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सारण के सूर्य मंदिर का है अनोखा महत्व, यहां छठ व्रत से होती है संतान की प्राप्ति

सूर्य मंदिर परिसर स्थित तालाब लगभग सैकड़ों वर्ष पुराना बताया जाता है. जिसका जीर्णोद्धार स्थानीय ग्रामीणों के सहयोग से किया गया है.

सूर्य मंदिर
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Published : Apr 11, 2019, 4:13 PM IST


सारण: उत्तर बिहार का इकलौता सारण के कोठेयाँ नारांव गांव स्थित सूर्य मंदिर में दिनों दिन आस्था का प्रतीक बनता जा रहा हैं. जिस वजह से आये दिन श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ती जा रही हैं. सूर्य मंदिर की स्थापना 1990 में हुई थी जिसका उद्घाटन तत्कालीन जिलाधिकारी ब्यास जी और पुलिस अधीक्षक सीआर कासवान ने संयुक्त रूप से की थी.

मंदिर के स्थापना काल से ही छठ पूजा के दिन हजारो की संख्या में छठ व्रती यहां आकर अपना व्रत पूर्ण करते हैं. कार्तिक में होने वाले छठ पूजा से कम चैती छठ पूजा में श्रद्धालुओं की भीड़ कम होती हैं. भक्तों की मानें तो यहां जो भी निष्ठा पूर्वक मन्नत मांगा जाता हैं वह सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं ऐसा भी माना जाता हैं कि जिसको चर्म रोग से पीड़ित ब्यक्ति इस सूर्य कुंड में नियमित स्नान करने के बाद भगवान सूर्य की उपासना करते हैं वे रोग मुक्त हो जाते है.

सूर्य मंदिर
सूर्य मंदिर परिसर स्थित तालाब लगभग सैकड़ों वर्ष पुराना बताया जाता है. जिसका जीर्णोद्धार स्थानीय ग्रामीणों के सहयोग से किया गया हैं. भगवान भास्कर की प्रतिमा काला पत्थर द्वारा निर्मित है. सोनपुर के चिड़िया बाजार से आई मुन्नी देवी और छपरा शहर के राजेन्द्र कॉलेज मोड़ से आई गीता देवी ने बताया कि हमारी मनोकामना यहां आकर पूरी हुई है. उन्होंने बताया कि लगभग 18 वर्ष से हम इस सूर्य मंदिर में छठ व्रत करने आते है.
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सूर्य मंदिर स्थित कुंड
वहीं सोनपुर से आई महिला श्रद्धालु मुन्नी देवी का कहना हैं कि बेटे की शादी के लगभग दस वर्ष गुजर गये थे. लेकिन संतान का मुहं नही देखी थी. तो इसी सूर्य मंदिर में आने पर मन्नत मांगी और वह पूरी भी हो गई जिस कारण हमलोग यहां आकर तीन दिनों तक रह कर छठ व्रत करते हैं.
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सूर्य मंदिर

बता दें कि सारण के तत्कालीन जिलाधिकारी ब्यास जी को पुत्र रत्न की प्राप्ति इसी सूर्य मंदिर स्थित रामजानकी मन्दिर के तत्कालीन महंथ श्री श्री 1008 विश्वामित्र महंथ रामदास जी महाराज जलसैनी जी के आशीर्वाद से हुई थी.


सारण: उत्तर बिहार का इकलौता सारण के कोठेयाँ नारांव गांव स्थित सूर्य मंदिर में दिनों दिन आस्था का प्रतीक बनता जा रहा हैं. जिस वजह से आये दिन श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ती जा रही हैं. सूर्य मंदिर की स्थापना 1990 में हुई थी जिसका उद्घाटन तत्कालीन जिलाधिकारी ब्यास जी और पुलिस अधीक्षक सीआर कासवान ने संयुक्त रूप से की थी.

मंदिर के स्थापना काल से ही छठ पूजा के दिन हजारो की संख्या में छठ व्रती यहां आकर अपना व्रत पूर्ण करते हैं. कार्तिक में होने वाले छठ पूजा से कम चैती छठ पूजा में श्रद्धालुओं की भीड़ कम होती हैं. भक्तों की मानें तो यहां जो भी निष्ठा पूर्वक मन्नत मांगा जाता हैं वह सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं ऐसा भी माना जाता हैं कि जिसको चर्म रोग से पीड़ित ब्यक्ति इस सूर्य कुंड में नियमित स्नान करने के बाद भगवान सूर्य की उपासना करते हैं वे रोग मुक्त हो जाते है.

सूर्य मंदिर
सूर्य मंदिर परिसर स्थित तालाब लगभग सैकड़ों वर्ष पुराना बताया जाता है. जिसका जीर्णोद्धार स्थानीय ग्रामीणों के सहयोग से किया गया हैं. भगवान भास्कर की प्रतिमा काला पत्थर द्वारा निर्मित है. सोनपुर के चिड़िया बाजार से आई मुन्नी देवी और छपरा शहर के राजेन्द्र कॉलेज मोड़ से आई गीता देवी ने बताया कि हमारी मनोकामना यहां आकर पूरी हुई है. उन्होंने बताया कि लगभग 18 वर्ष से हम इस सूर्य मंदिर में छठ व्रत करने आते है.
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सूर्य मंदिर स्थित कुंड
वहीं सोनपुर से आई महिला श्रद्धालु मुन्नी देवी का कहना हैं कि बेटे की शादी के लगभग दस वर्ष गुजर गये थे. लेकिन संतान का मुहं नही देखी थी. तो इसी सूर्य मंदिर में आने पर मन्नत मांगी और वह पूरी भी हो गई जिस कारण हमलोग यहां आकर तीन दिनों तक रह कर छठ व्रत करते हैं.
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सूर्य मंदिर

बता दें कि सारण के तत्कालीन जिलाधिकारी ब्यास जी को पुत्र रत्न की प्राप्ति इसी सूर्य मंदिर स्थित रामजानकी मन्दिर के तत्कालीन महंथ श्री श्री 1008 विश्वामित्र महंथ रामदास जी महाराज जलसैनी जी के आशीर्वाद से हुई थी.

Intro:डे प्लान वाली ख़बर हैं
MOJO KIT NUMBER:-577
ETV BHARAT NEWS DESK
SLUG:- SURYA MANDIR
F.M:-DHARMENDRA KUMAR RASTOGI/SARAN/BIHAR

Anchor:-उत्तर बिहार का इकलौता सारण के कोठेयाँ नारांव गांव स्थित सूर्य मंदिर में दिनों दिन आस्था का प्रतीक बनता जा रहा हैं जिस वजह से आये दिन श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ती जा रही हैं।
सूर्य मंदिर की स्थापना 1990 में हुई थी जिसका उद्घाटन तत्कालीन जिलाधिकारी ब्यास जी व पुलिस अधीक्षक सीआर कासवान ने संयुक्त रूप से की थी। मंदिर के स्थापना काल से ही छठ पूजा के दिन हज़ारो की संख्या में छठ व्रती यहां आकर अपना व्रत पूर्ण करते हैं। कार्तिक में होने वाले छठ पूजा से कम चैती छठ पूजा में श्रद्धालुओं की भीड़ कम होती हैं।

भक्तों की मानें तो यहां जो भी निष्ठा पूर्वक मन्नत मांगा जाता हैं वह सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं ऐसा भी माना जाता हैं कि जिसको चर्म रोग से पीड़ित ब्यक्ति इस सूर्य कुंड में नियमित स्नान करने के बाद भगवान सूर्य की उपासना करते हैं वे रोग मुक्त हो जाते है।




Body:सूर्य मंदिर परिसर स्थित तालाब लगभग सैकड़ों वर्ष पुरानी बताई जाती हैं जिसका जीर्णोद्धार स्थानीय ग्रामीणों के सहयोग से किया गया हैं। भगवान भाष्कर की प्रतिमा काला पत्थर द्वारा निर्मित है।

सोनपुर के चिड़िया बाजार से आई मुन्नी देवी व छपरा शहर के राजेन्द्र कॉलेज मोड़ से आई गीता देवी ने बताया कि हमारा मनोकामना पूर्ण हुई हैं और लगभग 18 वर्ष से हम इस सूर्य मंदिर में छठ व्रत करने आते है।

सोनपुर से आई महिला श्रद्धालु मुन्नी देवी का कहना हैं कि बेटे की शादी के लगभग दस वर्ष गुजर गया था लेकिन संतान का मुहं नही देखी थी तो इसी सूर्य मंदिर में आने पर मन्नत मांगी और वह पूरी भी हो गई जिस कारण हमलोग यहां आकर तीन दिनों तक रह कर छठ व्रत करती हूं।

byte:-राजेश तिवारी, स्थानीय युवक
मुन्नी देवी, सोनपुर से आई छठ व्रती


Conclusion:मालूम हो कि सारण के तत्कालीन जिलाधिकारी ब्यास जी को पुत्र रत्न की प्राप्ति इसी सूर्य मंदिर स्थित रामजानकी मन्दिर के तत्कालीन महंथ श्री श्री 1008 विश्वामित्र महंथ रामदास जी महाराज जलसैनी जी के आशीर्वाद से मिला था।

उसके बाद ब्यास जी ने सूर्यं मन्दिर के विकास में अपना अहम भुमिका निभाई थी जिसमें बिजली व नदी पुल का निर्माण के साथ ही सूर्य कुंड सहित मन्दिर का जीर्णोद्धार किया गया था।
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