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सारणः दोबारा बाढ़ आने से लोगों की बढ़ी परेशानी, मदद नहीं मिलने पर कहा- चुनाव का करेंगे बहिष्कार

बिहार के कई जिलों में लोग दोबारा बाढ़ का दंश झेल रहे हैं. स्थानीय प्रशसान की तरफ से कोई व्यवस्था नहीं किए जाने से ग्रामीणों में काफी आक्रोश है और वो मतदान का बहिष्कार करने की बात कर रहे हैं.

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Published : Sep 30, 2020, 1:47 PM IST

सारणः बिहार में बेमौसम बरसात की वजह से नदियां उफान पर हैं. इससे कई जिले फिर से बाढ़ की चपेट में हैं. इसी कड़ी में मशरख प्रखंड क्षेत्र में फिर से बाढ़ के आने से लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. घरों में पानी घुस जाने से लोग अपने घर को छोड़ विस्थापित होने को मजबूर हैं.

देखें रिपोर्ट

घर छोड़ने को मजबूर लोग
मशरख प्रखंड के लोगों के चहरे पर विस्थापना का दर्द साफ देखने को मिल रहा है. पिछले महीने बाढ़ ने इस प्रखंड के कई गांवों में भारी तबाही मचाई थी. बाढ़ की वापसी के बाद लोग अपने सामान को लेकर सुरक्षित स्थानों पर शरण लेने को मजबूर हो गए हैं.

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बाढ में डूबा गांव

नहीं की गई कोई व्यवस्था
मशरख प्रखंड के बंगरा पंचयात के चैनपुर, हंसापुर और चरिहारा के लोगों में सरकार के प्रति काफी नाराजगी देखने को मिल रही है. स्थानीय लोगों ने बताया कि प्रशासन की तरफ से दूसरी बार बाढ़ आने की सूचना नहीं दी गई थी. साथ ही बाढ़ को लेकर कोई व्यवस्था नहीं की गई है.

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बाढ का पानी

'लोगों को नहीं मिली सहायता राशि'
स्थानीय लोगों ने कहा कि जनप्रतिनिधि बस वोट मांगने के समय आते हैं. अभी तक लोगों को प्रशासन की तरफ से किसी तरह की मदद नहीं मिली है. एक नाव तक की व्यवस्था नहीं की गई है. ग्रामीणों ने कहा कि पहली बार के बाढ़ में भी सरकार की तरफ से मिलने वाली 600 रुपये की सहायता राशि भी लोगों को नहीं मिली.

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परेशान लोग

'मतदान का करेंगे बहिष्कार'
लोगों ने कहा कि हमलोग वोट करके मुखिया और विधायक चुनते हैं. आपदा की इस घड़ी में हमारे चुने जनप्रतिनिधि हाल चाल पूछने तक नहीं आते हैं. स्थानीय लोगों ने कहा कि इस बार बिहार विधानसभा चुनाव में हमलोग वोट नहीं देंगे. प्रशासन की लापरवाही की वजह से लोगों को काफी नुकसान झेलना पड़ रहा है.

सारणः बिहार में बेमौसम बरसात की वजह से नदियां उफान पर हैं. इससे कई जिले फिर से बाढ़ की चपेट में हैं. इसी कड़ी में मशरख प्रखंड क्षेत्र में फिर से बाढ़ के आने से लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. घरों में पानी घुस जाने से लोग अपने घर को छोड़ विस्थापित होने को मजबूर हैं.

देखें रिपोर्ट

घर छोड़ने को मजबूर लोग
मशरख प्रखंड के लोगों के चहरे पर विस्थापना का दर्द साफ देखने को मिल रहा है. पिछले महीने बाढ़ ने इस प्रखंड के कई गांवों में भारी तबाही मचाई थी. बाढ़ की वापसी के बाद लोग अपने सामान को लेकर सुरक्षित स्थानों पर शरण लेने को मजबूर हो गए हैं.

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बाढ में डूबा गांव

नहीं की गई कोई व्यवस्था
मशरख प्रखंड के बंगरा पंचयात के चैनपुर, हंसापुर और चरिहारा के लोगों में सरकार के प्रति काफी नाराजगी देखने को मिल रही है. स्थानीय लोगों ने बताया कि प्रशासन की तरफ से दूसरी बार बाढ़ आने की सूचना नहीं दी गई थी. साथ ही बाढ़ को लेकर कोई व्यवस्था नहीं की गई है.

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बाढ का पानी

'लोगों को नहीं मिली सहायता राशि'
स्थानीय लोगों ने कहा कि जनप्रतिनिधि बस वोट मांगने के समय आते हैं. अभी तक लोगों को प्रशासन की तरफ से किसी तरह की मदद नहीं मिली है. एक नाव तक की व्यवस्था नहीं की गई है. ग्रामीणों ने कहा कि पहली बार के बाढ़ में भी सरकार की तरफ से मिलने वाली 600 रुपये की सहायता राशि भी लोगों को नहीं मिली.

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परेशान लोग

'मतदान का करेंगे बहिष्कार'
लोगों ने कहा कि हमलोग वोट करके मुखिया और विधायक चुनते हैं. आपदा की इस घड़ी में हमारे चुने जनप्रतिनिधि हाल चाल पूछने तक नहीं आते हैं. स्थानीय लोगों ने कहा कि इस बार बिहार विधानसभा चुनाव में हमलोग वोट नहीं देंगे. प्रशासन की लापरवाही की वजह से लोगों को काफी नुकसान झेलना पड़ रहा है.

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