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'विदेश में मिल सकती है मान्यता तो भारत में क्यों नहीं'

मनोज भावुक भोजपुरी के जाने माने युवा साहित्यकार, भोजपुरी भाषा के सुप्रसिद्ध कवि, फिल्म समीक्षक और एक भोजपुरी स्टॉर भी हैं. उन्होंने देश-विदेश में जाकर भोजपुरी का डंका बजाया है. ईटीवी भारत संवाददाता ने मनोज भावुक से खास बातचीत की.

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Published : Jun 19, 2019, 11:59 PM IST

मनोज भावुक

सारण: 'जिस क्षेत्र से राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और कई मुख्यमंत्री हुए हों उस क्षेत्र की भाषा को सरकारी मान्यता का ना मिलना अपने आप में शर्मिंदगी की बात है. लेकिन, अब दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरना प्रदर्शन करके नहीं बल्कि भोजपुरी भाषा को सरकारी मान्यता दिलाने के लिए मुद्दा बनाकर लड़ना होगा' यह शब्द भोजपुरी क्षेत्र के प्रख्यात साहित्यकार मनोज भावुक के हैं. उन्होंने भोजपुरी क्षेत्र के प्रसार-प्रचार के लिए अनेकों काम किए. जिसे केवल भारत ने ही नहीं बल्कि पूरे विश्व ने सराहा है.

मनोज भावुक भोजपुरी के जाने माने युवा साहित्यकार, भोजपुरी भाषा के सुप्रसिद्ध कवि, फिल्म समीक्षक और एक भोजपुरी स्टॉर भी हैं. उन्होंने देश-विदेश में जाकर भोजपुरी का डंका बजाया है. ईटीवी भारत संवाददाता ने मनोज भावुक से खास बातचीत की.

भोजपुरी लेखक मनोज भावुक से बातचीत

संवैधानिक दर्जा मिलने की बात कही
बातचीत के दौरान भोजपुरी साहित्यकार मनोज भावुक ने कहा कि बाहरी देशों में भोजपुरी भाषा को मान्यता मिली हुई है. लेकिन, अपने ही देश में इसे संवैधानिक दर्जा देने के लिए सकारात्मक प्रयास नहीं किया जा रहा है. जो नेता चुनाव के समय भोजपुरिया क्षेत्रों में आकर वोट मांगते हैं, उनलोगों से विनती है कि एकजुट हो और भोजपुरी को आठवीं अनुसूची में शामिल कराने का मार्ग प्रशस्त करें.

जनप्रतिनिधियों को उठाना होगा बीड़ा
मनोज भावुक ने कहा कि भोजपुरी को आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग को लेकर दिल्ली के जंतर-मंतर पर सैकड़ों बार धरना प्रदर्शन किया गया है. लेकिन, सरकार पर कोई असर नहीं हुआ. ऐसे में अब जरूरी है कि हम अपने क्षेत्रों के जनप्रतिनिधियों का घेराव करें.

saran
मनोज भावुक से बात करते ईटीवी भारत संवाददाता

साक्षात्कार की अहम बातें

  • वोट के लिए नेता जनता को भोजपुरी भाषा में बात कर लुभाते हैं
  • नेताओं को सकारात्मक प्रयास करने की जरूरत है
  • सभी को साथ मिलकर काम करना होगा
  • विदेश में मिल सकती है मान्यता तो भारत में क्यों नहीं?
  • भोजपुरी भाषा उपेक्षित नहीं है, यह समझना होगा
  • हमें भोजपुरी पर गर्व करना चाहिए

'विदेश में मिल सकती है मान्यता तो भारत में क्यों नहीं'

सारण: 'जिस क्षेत्र से राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और कई मुख्यमंत्री हुए हों उस क्षेत्र की भाषा को सरकारी मान्यता का ना मिलना अपने आप में शर्मिंदगी की बात है. लेकिन, अब दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरना प्रदर्शन करके नहीं बल्कि भोजपुरी भाषा को सरकारी मान्यता दिलाने के लिए मुद्दा बनाकर लड़ना होगा' यह शब्द भोजपुरी क्षेत्र के प्रख्यात साहित्यकार मनोज भावुक के हैं. उन्होंने भोजपुरी क्षेत्र के प्रसार-प्रचार के लिए अनेकों काम किए. जिसे केवल भारत ने ही नहीं बल्कि पूरे विश्व ने सराहा है.

मनोज भावुक भोजपुरी के जाने माने युवा साहित्यकार, भोजपुरी भाषा के सुप्रसिद्ध कवि, फिल्म समीक्षक और एक भोजपुरी स्टॉर भी हैं. उन्होंने देश-विदेश में जाकर भोजपुरी का डंका बजाया है. ईटीवी भारत संवाददाता ने मनोज भावुक से खास बातचीत की.

भोजपुरी लेखक मनोज भावुक से बातचीत

संवैधानिक दर्जा मिलने की बात कही
बातचीत के दौरान भोजपुरी साहित्यकार मनोज भावुक ने कहा कि बाहरी देशों में भोजपुरी भाषा को मान्यता मिली हुई है. लेकिन, अपने ही देश में इसे संवैधानिक दर्जा देने के लिए सकारात्मक प्रयास नहीं किया जा रहा है. जो नेता चुनाव के समय भोजपुरिया क्षेत्रों में आकर वोट मांगते हैं, उनलोगों से विनती है कि एकजुट हो और भोजपुरी को आठवीं अनुसूची में शामिल कराने का मार्ग प्रशस्त करें.

जनप्रतिनिधियों को उठाना होगा बीड़ा
मनोज भावुक ने कहा कि भोजपुरी को आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग को लेकर दिल्ली के जंतर-मंतर पर सैकड़ों बार धरना प्रदर्शन किया गया है. लेकिन, सरकार पर कोई असर नहीं हुआ. ऐसे में अब जरूरी है कि हम अपने क्षेत्रों के जनप्रतिनिधियों का घेराव करें.

saran
मनोज भावुक से बात करते ईटीवी भारत संवाददाता

साक्षात्कार की अहम बातें

  • वोट के लिए नेता जनता को भोजपुरी भाषा में बात कर लुभाते हैं
  • नेताओं को सकारात्मक प्रयास करने की जरूरत है
  • सभी को साथ मिलकर काम करना होगा
  • विदेश में मिल सकती है मान्यता तो भारत में क्यों नहीं?
  • भोजपुरी भाषा उपेक्षित नहीं है, यह समझना होगा
  • हमें भोजपुरी पर गर्व करना चाहिए
Intro:डे प्लान वाली ख़बर हैं
MOJO KIT NUMBER:-577
SLUG:-BHOJPURI BHASHA
ETV BHARAT NEWS DESK
F.M:-DHARMENDRA KUMAR RASTOGI/SARAN/BIHAR

Anchor:-जिस क्षेत्र से राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, कई मुख्यमंत्री को दिया हो साथ ही लगभग 50 सांसद देने का काम करता हो उस क्षेत्र व भाषा को अभी तक सरकारी मान्यता का नही मिलना अपने आप में शर्मिंदगी वाली बात है लेकिन अब दिल्ली के जंतर मंतर पर धरना प्रदर्शन नही बल्कि भोजपुरी भाषा को सरकारी मान्यता दिलाने के लिए मुद्दा बनाकर लड़ना पड़ेगा।

उक्त बातें भोजपुरी के जाने माने युवा साहित्यकार, भोजपुरी भाषा के सुप्रसिद्ध कवि, फ़िल्म समीक्षक, टेलिविजन के क्षेत्र में बेहतर कार्य करने वाले व देश विदेश में जाकर भोजपुरी का डंका बजाने वाले मनोज भावुक ने ईटीवी भारत के संवाददाता धर्मेन्द्र कुमार रस्तोगी से खास बातचीत के दौरान छपरा में कही हैं।


Body:भारत के बाहर के देशों में भोजपुरी भाषा को मान्यता मिली हुई हैं लेकिन अपने ही देश में इसे संवैधानिक दर्जा देने के लिए सकारात्मक प्रयास नही किया जा रहा हैं। जो नेता चुनाव के समय भोजपुरिया क्षेत्रों में आकर वोट मांगते हैं उनलोगों से विनती हैं कि एक जुट हों और भोजपुरी को आठवीं अनुसूची में शामिल कराने का मार्ग प्रशस्त करें।

भोजपुरी को आठवीं अनुसूची में शामिल करने को लेकर दिल्ली
के जंतर मंतर पर सैकड़ों बार धरना प्रदर्शन किया गया हैं लेकिन हमलोगों के नेता कुम्भकर्णी नींद में सोई हुई हैं लेकिन अब अपने ही क्षेत्रों के जनप्रतिनिधियों के घेराव करने की जरूरत है तभी यह लड़ाई लड़ी जा सकती हैं क्योंकि यह हम सब भोजपुरिया समाज के लिए प्रतिष्ठा की बात हो गई हैं।


Conclusion:युवाओं के लिए भोजपुरी क्षेत्रो में समृद्ध कैरियर हैं इसके लिए हम सबको मिलकर सृजन का मार्ग तैयार करना होगा। उन्होंने भोजपुरी फिल्मों में अश्लीलता को लेकर कहा कि भोजपुरी में बढ़ती अश्लीलता को लेकर आज का समाज काफ़ी शोर व हो हल्ला करता हैं लेकिन शोर व हंगामा करने के वजाय इस तरह के मौके पर चुप्पी साधने से अश्लीलता अपने आप समाप्त हो जाएगी।

हंगामा करने से लोगों के बीच जागरूकता बढ़ जाती हैं कि आख़िर क्यों हंगामा बरपा जा रहा हैं। आने वाले दिनों में भोजपुरी भाषा को निश्चित ही जनभाषा के रूप में अपनाना पड़ेगा।

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