शेखपुरा: चुनाव नजदीक आते ही सरकार जोर-शोर से नारा लगा रही है कि सुशासन आने के बाद बिहार में विकास की गंगा बह रही है. हर गांव में नली-गली, पक्की सड़क और पेयजल का पूरा-पूरा इंतजाम हुआ है. लेकिन धरातल पर कोई भी योजना दिखती ही नहीं है. अरियरी प्रखंड का पंढर गांव इस बार विधानसभा में चुनावी मुद्दा बनेगा.
ग्रामीणों ने किया वोट बहिष्कार
पिछले लोकसभा में ग्रामीणों ने वोट बहिष्कार किया था. हालांकि जिला प्रशासन ने दावा किया था कि चुनाव के बाद गांव की सड़क को बना दिया जाएगा. चुनाव भी समाप्त हो गया. लेकिन आज तक इस सड़क के निर्माण के प्रति ना तो जिला प्रशासन ने दिलचस्पी दिखाई और ना ही जीतने वाले जनप्रतिनिधि.
सरकार की योजनाओं से वंचित
शेखपुरा जिले में यूं तो कई गांव आज भी सरकार की योजनाओं से वंचित है. ताजा मामला अरियरी प्रखंड क्षेत्र के पंढर गांव का है. यहां के ग्रामीणों का कहना है कि इन्हें आज तक ना सुविधा के रूप के सड़क मिली है और ना ही नली-गली योजना. पेयजल के लिए मोटर के लिए टंकी लगाई गई है.
जनप्रतिनिधि के ठगी का शिकार
ग्रामीण बताते हैं कि इस गांव के लोगों के साथ जिला प्रशासन और जनप्रतिनिधि के ठगी का शिकार होते आये हैं. लोकसभा चुनाव में ग्रामीणों ने वोट का बहिष्कार भी किया था. प्रशासन के समझाने पर वोटिंग प्रक्रिया शुरू की गई थी. ग्रामीणों ने विधानसभा 2020 के चुनाव में वोट बहिष्कार करने की भी बात कही है. लिहाजा सुशासन बाबू का दावा सिर्फ कागजों में सिमटा ही दिख रहा है.
प्रथम चरण में मतदान
आज भी इस गांव की सड़कें अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है. इस बार फिर विधानसभा चुनाव होने वाले हैं और प्रथम चरण में शेखपुरा जिले में मतदान होगा. इस बार पंढर गांव के ग्रामीण फिर से वोट बहिष्कार करेंगे. देखना यह होगा कि इस बार जिला प्रशासन मतदान के प्रति ग्रामीणों को क्या आश्वासन देगी.