पटना: बीपीएससी 70वीं प्रीलिम्स परीक्षा को रद्द करने की मांग को लेकर पटना के गर्दनीबाग धरना स्थल पर पिछले 28 दिनों से प्रदर्शन चल रहा है. अभ्यर्थियों ने आज मंगलवार को धरना स्थल पर ही दही-चूड़ा खाकर मकर संक्रांति का त्योहार मनाया. अभ्यर्थियों की ओर से प्रदेश के सभी विधायकों को निमंत्रण भेजा गया था लेकिन कोई भी विधायक उनके साथ दही चूड़ा खाने के लिए नहीं पहुंचे.
अभ्यर्थियों से मिलने नहीं आए कोई नेता: दही चूड़ा खा रही अभ्यर्थी खुशबू कुमारी ने कहा कि उनकी भी इच्छा थी कि घर पर परिवार के साथ बैठकर दही-चूड़ा खाएं. हालांकि अपने भविष्य को लेकर वो चिंतित हैं और इसके लिए लड़ाई लड़ रही है. जिसके कारण सड़क पर नाला किनारे बैठकर मकर संक्रांति मना रही हैं. कोई नेता उनके साथ दही चूड़ा खाने नहीं आया है और सभी नेता अपने आवास पर नेताओं के बीच में दही चूड़ा खाकर मकर संक्रांति मना रहे हैं.
"सभी विधायकों को निमंत्रण गया था लेकिन कोई भी युवाओं के बीच में नहीं आए. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ की बात करते हैं लेकिन बेटी सड़क पर बैठकर दही चूड़ा खा रही है, यह कोई नहीं देख रहा."- खुशबू कुमारी, अभ्यर्थी
मकर संक्राति पर बदले सरकार का रुख: अभ्यर्थियों ने कहा कि वह सूर्य देव से यही कामना करते हैं कि सरकार का रुख बदल जाए. दही-चूड़ा खा रहे अभ्यर्थी सुमन कुमार ने कहा कि वह सरकार से यही उम्मीद रखते हैं कि उन लोगों की बातें सुनी जाए और उनका मसला हल हो. वह मकर संक्रांति के दिन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से गुहार लगा रहे हैं कि अभ्यर्थियों की री एग्जामिनेशन की जो डिमांड है वह पूरी की जाए.
"बिहार सबसे युवा प्रदेश है और युवाओं के लिए बीपीएससी का यह मुद्दा सबसे बड़ा मुद्दा है. परीक्षा में अनियमितता को लेकर हम काफी चिंता में है. इस बात की भी चिंता है कि हम नौकरी छोड़कर तैयारी करने आए थे और अब आगे हमारा क्या होगा."- सुमन कुमार, अभ्यर्थी
सरकार अपनी प्रकृति के साथ चले: अभ्यर्थी रवीश कुमार राज ने कहा कि मकर संक्रांति परिवर्तन का दिन होता है और आज वह सूर्य देव से यही कामना करते हैं कि सरकार की बुद्धि परिवर्तित हो. सरकार अपनी जीद्द छोड़े और अभ्यर्थियों की बात सुने. उन्होंने कहा कि 18 दिसंबर से यहीं पर प्रदर्शन कर रहे हैं और सरकार के कोई विधायक अभी तक यहां हाल-चाल लेने तक नहीं आए हैं. बहरहाल स्टूडेंट आ रहे हैं और स्टूडेंट मजबूती से अपनी लड़ाई लड़ रहे हैं.
"सूर्य देव हमेशा प्रकृति के नियम के अनुसार चलते हैं तो सरकार को भी चाहिए कि सरकार चलाने की जो प्रकृति है उसके अनुसार सरकार चले. सामान्य दिनों पर काफी सारे विधायक और नेता आते हैं लेकिन आज दही-चूड़ा खाने कोई नहीं आया है." - रवीश कुमार राज, अभ्यर्थी
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