सारण: मध्याह्न भोजन योजना के निवाले में जान गंवाने वाले नवसृजित विद्यालय के 23 बच्चों की बरसी 16 जुलाई को मनाई गई. सात साल पहले 16 जुलाई 2013 को मशरक प्रखंड के धरमासती बाजार के पास गंडामन गांव के सामुदायिक भवन में प्राथमिक विद्यालय चल रहा था. यहां मध्याह्न भोजन खाने से 23 मासूम बच्चों की दर्दनाक मौत हो गई थी.
कैसे हुई थी ये घटना
16 जुलाई 2013 को प्राथमिक विद्यालय में पढ़ाई कर रहे मासूम बच्चे खाना मिलने का इंतजार कर रहे थे. रसोइया ने एक बच्चे को स्कूल की प्रधान शिक्षिका मीना देवी के घर से सरसों तेल लाने को भेजा. सरसो तेल के डिब्बे के पास ही छिड़काव के लिए तैयार कीटनाशक रखा था. बच्चे ने तेल के बदले कीटनाशक का घोल लाकर दे दिया, जो बिल्कुल सरसो तेल जैसा ही था. रसोइया जब सोयाबीन तलने लगी तो उसमें से झाग निकलने लगा. उसने इसकी शिकायत एचएम मीना देवी से की. मीना देवी ने इसका ध्यान नहीं दिया. उसके बाद जब खाना बनकर तैयार हो गया और बच्चों को परोसा गया तो बच्चों ने खाने का स्वाद खराब होने की शिकायत की.
25 बच्चे इलाज के बाद आए थे वापस
जानकारी के मुताबिक बच्चों की शिकायत को नजरअंदाज करते हुए मीना देवी ने डांटकर भगा दिया था. कुछ देर बाद ही बच्चों को उल्टी और दस्त शुरू हो गई. इसके बाद देखते ही देखते 23 बच्चों ने दम तोड़ दिया. विद्यालय की रसोइया और 25 बच्चे पीएमसीएच में कठिन इलाज के बाद वापस गांव आ पाये थे.
एचएम पर दर्ज हुई थी प्राथमिकी
23 बच्चों की मौत को लेकर मशरक थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई गई. उसमें प्रधान शिक्षिका मीना देवी समेत उनके पति अर्जुन राय को भी आरोपित किया गया. मीना देवी को एसआइटी में शामिल महिला थानाध्यक्ष अमिता सिंह ने 23 जुलाई को गिरफ्तार कर लिया. बाद में कोर्ट ने पति अर्जुन राय को बरी कर दिया था, लेकिन प्रधान शिक्षिका को दोषी मानते हुए दो सजा सुनाई गई. पहली 10 वर्ष की सश्रम कैद एवं ढाई लाख जुर्माना, दूसरी सात वर्ष सश्रम कैद एवं 1.25 लाख रुपये अर्थदंड की सजा थी. कोर्ट ने कहा था कि दोनों सजा अलग-अलग चलेगी. पहले 10 वर्ष की सजा और बाद में 7 वर्ष की सजा काटनी होगी. फिलहाल मीना देवी जमानत पर बाहर हैं.
सरकार ने लिया था गांव को गोद
बच्चों की मौत के बाद सरकार ने गंडामन गांव को गोद ले लिया था. इसके बाद गांव के विकास को पंख लग गए, जिस स्कूल में घटना हुई उसका नया बिल्डिंग बना और उसे अपग्रेड किया गया. मृत बच्चों की याद में करोड़ों की लागत से स्मारक, इंटर कॉलेज की स्थापना, स्वास्थ्य उपकेंद्र, जल मीनार बनी. गांव की अधिकांश सड़कों को चकाचक कर दिया गया. पूरे गांव में बिजली की व्यवस्था, पीड़ित परिवारों सहित गांव के अन्य लोगों को भी पक्का आवास, पेंशन योजना, परिसर में पोखरे का उन्नयन आदि अनेक विकास योजनाओं को साकार कर दिया गया. हालांकि कई योजनाएं पूरी हुई पर कुछ योजनाएं अब भी अधूरी हैं.
रह-रह कर टीस दे जाती है, 16 जुलाई की यादें
गंडामन गांव में जिन घरों के चिराग बूझ गए, उनके घर एक बार फिर मातम का दौर है. इस हृदय-विदारक घटना की यादें ताजा होते ही गांव के हर लोगों की आंखें नम हो जा रही है. करीब-करीब हर दूसरे घर के बच्चे को इस घटना ने लील लिया. गुरूवार को इस घटना की सातवीं बरसी पर बच्चों के स्मारक पर एक बार फिर सभी एकत्रित हुए और फूल-माला चढ़ा कर अब कभी नहीं लौटने वाले अपने लाडले को प्यार-दुलार देकर श्रद्धांजलि दिए.