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बाढ़ की तैयारी को लेकर प्रशासन के दावे खोखले, 4 लाख की आबादी पर मात्र 20 पुरानी नाव

सीतामढ़ी का बेलसंड अनुमंडल के चार लाख आबादी बाढ़ से प्रभावित है. प्रशासन जहां 38 नाव का दावा कर रहा है. वहीं ग्रामीण इसे झूठा बता रहे हैं. पुराने नाव लोगों को उपलब्ध कराया जा रहा है. उपलब्ध नावों पर दबंगों का कब्जा रहता है. ग्रामीण अपना बचाव खुद करते हैं.

बाढ़ प्रभावित बेलसंड अनुमंडल के लोग
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Published : Jul 11, 2019, 11:33 AM IST

Updated : Jul 11, 2019, 11:41 AM IST

सीतामढ़ी: जिले का अधिकांश प्रखंड और अनुमंडल बाढ़ से प्रभावित है. बेलसंड अनुमंडल की आबादी करीब चार लाख है. यहां के लोग बागमती और बूढ़ी गंडक के कारण बाढ़ की विभीषिका झेलते हैं. बाढ़ के समय आवागमन का एक मात्र साधन नाव बचता है. लेकिन सरकार की तरफ से नाव उपलब्ध कराने के दावे को ग्रामीण खोखला बता रहे हैं.

बाढ़ प्रभावित बेलसंड अनुमंडल से ग्राउंड रिपोर्ट

प्रलयकारी बाढ़ में जिला मुख्यालय और अन्य शहरों से अनुमंडल के अधिकांश गांवों का संपर्क टूट जाता है. इस साल भी जिले में बाढ़ ने दस्तक दे दी है. लेकिन अबतक अधिकांश पंचायतों की जनता को नाव मुहैया नहीं कराई गई है. जिसके कारण जनता के बीच काफी आक्रोश है.

झूठा आश्वासन दे रहे अधिकारी
ग्रामीणों का कहना है कि बाढ़ से निकलने के लिए यहां कोई साधन नहीं है. प्रशासन का दावा है कि जनता के बचाव के लिए 38 नाव मौजूद है. जबकि लोगों का कहना है कि स्थानीय पदाधिकारी सिर्फ झूठा आश्वासन दे रहे हैं. ग्रामीणों की शिकायत है कि एक भी नाव की खरीद नहीं की गई है. पुराने नावों से काम चलाया जा रहा है. गांव के दबंग लोगों को नाव मुहैया कराया जाता है. जबकि ग्रामीणों को अपना बचाव खुद करना पड़ता है.

sitamarhi
बाढ़ प्रभावित बेलसंड अनुमंडल के लोग

परिचालन लायक मात्र 20 नाव
अंचलाधिकारी अमरेंद्र प्रताप शाही ने बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में नाव की पर्याप्त उपलब्धता की बात कही. हालांकि 38 नाव में करीब 18 सड़कर टूट चुके हैं. मात्र 20 परिचालन लायक है. उन्होंने स्वीकार करते हुए कहा कि यहां बाढ़ के दौरान 60 से 70 नावों की जरूरत है.

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बाढ़ प्रभावित बेलसंड अनुमंडल में बढ़ता जल स्तर

नाविकों का भुगतान है बकाया
नाविकों ने बताया कि पिछली बार बाढ़ के समय अपनी सेवा दी थी. लेकिन सरकार की तरफ से अबतक भुगतान नहीं किया गया है. बकाया राशि हासिल करने के लिए महीनों कार्यालय और विभाग का चक्कर काट चुके हैं. भुगतान नहीं होने के कारण इस बार नाव संचालन से खुद को अलग कर लिया है.

सीतामढ़ी: जिले का अधिकांश प्रखंड और अनुमंडल बाढ़ से प्रभावित है. बेलसंड अनुमंडल की आबादी करीब चार लाख है. यहां के लोग बागमती और बूढ़ी गंडक के कारण बाढ़ की विभीषिका झेलते हैं. बाढ़ के समय आवागमन का एक मात्र साधन नाव बचता है. लेकिन सरकार की तरफ से नाव उपलब्ध कराने के दावे को ग्रामीण खोखला बता रहे हैं.

बाढ़ प्रभावित बेलसंड अनुमंडल से ग्राउंड रिपोर्ट

प्रलयकारी बाढ़ में जिला मुख्यालय और अन्य शहरों से अनुमंडल के अधिकांश गांवों का संपर्क टूट जाता है. इस साल भी जिले में बाढ़ ने दस्तक दे दी है. लेकिन अबतक अधिकांश पंचायतों की जनता को नाव मुहैया नहीं कराई गई है. जिसके कारण जनता के बीच काफी आक्रोश है.

झूठा आश्वासन दे रहे अधिकारी
ग्रामीणों का कहना है कि बाढ़ से निकलने के लिए यहां कोई साधन नहीं है. प्रशासन का दावा है कि जनता के बचाव के लिए 38 नाव मौजूद है. जबकि लोगों का कहना है कि स्थानीय पदाधिकारी सिर्फ झूठा आश्वासन दे रहे हैं. ग्रामीणों की शिकायत है कि एक भी नाव की खरीद नहीं की गई है. पुराने नावों से काम चलाया जा रहा है. गांव के दबंग लोगों को नाव मुहैया कराया जाता है. जबकि ग्रामीणों को अपना बचाव खुद करना पड़ता है.

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बाढ़ प्रभावित बेलसंड अनुमंडल के लोग

परिचालन लायक मात्र 20 नाव
अंचलाधिकारी अमरेंद्र प्रताप शाही ने बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में नाव की पर्याप्त उपलब्धता की बात कही. हालांकि 38 नाव में करीब 18 सड़कर टूट चुके हैं. मात्र 20 परिचालन लायक है. उन्होंने स्वीकार करते हुए कहा कि यहां बाढ़ के दौरान 60 से 70 नावों की जरूरत है.

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बाढ़ प्रभावित बेलसंड अनुमंडल में बढ़ता जल स्तर

नाविकों का भुगतान है बकाया
नाविकों ने बताया कि पिछली बार बाढ़ के समय अपनी सेवा दी थी. लेकिन सरकार की तरफ से अबतक भुगतान नहीं किया गया है. बकाया राशि हासिल करने के लिए महीनों कार्यालय और विभाग का चक्कर काट चुके हैं. भुगतान नहीं होने के कारण इस बार नाव संचालन से खुद को अलग कर लिया है.

Intro:20 पुरानी नाव से बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों की करीब चार लाख की आबादी का किया जायेगा बचाव।


Body:जिले का अधिकांश प्रखंड और अनुमंडल बाढ़ प्रभावित क्षेत्र है। और उसमें बेलसंड अनुमंडल की करीब चार लाख की आबादी सबसे ज्यादा बागमती और बूढ़ी गंडक के कारण बाढ़ की विभीषिका झेलने को विवश होती है। प्रलयकारी बाढ़ आने के बाद अधिकांश गांवों का संपर्क चौक चौराहा, जिला मुख्यालय और अन्य शहरों से टूट जाता है। वहां की आबादी को निकलने के लिए नाव ही एकमात्र सहारा होता है। इसके बावजूद अधिकांश पंचायतों में तबाही झेलने वाली जनता को बाढ़ की दस्तक देने के बावजूद भी नाव मुहैया नहीं कराई गई है। लिहाजा प्रत्येक वर्ष बाढ़ की विभीषिका झेलने वाली जनता के बीच काफी आक्रोश देखा जा रहा है। जनता की शिकायत है कि स्थानीय पदाधिकारी सिर्फ झूठा आश्वासन दे रहे हैं। कि जनता के बचाव के लिए 38 नाव मौजूद है। लेकिन हकीकत यह है कि इस बार अब तक कोई नए नाव की खरीद नहीं की गई है। बरसों पुराना नाव जो प्रशासन के पास मौजूद है। उसी नाव को बताया जा रहा है। जबकि पुराने जितने भी नाव हैं। उसमें आधे से अधिक सरकर टूट चुका है। कुछ गांव में दबंग लोग हैं जिस के डर से अधिकारी सबसे पहले उन्हें ही नाव मुहैया करा देते हैं। और जहां सबसे ज्यादा नाव की जरूरत होती है उस पंचायत और गांव में नाव नहीं दिया जाता है। लिहाजा बाढ़ के दौरान अपने अस्तर से ही जनता अपना बचाव खुद करती है। और इस बाढ़ में ईश्वर ही मालिक और सहारा होते हैं। यहां तो बाढ़ के नाम पर प्रत्येक वर्ष सिर्फ लूट खसोट होता है। जनता के हित की बात ना तो सरकार चाहती है ना ही अधिकारी। वही इस संबंध में पूछे जाने पर अनुमंडल के अंचला अधिकारी अमरेंद्र प्रताप शाही ने बताया कि जनसंख्या के अनुसार मेरे पास नाव पर्याप्त है। लेकिन जो 38 नाव उपलब्ध है। उसमें से करीब 18 सरकर टूट चुका है। शेष 20 चलने लायक है जो करीब चार लाख की आबादी के लिए सफिशिएंट है। हालांकि उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि आबादी के अनुसार कम से कम 60 से 70 नावों की जरूरत बाढ़ के दौरान पड़ती है। नाविकों का भुगतान बकाया:-------- बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में बाढ़ के दौरान नाव चलाने वाले नाविकों ने बताया कि प्रत्येक वर्ष बाढ़ आने पर स्थानीय प्रशासन नाव चलाने का जिम्मा हम लोगों को सौंप देती है। लेकिन जो सेवा ली जाती है उसके एवज में मिलने वाली राशि का भुगतान समय पर नहीं किया जाता। और बकाए राशि को हासिल करने के लिए महीनों कार्यालय और विभाग का चक्कर काटना पड़ता है। इसके बाद भी कमाया हुआ पैसा नहीं मिल पाता। लिहाजा हम लोगों ने अब नाव संचालन से अपने को दूर कर लिए है। विजुअल----1. बाइट-------1. अर्जुन मंडल और मंगल पासवान बाढ़ प्रभावित क्षेत्र की जनता। बाइट------ 2. अमरेंद्र प्रताप शाही। अंचलाधिकारी। पी टू सी----3.


Conclusion:पी टू सी----राहुल देव सोलंकी।सीतामढ़ी।
Last Updated : Jul 11, 2019, 11:41 AM IST
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