सारण: जिले में टीबी मरीजों के खोज के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा एक अभियान की शुरुआत की गयी है. टीबी हारेगा, देश जीतेगा अभियान के तहत टीबी मरीजों की खोज की जा रही है. इसी कड़ी में स्वास्थ्य विभाग द्वारा मंडल कारा छपरा में टीबी मरीजों की खोज के लिए विशेष कैंप का आयोजन किया गया. इस दौरान मंडल कारा में करीब 30 व्यक्तियों की स्क्रिनिंग की गयी. सभी का टीबी जांच के लिए बलगम का सैंपल लिया गया.
सदर असप्ताल के चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. एसडी सिंह के देख रेख में इस कैंप का आयोजन किया गया. इस मौके पर डॉ. एसडी सिंह ने बताया कि टीबी एक जानलेवा बिमारी है. इस बीमारी की समय से जांच और उपचार के अभाव में संपर्क में रहने वाले अन्य सदस्यों में भी रोग के फैलने की संभावना रहती है. साथ ही अनियमित और अधूरे उपचार के कारण कई रोगियों में ड्रग रेजिस्टेंट टीबी हो जाती है.
टीबी मरीजों का होगा मुफ्त इलाज
उन्होने बताया कि यदि किसी व्यक्ति को दो हफ्तों से ज्यादा की खांसी, खांसी में खून का आना, सीने में दर्द, बुखार, वजन का कम होने की शिकायत हो तो वह तत्काल बलगम की जांच कराए. जांच और उपचार बिल्कुल मुफ्त है. मरीज को इलाज की अवधि तक 500 रुपये प्रतिमाह पोषण राशि दी जाती है. इस मौके पर टीबी के डीपीसी हिमांशु शेखर, एसटीएस राम प्रकाश सिंह, सीनियर डॉट्स पल्स टीबी के सुपरवाइजर पवन कुमार ओझा, संजय कुमार गिरी, कृषण किशोर, प्रशांत कुमार सिंह, मनीष सिंह मौजूद थे.
उच्च जोखिम युक्त समूह में टीबी मरीजों की होगी खोज
प्रभारी सीडीओ डॉ. अजय कुमार शर्मा ने बताया कि 11 से 16 जनवरी तक उच्च जोखिम युक्त समूह में टीबी मरीजों की खोज की जायेगी. आनाथालय, नारी निकेतन, बाल संरक्षण गृह, वृद्धा आश्रम, कारागृह, सुधार गृह, रैन बसेरा और पोषण पुनर्वास केंद्रों में कार्यक्रम चलाया जाएगा. यहां क्षय रोगियों की स्क्रीनिंग की जाएगी. जांच में टीबी के रोगी पाए जाने पर स्वास्थ्य विभाग द्वारा उनका इलाज निशुल्क किया जाएगा. इस चरण में 18 से 23 जनवरी तक जिले के निजी चिकित्सकों से संपर्क कर उन्हें टीबी की जानकारी दी जाएगी. साथ ही 27 से 31 जनवरी तक ईंट भट्टा के मजदूर, नव निर्मित कार्यस्थल के मजदूर, ग्रामीण दूरस्थ एवं कठिन क्षेत्र, महादलित टोला और अन्य लक्षित समूह में आशा कार्यकर्ता, एएनएम, आंगनबाड़ी सेविका और गैर सरकारी स्वयंसेवी संस्था के कार्यकर्ता मरीजों की खोज करेंगे.