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सीतामढ़ी: विभागीय उदासीनता का शिकार है यह कन्या उच्च विद्यालय, शिक्षकों की है भारी कमी

इंटर स्तरीय रामलगन सिंह मधकौल प्रोजेक्ट बालिका उच्च विद्यालय में वर्षों से शिक्षकों की भारी कमी है. इससे छात्राओं को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा नहीं मिल रही है.

सीतामढ़ी
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Published : Aug 21, 2019, 11:53 PM IST

Updated : Aug 22, 2019, 4:59 PM IST

सीतामढ़ी: सरकार बेटियों की पढ़ाई के लिए बड़ी- बड़ी योजनाओं के दावे करती है, लेकिन प्रदेश के सरकारी स्कूलों का हाल कुछ और ही है. जिले के एक कन्या उच्च विद्यालय में शिक्षकों के अभाव से छात्राओं को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा नहीं मिल पा रही है.

पूरा मामला जिले के इंटर स्तरीय रामलगन सिंह मधकौल प्रोजेक्ट बालिका उच्च विद्यालय का है. इस विद्यालय की स्थापना 1981 में हुई थी, लेकिन अब तक इस विद्यालय में शिक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ नहीं हो पाई. यहां मात्र तीन कमरे में 600 छात्राएं पढ़ने को विवश हैं.

छात्राओं और विद्यालय प्रशासन का बयान

शिक्षकों के कई पद हैं खाली
इसके साथ इस विद्यालय में शिक्षकों की काफी कमी है. इस विद्यालय में मात्र 4 शिक्षक ही कार्यरत हैं. यहां 15 शिक्षकों का पद खाली है. इसके साथ यहां उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में एक शिक्षक ही कार्यरत हैं. उच्चतर माध्यमिक के लिए यहां शिक्षकों के आठ पद रिक्त हैं.

कई समस्याओं से परेशान छात्राएं
छात्राओं का कहना है कि शिक्षकों की कमी की वजह से गुणवत्तापूर्ण शिक्षा नहीं मिलती है. सभी विषयों की पढ़ाई भी नहीं हो पाती है. विद्यालय में शौचालय की भी समस्या है. इसके साथ यहां कंप्यूटर की पढ़ाई नहीं हो पा रही है. यहां बिजली और कंप्यूटर भी बहुत पहले से खराब हैं.

सीतामढ़ी
क्लास में पढ़ती छात्राएं

'शिक्षकों की कमी है बड़ी समस्या'
विद्यालय के प्रभारी प्राचार्य सत्येंद्र नारायण सिंह का कहना है कि यहां शिक्षकों की कमी से बच्चों की पढ़ाई काफी प्रभावित होती है. कक्षा की कमी से भी काफी समस्या है. छात्राओं को बैठने के लिए सीट तक नहीं मिल पाती है. इस संबंध में विभाग के पदाधिकारी को पत्राचार किया गया. लेकिन अब तक इस समस्या का समाधान नहीं हो पाया है.

सीतामढ़ी
समस्या बताती छात्रा

'जल्द होगी शिक्षकों की बहाली'
वहीं, इस संबंध में शिक्षा पदाधिकारी रामचंद्र मंडल ने बताया कि शिक्षकों का नियोजन कार्य बहुत दिनों से रुका हुआ था. बिहार सरकार ने अब शिक्षकों के नियोजन के लिए समय तालिका जारी कर दी है. नए शिक्षकों की बहाली के बाद शिक्षकों की कमी की समस्या खत्म हो जाएगी.

सीतामढ़ी: सरकार बेटियों की पढ़ाई के लिए बड़ी- बड़ी योजनाओं के दावे करती है, लेकिन प्रदेश के सरकारी स्कूलों का हाल कुछ और ही है. जिले के एक कन्या उच्च विद्यालय में शिक्षकों के अभाव से छात्राओं को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा नहीं मिल पा रही है.

पूरा मामला जिले के इंटर स्तरीय रामलगन सिंह मधकौल प्रोजेक्ट बालिका उच्च विद्यालय का है. इस विद्यालय की स्थापना 1981 में हुई थी, लेकिन अब तक इस विद्यालय में शिक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ नहीं हो पाई. यहां मात्र तीन कमरे में 600 छात्राएं पढ़ने को विवश हैं.

छात्राओं और विद्यालय प्रशासन का बयान

शिक्षकों के कई पद हैं खाली
इसके साथ इस विद्यालय में शिक्षकों की काफी कमी है. इस विद्यालय में मात्र 4 शिक्षक ही कार्यरत हैं. यहां 15 शिक्षकों का पद खाली है. इसके साथ यहां उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में एक शिक्षक ही कार्यरत हैं. उच्चतर माध्यमिक के लिए यहां शिक्षकों के आठ पद रिक्त हैं.

कई समस्याओं से परेशान छात्राएं
छात्राओं का कहना है कि शिक्षकों की कमी की वजह से गुणवत्तापूर्ण शिक्षा नहीं मिलती है. सभी विषयों की पढ़ाई भी नहीं हो पाती है. विद्यालय में शौचालय की भी समस्या है. इसके साथ यहां कंप्यूटर की पढ़ाई नहीं हो पा रही है. यहां बिजली और कंप्यूटर भी बहुत पहले से खराब हैं.

सीतामढ़ी
क्लास में पढ़ती छात्राएं

'शिक्षकों की कमी है बड़ी समस्या'
विद्यालय के प्रभारी प्राचार्य सत्येंद्र नारायण सिंह का कहना है कि यहां शिक्षकों की कमी से बच्चों की पढ़ाई काफी प्रभावित होती है. कक्षा की कमी से भी काफी समस्या है. छात्राओं को बैठने के लिए सीट तक नहीं मिल पाती है. इस संबंध में विभाग के पदाधिकारी को पत्राचार किया गया. लेकिन अब तक इस समस्या का समाधान नहीं हो पाया है.

सीतामढ़ी
समस्या बताती छात्रा

'जल्द होगी शिक्षकों की बहाली'
वहीं, इस संबंध में शिक्षा पदाधिकारी रामचंद्र मंडल ने बताया कि शिक्षकों का नियोजन कार्य बहुत दिनों से रुका हुआ था. बिहार सरकार ने अब शिक्षकों के नियोजन के लिए समय तालिका जारी कर दी है. नए शिक्षकों की बहाली के बाद शिक्षकों की कमी की समस्या खत्म हो जाएगी.

Intro:विभागीय उदासीनता के कारण अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है। इंटर स्तरीय रामलगन सिंह मधकौल प्रोजेक्ट बालिका उच्च विद्यालय। Body:जिले का इंटर स्तरीय राम लखन सिंह मधकौल प्रोजेक्ट बालिका उच्च विद्यालय विभागीय उदासीनता के कारण अपनी बदहाली पर आंसू बहाने को मजबूर है। जनवरी 1981 में स्वर्गीय श्री राम लखन सिंह ने बालिकाओं को साक्षर बनाने के लिए स्कूल की स्थापना करवाई थी और इसके लिए 1 एकड़ भूमि दान में दी थी। विद्यालय जिस उद्देश्य से खोला गया था। आज उस उद्देश्य की पूर्ति वर्तमान में नहीं हो पा रही है। यहां छात्राओं के पठन पाठन के लिए जिस मूलभूत संसाधनों और शिक्षकों का होना अनिवार्य है। जिसका घोर अभाव है। इस कारण शिक्षा दान और ज्ञान अर्जन का काम नहीं हो पा रहा है।लिहाजा इन छात्राओं को किताबी ज्ञान तो नहीं मिल पा रहा है केवल इन्हें डिग्री से ही संतोष करना पड़ रहा है।और इसके लिए जिम्मेवार सिर्फ शिक्षा विभाग और स्थानीय जनप्रतिनिधि है।
शिक्षकों की संख्या : _______
इस विद्यालय में वर्ग 9 से टेन प्लस टू तक की पढ़ाई होती है। और यहां 600 छात्राएं नामांकित है। लेकिन इन छात्राओं को पढ़ाने के लिए केवल 4 शिक्षक तैनात किए गए हैं। शेष 15 शिक्षक का पद वर्षो से रिक्त पड़ा हुआ है। लिहाजा छात्राओं को सभी विषयों की पढ़ाई पूरी नहीं हो पाती है।
रिक्त पद :_________
टेन प्लस टू में केवल एक शिक्षक मौजूद है। और 8 शिक्षकों का पद रिक्त पड़ा हुआ है। जिसमें राजनीति शास्त्र, गृह विज्ञान, समाजशास्त्र, अंग्रेजी, हिंदी, गणित, भौतिकी, जीव विज्ञान, इतिहास, मनोविज्ञान सहित अन्य विभाग के शिक्षक का पद रिक्त है। लिहाजा इन विषयों की पढ़ाई से छात्राएं वंचित रहती है।
हाई स्कूल में रिक्त पद :________
इस विद्यालय के माध्यमिक यानी हाई स्कूल में 3 शिक्षक तैनात हैं। वही गणित, अंग्रेजी, गृह विज्ञान और हिंदी विभाग में शिक्षकों का पद वर्षो से रिक्त है। जिसकी पढ़ाई नहीं हो पा रही है।
कमरों की संख्या :___________
विद्यालय के प्रभारी प्राचार्य सत्येंद्र नारायण सिंह ने बताया कि इस विद्यालय में केवल 3 कमरे हैं। जिसमें वर्ग 9 से 10 प्लस टू तक की कुल 600 छात्राओं को पढ़ाया जाता है। और इसका खामियाजा छात्रों को भुगतना पड़ता है। क्योंकि जगह के अभाव में कई छात्राएं वर्ग से बाहर हो जाती हैं। और उनका पठन-पाठन नहीं हो पाता है। इसके लिए कई बार विभाग और नगर पंचायत के कार्यपालक पदाधिकारी से भी पत्राचार किया गया। लेकिन अब तक इस समस्या का समाधान नहीं हो पाया है। लिहाजा शिक्षा का स्तर विभागीय उदासीनता के कारण कुंठित हो रहा है।
अन्य अभाव :________
विद्यालय के शिक्षक और वहां पढ़ने वाली छात्राओं ने बताया कि इन सभी समस्याओं के अलावे विद्यालय में और भी अनेकों प्रकार की समस्याएं हैं। जिसका सीधा असर पठन-पाठन पर पड़ रहा है। जैसे छात्राओं के कंप्यूटर ज्ञान के लिए विभाग ने जो कंप्यूटर सेट उपलब्ध कराए थे। वह वर्षो से खराब होकर धूल फांक रहा है। और विद्यालय में विद्युत आपूर्ति के लिए जो जनरेटर दिए गए थे। वह भी बरसों से खराब पड़ा हुआ है। इसके अलावा विद्यालय में खेल का मैदान नहीं होने के कारण छात्राओं का शारीरिक और बौद्धिक विकास नहीं हो पा रहा है। साथ ही विद्यालय में क्लर्क का एक पद और आदेशपाल का एक पद वर्षो से रिक्त पड़ा हुआ है। लिहाजा क्लर्क का कामकाज शिक्षक को ही निपटाना पड़ता है। जिसका सीधा असर पढ़ाई पर पड़ता है। क्योंकि शिक्षक जब क्लर्क के काम में उलझ जाते हैं तो वर्ग भी संचालित नही हो पाता है। एक कमरे में प्रयोगशाला तो बनाया गया है। लेकिन उसमें प्रयोग कराने के लिए शिक्षक नहीं है। लिहाजा वह प्रयोगशाला छात्राओं के लिए केवल शोभा की वस्तु बनकर रह गई है। इसके साथ ही 600 छात्राओं के लिए केवल दो शौचालय का निर्माण कराया गया है। जो ऊंट के मुंह में जीरा का फोरण साबित हो रहा है।
अधिकारी का बयान :______
इस संबंध में पूछे जाने पर जिला शिक्षा पदाधिकारी रामचंद्र मंडल ने कोई ठोस जवाब नहीं देते हुए केवल यह बताया कि शिक्षकों की कमी जिले के अधिकांश विद्यालयों में है। जिसे नकारा नहीं जा सकता है। इस कन्या उच्च विद्यालय में शिक्षकों का जो रिक्त पद है। उसे जल्द ही भरा जाएगा। तब जाकर यंहा के पठन-पाठन का कार्य सुचारू रूप से चल पाएगा। हाला की कमरे, शौचालय, खेल का मैदान, जनरेटर और कंप्यूटर के संबंध में उन्होंने कोई भी सार्थक जवाब नहीं दिया। और इसका जवाब देने से बचते रहे।
बाइट 1. दीक्षा कुमारी। छात्रा।
बाइट 2. माही कुमारी। छात्रा।
बाइट 3. इला श्री। छात्रा।
बाइट 4. सत्येंद्र नारायण सिंह। प्रभारी प्राचार्य।
बाइट 5. रामचंद्र मंडल जिला शिक्षा पदाधिकारी सीतामढ़ी।
पी टू सी 6.
विजुअल 7,8,9,10
Conclusion:पी टू सी राहुल देव सोलंकी। सीतामढ़ी।
Last Updated : Aug 22, 2019, 4:59 PM IST
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