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दूसरे दिन भी लोग उत्साह के साथ मना रहे हैं होली, घर-घर जाकर लगा रहे रंग - विश्वनाथपुर मठ

गांव में घर-घर जाकर एक-दूसरे के साथ होली खेलते हैं. वहीं, होली के मौके पर गांव के लोग एक मंडली का भी गठन करते हैं. जो मंडली शाम के समय घर-घर जाकर गुलाल लगाकर गाना गाते हुए ढोल और झाल बजाते हैं.

सीतामढ़ी में होली
सीतामढ़ी में होली
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Published : Mar 11, 2020, 1:07 PM IST

Updated : Mar 11, 2020, 1:15 PM IST

सीतामढ़ी: मंगलवार को देशभर में धूमधाम से होली का त्यौहार मनाया गया. होली का आनंद उठाने में कोई भी पीछे नहीं रहा. सभी अपने-अपने ढ़ंग से होली की मस्ती में डूबने को आतुर दिखा. सामाजिक संगठन हो या व्यवसायिक संगठन, सभी लोग होली मिलन के बहाने रंगों में रंग गए. होली के दूसरे दिन भी सीतामढ़ी में लोग पूरे उत्साह के साथ होली मनाते नजर आए.

दूसरे दिन भी धूमधाम से होली मना रहे हैं लोग
होली के दूसरे दिन भी शहर से गांव तक लोगों में खासा उत्साह दिख रहा है. लोग एक-दूसरे को रंग और गुलाल लगाते नजर आ रहे हैं. लोग होली में एक-दूसरे को रंग और गुलाल लगाकर आपसी भाईचारे की मिसाल पेश कर रहे हैं. उनका मानना है कि होली में लोग रंग और गुलाल लगाकर जब गले मिलते हैं तो साल भर के सारे गिले-शिकवे दूर हो जाते हैं.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

सदियों से चली आ रही है परंपरा
महंत रामेश्वर दास ने बताया कि गांव के लोग पहले विश्वनाथपुर मठ से होली की शुरुआत करते हैं. इसके बाद गांव में घर-घर जाकर एक-दूसरे के साथ होली खेलते हैं. वहीं, होली के मौके पर गांव के लोग एक मंडली का भी गठन करते हैं. जो मंडली शाम के समय घर-घर जाकर गुलाल लगाकर गाना गाते हुए ढोल और झाल बजाते हैं. महंत रामेश्वर दास ने बताया कि यह परंपरा सदियों से चली आ रही है. जिसका निर्वहन हम लोग करते हैं.

सीतामढ़ी: मंगलवार को देशभर में धूमधाम से होली का त्यौहार मनाया गया. होली का आनंद उठाने में कोई भी पीछे नहीं रहा. सभी अपने-अपने ढ़ंग से होली की मस्ती में डूबने को आतुर दिखा. सामाजिक संगठन हो या व्यवसायिक संगठन, सभी लोग होली मिलन के बहाने रंगों में रंग गए. होली के दूसरे दिन भी सीतामढ़ी में लोग पूरे उत्साह के साथ होली मनाते नजर आए.

दूसरे दिन भी धूमधाम से होली मना रहे हैं लोग
होली के दूसरे दिन भी शहर से गांव तक लोगों में खासा उत्साह दिख रहा है. लोग एक-दूसरे को रंग और गुलाल लगाते नजर आ रहे हैं. लोग होली में एक-दूसरे को रंग और गुलाल लगाकर आपसी भाईचारे की मिसाल पेश कर रहे हैं. उनका मानना है कि होली में लोग रंग और गुलाल लगाकर जब गले मिलते हैं तो साल भर के सारे गिले-शिकवे दूर हो जाते हैं.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

सदियों से चली आ रही है परंपरा
महंत रामेश्वर दास ने बताया कि गांव के लोग पहले विश्वनाथपुर मठ से होली की शुरुआत करते हैं. इसके बाद गांव में घर-घर जाकर एक-दूसरे के साथ होली खेलते हैं. वहीं, होली के मौके पर गांव के लोग एक मंडली का भी गठन करते हैं. जो मंडली शाम के समय घर-घर जाकर गुलाल लगाकर गाना गाते हुए ढोल और झाल बजाते हैं. महंत रामेश्वर दास ने बताया कि यह परंपरा सदियों से चली आ रही है. जिसका निर्वहन हम लोग करते हैं.

Last Updated : Mar 11, 2020, 1:15 PM IST
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