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सावन के चौथे सोमवार को भी बंद रहा हलेश्वर नाथ मंदिर, जानिए मंदिर का ऐतिहासिक महत्व

धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक बाबा हलेश्वर नाथ मंदिर का तार रामायण काल से जुड़ा है. यहां हल चलाने के दौरान राजा जनक को एक शिवलिंग मिला था. वहीं, कुछ दूर और हल चलाने के बाद उनको पुनौरा धाम के पास उनको मां जगत जननी सीता धरती के गर्भ से प्राप्त हुआ था.

हलेश्वर नाथ मंदिर
हलेश्वर नाथ मंदिर
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Published : Jul 27, 2020, 9:26 PM IST

Updated : Aug 18, 2020, 4:59 PM IST

शिवहर: कोरोना वायरस जैसी वैश्विक महामारी को लेकर जहां पूरे प्रदेश मैं लॉक डाउन है. लॉकडाउन का असर केवल आमोखास पर नहीं बल्कि बाबा भोले के भक्तों पर भी पड़ रहा है. दरअसल, रीगा प्रखंड के गिरमिशानी गांव स्थित बाबा हलेश्वर नाथ के मंदिर में सावन के चौथे सोमवारी में भी भक्तों को बाबा कब दर्शन नहीं हो सका. बता दें कि जिला प्रशासन के आदेशानुसार मंदिर को आम लोगों के लिए पूरी तरह से सील कर दिया गया है.

'कोरोना महामारी ने किया बाबा भोले के भक्तों को निराश'
हलेश्वर नाथ मंदिर के पुजारी रवि गिरी बाबा ने बताया कि कोरोना को लेकर सरकार के आदेश के बाद पूरे प्रदेश में लॉकडाउन लागू है. सरकार और जिला प्रशासन लगातार लोगों से सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने की अपील कर रही है. जिला प्रशासन के आदेश के बाद से मंदिर को आम लोगों को लिए बंद किया गया है. हालांकि, सरकारी निर्देश अनुसार बाबा की पूजा और आराधना तय समय मंदिर समिति की ओर से की जा रही है.

मंदिर का रामायण काल से जुड़ा हुआ है कथा
धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक बाबा हलेश्वर नाथ मंदिर का तार रामायण काल से जुड़ा है. इलाके के जानकारों की माने तो मिथिला नरेश राजा जनक के शासनकाल में 12 साल का भीषण अकाल हुआ था. जिसके बाद राजा जनक ने ऋषि-मुनियों की राय से हल चलाना शुरू किया. इसी क्रम में राजा का हाल सीतामढ़ी के गिर निशानी क्षेत्र में एक ठोस वस्तु से टकराया और हल का परिचालन बंद हो गया. इसके बाद राजा जनक के निर्देश के बाद खुदाई की गई. खुदाई करने के क्रम में वहां से शिवलिंग निकला. तब राजा जनक ने ऋषि मुनियों की राय से उस स्थान पर शिवलिंग की स्थापना कर हलेस्ती यग करने के बाद वहां मंदिर की स्थापना की.

बंद रहा हलेश्वार नाथ मंदिर
बंद रहा हलेश्वार नाथ मंदिर

'हलेश्वर स्थान से 3 किमी दूर मिली थी मां सीता'
धार्मिक जानकार बताते हैं कि यज्ञ के बाद जब राजा जनक ने फिर से हल चलाना शुरू किया तो, हलेश्वर नाथ मंदिर से तीन किलोमीटर दूर पुनौरा धाम के पास उन्हें मां जगत जननी सीता मिली. उसके बाद राजा जनक की नगरी जनकपुर धाम में बारिश हुई थी. जिसके बाद उनके राज्य में अकाल समाप्त हुआ था.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

मंदिर से जुड़ा है लोगों का आस्था-विश्वास
स्थानीय लोगों का कहना है कि रामायण काल से राजा जनक के द्वारा मंदिर की स्थापना के बाद से जो श्रद्धालु सच्चे मन से बाबा की आराधना करते हैं और बाबा हलेश्वर नाथ पर जलाभिषेक करते हैं, तो उनकी सभी मनोकामना पूर्ण हो जाती है. मंदिर के पुजारी का कहना है कि सावन महीने में जो भी भक्त यहां बाबा भोले पर जलाभिषेक करता है तो उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है. सावन के महीने में यहीं भारी भीड़ होती थी. हालांकि, फिलहाल कोरोना के कारण मंदिर बंद है.

शिवहर: कोरोना वायरस जैसी वैश्विक महामारी को लेकर जहां पूरे प्रदेश मैं लॉक डाउन है. लॉकडाउन का असर केवल आमोखास पर नहीं बल्कि बाबा भोले के भक्तों पर भी पड़ रहा है. दरअसल, रीगा प्रखंड के गिरमिशानी गांव स्थित बाबा हलेश्वर नाथ के मंदिर में सावन के चौथे सोमवारी में भी भक्तों को बाबा कब दर्शन नहीं हो सका. बता दें कि जिला प्रशासन के आदेशानुसार मंदिर को आम लोगों के लिए पूरी तरह से सील कर दिया गया है.

'कोरोना महामारी ने किया बाबा भोले के भक्तों को निराश'
हलेश्वर नाथ मंदिर के पुजारी रवि गिरी बाबा ने बताया कि कोरोना को लेकर सरकार के आदेश के बाद पूरे प्रदेश में लॉकडाउन लागू है. सरकार और जिला प्रशासन लगातार लोगों से सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने की अपील कर रही है. जिला प्रशासन के आदेश के बाद से मंदिर को आम लोगों को लिए बंद किया गया है. हालांकि, सरकारी निर्देश अनुसार बाबा की पूजा और आराधना तय समय मंदिर समिति की ओर से की जा रही है.

मंदिर का रामायण काल से जुड़ा हुआ है कथा
धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक बाबा हलेश्वर नाथ मंदिर का तार रामायण काल से जुड़ा है. इलाके के जानकारों की माने तो मिथिला नरेश राजा जनक के शासनकाल में 12 साल का भीषण अकाल हुआ था. जिसके बाद राजा जनक ने ऋषि-मुनियों की राय से हल चलाना शुरू किया. इसी क्रम में राजा का हाल सीतामढ़ी के गिर निशानी क्षेत्र में एक ठोस वस्तु से टकराया और हल का परिचालन बंद हो गया. इसके बाद राजा जनक के निर्देश के बाद खुदाई की गई. खुदाई करने के क्रम में वहां से शिवलिंग निकला. तब राजा जनक ने ऋषि मुनियों की राय से उस स्थान पर शिवलिंग की स्थापना कर हलेस्ती यग करने के बाद वहां मंदिर की स्थापना की.

बंद रहा हलेश्वार नाथ मंदिर
बंद रहा हलेश्वार नाथ मंदिर

'हलेश्वर स्थान से 3 किमी दूर मिली थी मां सीता'
धार्मिक जानकार बताते हैं कि यज्ञ के बाद जब राजा जनक ने फिर से हल चलाना शुरू किया तो, हलेश्वर नाथ मंदिर से तीन किलोमीटर दूर पुनौरा धाम के पास उन्हें मां जगत जननी सीता मिली. उसके बाद राजा जनक की नगरी जनकपुर धाम में बारिश हुई थी. जिसके बाद उनके राज्य में अकाल समाप्त हुआ था.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

मंदिर से जुड़ा है लोगों का आस्था-विश्वास
स्थानीय लोगों का कहना है कि रामायण काल से राजा जनक के द्वारा मंदिर की स्थापना के बाद से जो श्रद्धालु सच्चे मन से बाबा की आराधना करते हैं और बाबा हलेश्वर नाथ पर जलाभिषेक करते हैं, तो उनकी सभी मनोकामना पूर्ण हो जाती है. मंदिर के पुजारी का कहना है कि सावन महीने में जो भी भक्त यहां बाबा भोले पर जलाभिषेक करता है तो उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है. सावन के महीने में यहीं भारी भीड़ होती थी. हालांकि, फिलहाल कोरोना के कारण मंदिर बंद है.

Last Updated : Aug 18, 2020, 4:59 PM IST
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