसे वंचित वर्ग तक पहुंचने के लिए प्रतिबद्ध है. इसमें गैर अधिसूचित घुमंतू और अर्ध घुमंतू समुदायों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा.

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घुमंतू समुदाय के लोग

घूम-घूम कर जीवन जीने को विवश
इन समुदाय के लोगों तक विकास और कल्याण कार्यक्रम नहीं पहुंच पा रहे हैं. यह निरंतर पीछे छूटते जा रहे हैं. वहीं, अंतरिम बजट की घोषणा इस समुदाय से कोसों दूर है. घुमंतू समुदाय के सदस्य ने बताया कि इनके पास किसी भी तरह की कोई सरकारी सुविधाओं का लाभ नहीं है. दो वक्त की रोटी के लिये भीख मागना पड़ता है. घुमंतू समुदाय के लोग राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र से छोड़कर बिहार में अपना जीवन जीने को विवश है. वहीं, इस समुदाय के लोगों के लिए ना ही रहने के लिये जगह है. ना ही पहनने के लिये कपड़े. इनके पास ना तो वोटर कार्ड है, ना आधार कार्ड और ना ही राशन कार्ड है. इसलिए यह समुदाय आज भी आजाद भारत में गुलाम बने हुए हैं.

Intro:आजादी के 72 वर्ष बाद भी देश में आज उपेक्षित है घुमंतू जाति और समुदाय।Body:आजादी के 72 वर्ष बीत जाने के बाद भी देश के हजारों घुमंतू और अर्ध घुमंतू जाति के समुदाय अपने ही राष्ट्र में जिल्लत भरा जीवन जीने को विवश है। इन्हे ना तो आजाद भारत में पुनर्वास की व्यवस्था की गई। ना ही पहचान का कोई आधार मिला। लिहाजा इस समुदाय के हजारों परिवार देश के अलग-अलग प्रदेशों में भटक कर अपने परिवार का भरण पोषण करने को मजबूर है। शिक्षा के अभाव में इस समुदाय के लड़के और लड़कियां आज भी निरक्षर है। जिस कारण यह अपने हक और अधिकार की बात नहीं जानते। सरकार की ओर से इनके लिए पुनर्वास की व्यवस्था नहीं कराई गई है। लिहाजा यह समुदाय अपने ही देश में सभी सरकारी योजनाओं से महरूम है।
देश के अलग-अलग हिस्सों में रहने वाले इस समुदाय की कई जातियां हैं। जैसे मोगिया, नट, खानाबदोश आदिवासी, बहेलिया सहित अन्य जाति शामिल है। और इनके उत्थान और विकास के लिए बोर्ड गठन करने की घोषणा अंतरिम बजट में सरकार द्वारा की गई थी। लोकसभा चुनाव के पहले अंतरिम बजट के दौरान सरकार ने कई घोषणाएं की एक घोषणा देश के उपेक्षित घुमंतु अर्ध घुमंतु जातियों/ जनजातियों के कल्याण व विकास के लिए भी की गई। जिसमें केंद्रीय वित्त कारपोरेट मामले, रेल और कोयला मंत्री पीयूष गोयल ने 1 फरवरी 2019 को संसद में अंतरिम बजट पेश करने के दौरान इसकी घोषणा की थी। उन्होंने कहा था कि सरकार राष्ट्रीय स्तर पर कल्याण विकास बोर्ड का गठन करेगी जो देशभर के घुमंतू और अर्ध घुमंतु समुदाय के लिए काम करेगी। इस बोर्ड की मुख्य जिम्मेदारी कल्याण व विकास योजनाओं की अनुशंसा करना और क्रियान्वित करना होगा। उन्होंने कहा कि सरकार सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के अंतर्गत एक कल्याण विकास बोर्ड का गठन करेगी जिसका उद्देश्य गैर अधिसूचित घुमंतु अर्ध घुमंतु समुदाय के कल्याण और विकास कार्यक्रमों को क्रियान्वित करेगी। साथ ही उन्होंने कहा था कि सरकार देश के सबसे वंचित वर्ग तक पहुंचने के लिए प्रतिबद्ध है इसमें गैर अधिसूचित घुमंतू और अर्ध घुमंतु समुदायों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। इन समुदाय
तक विकास व कल्याण कार्यक्रम नहीं पहुंच पा रहे हैं। और यह निरंतर पीछे छूटते जा रहे हैं। इसके बावजूद अंतरिम बजट की घोषणा इस समुदाय से कोसों दूर है और इसका नतीजा है कि राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र से चलकर घुमंतु परिवार 2 जून की रोटी के लिए बिहार के कई जिलों में घूम घूम कर अपना जीवन जीने को विवश है।
इस समुदाय के लोगों के लिए आसमान इनका छत है और धरती इनका बिछावन। इनके पास ना तो वोटर कार्ड ना आधार कार्ड और ना ही राशन कार्ड है। मतलब सरकारी सुविधाओं के लाभ का कोई भी आधार इनके पास नहीं है। इसलिए यह समुदाय आज भी आजाद भारत में गुलामी बने हुए है।
बाइट 1. परसोली बाईहु। वृद्ध महिला चादर ओढ़े हुए।
बाइट 2. मुंदलिश बाई। अधेड़ महिला आधार कार्ड राशन कार्ड पर बोलते हुए।
बाइट 3. अल्बख्शि। किशोर। घुमंतु समुदाय का सदस्य।
पी टू सी 4.
विजुअल 5,6,7,8,9,10Conclusion:पी टू सी:_राहुल देव सोलंकी। सीतामढ़ी।
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