सीतामढ़ी: 15 जनवरी को मनाई जाने वाली मकर संक्रांति त्योहार को लेकर बाजारों में खरीदारी के लिए काफी भीड़ उमड़ रही है. महंगाई के बावजूद लोगों की आस्था महंगाई पर भारी पड़ रही है. मकर संक्रांति के रोज परंपरागत व्यंजन बनाने के लिए लोग जमकर खरीदारी करने में जुटे हैं. गुड़, तिल, फरही, चूड़ा, तिलकुट जैसी सामग्री बीते साल की तुलना में इस साल काफी महंगी बिक रही है. इसके बावजूद ग्राहकों का उत्साह सामग्री खरीदने के प्रति काफी ज्यादा देखा जा रहा है.
महिलाओं की भीड़
बाजारों में सबसे ज्यादा भीड़ महिला खरीददारों की देखी जा रही है. ऐसी मान्यता है कि मकर संक्रांति के दिन लाई, चूड़ा-दही, तिलकुट, सब्जी आदि व्यंजन का सेवन किया जाता है. इसी को लेकर लोग बाजारों में जाकर हर एक सामग्री की खरीदारी करने में लगे हैं. महंगाई के बावजूद लोग अपने जरूरतों के अनुसार सामग्री की खरीदारी कर रहे हैं.
सामग्री | 2019 | 2020 |
गुड़ | 35 | 60 |
चूड़ा | 25 | 35 |
तिलकुट | 200 | 300 |
15 जनवरी को मनाई जाएगी संक्रांति
मकर संक्रांति का पर्व अक्सर 14 जनवरी को पड़ता है. लेकिन इस बार लोहड़ी 13 जनवरी को मनाई गई. जबकि मकर संक्रांति 15 जनवरी को मनाई जाएगी. क्योंकि ज्योतिषीय गणना के अनुसार इस बार सूर्य का मकर राशि में प्रवेश 14 जनवरी की रात 2 बजकर 7 मिनट पर होगा. इसलिए संक्रांति 15 जनवरी को मनाई जाएगी.
मंदिरों में ब्राह्मणों और गरीबों को दान देते हैं
इस दिन लोग सुबह नदी में स्नान करने के बाद अग्निदेव और सूर्यदेव की पूजा करते हैं. मंदिरों में ब्राह्मणों और गरीबों को दान देते हैं. इसके बाद तिल के लड्डू, खिचड़ी और पकवानों की मिठास के साथ मकर संक्रांति का पर्व मनाते हैं. गुजरात और दिल्ली समेत देश के कई इलाकों में आज के दिन लोग पतंगबाजी भी करते हैं.
पोंगल 15 से 18 जनवरी तक मनाया जाएगा
बता दें कि मकर संक्रांति को उत्तर भारत के कुछ इलाकों में खिचड़ी के पर्व के रूप में मनाते हैं, तो वहीं दक्षिण भारत के तमिलनाडु और केरल में इसे पोंगल के रूप में मनाया जाता है. पोंगल 2020 का पर्व 15 जनवरी को शुरू होगा और 18 जनवरी तक चलेगा. पोंगल का पर्व नई फसल आने की खुशी में मनाया जाता है.
सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करता है
मकर संक्रांति में 'मकर' शब्द मकर राशि को इंगित करता है, जबकि 'संक्रांति' का अर्थ संक्रमण अर्थात प्रवेश करना है. मकर संक्रांति के दिन सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करता है. एक राशि को छोड़कर दूसरे में प्रवेश करने की इस विस्थापन क्रिया को संक्रांति कहते हैं. ज्योतिषीय गणना के अनुसार मकर संक्रांति से ही सूर्य उत्तरायण होंगे.
मकर संक्रांति का शुभ मुहूर्त-
मकर संक्रांति- 15 जनवरी
संक्रांति काल- 07:19 बजे
पुण्यकाल-07:19 से 12:31 बजे तक
महापुण्य काल- 07:19 से 09: 03 बजे तक
संक्रांति स्नान- प्रात: काल
मकर संक्रांति का इतिहास
पौराणिक कथाओं के अनुसार, मकर संक्रांति के दिन की गंगा भागीरथ के पीछे-पीछे चलकर कपिल मुनि के आश्रम से होते सागर में मिली थीं. इसीलिए आज के दिन गंगा स्नान का विशेष महत्व है. मकर संक्रांति को मौसम में बदलाव का सूचक भी माना जाता है. इस दिन से वातावरण में कुछ गर्मी आने लगती है और फिर बसंत ऋतु के बाद ग्रीष्म ऋतु का आगमन होता है.
मकर संक्रांति का महत्व
ऐसा माना जाता है कि इस दिन सूर्य अपने पुत्र शनिदेव से नाराजगी भूलाकर उनके घर गए थे. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन पवित्र नदी में स्नान, दान और पूजा आदि करने से व्यक्ति का पुण्य प्रभाव हजार गुना बढ़ जाता है. इस दिन से मलमास खत्म होने के साथ शुभ महीना प्रारंभ होता है. इस खास दिन को सुख और समृद्धि का दिन माना जाता है.