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छपरा: चहल्लुम पर शिया समुदाय के लोगों ने निकाल मातम जुलूस, सून्नी ने जमकर बजाया डीजे

जिला प्रशासन ने जुलूस के लिए रूट और डीजे बजाने पर पाबंदी लगाई थी. लेकिन जुलूस के दौरान लोगों ने जिला प्रशासन को ठेंगा दिखाते हुए शहर के विभिन्न मार्गों पर जमकर डीजे बजाया.

छपरा शिया समुदाय के लोगों ने निकाल मातम जुलूस
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Published : Oct 21, 2019, 9:54 AM IST

सारण: छपरा में शिया समुदाय के लोगों नें चहल्लुम मनाया. इसमें शिया समुदाय के लोगों ने मातम जुलूस निकाला. वहीं, सुन्नी समुदाय के लोगों नें डीजे और पारंपरिक हथियारों के साथ पूरे शहर का भ्रमण किया. इस दौरान जिला प्रशासन ने सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए हुए थे. भीड़ को देखते हुए पूरे शहर में भारी संख्या में पुलिस बलों की तैनाती की गई थी.

छपरा
हथियार लहराते लोग

कानून को दिखाया ठेंगा
बताया जाता है कि जिला प्रशासन ने जुलूस के लिए रूट और डीजे बजाने पर पाबंदी लगाई थी. लेकिन जुलूस के दौरान लोगों ने जिला प्रशासन को ठेंगा दिखाते हुए शहर के विभिन्न मार्गों पर जमकर डीजे बजाया. इस मामले पर जिले के प्रबुद्ध लोग डॉ. दिप्ती सहाय और डॉ. कन्हैया कुमार वर्मा ने बताया कि इस समय जो हो रहा है. वह वो वर्तमान समाज और देश हित में नहीं है. इससे देश में नफरत और हिंसा का माहौल बनेगा

मातम मनाते शिया समुदाय के लोग
मातम मनाते शिया समुदाय के लोग

2 महीने 8 दिन मनाया जाता है मातम
हजरत इमाम हुसैन की शहादत के 40 वें दिन चहल्लुम का आयोजन किया जाता है. बताया जाता है कि इसके पीछे एक दूसरा कारण भी है. मुस्लिम समुदाय के लोगों का कहना है कि हजारों साल पहले करबला कि लड़ाई में इमाम हुसैन के साथ उनके कमांडर जनरल अब्बास और कई अन्य सैनिकों ने अपनी शहादत दी थी. इस शहादत की याद में 2 महीने 8 दिन का शोक मनाया जाता है. चहल्लुम भी उसी का हिस्सा है.

शिया समुदाय के लोगों ने निकाल मातम जुलूस

अकीदत के साथ मनाया गया मातमी त्यौहार
मातमी पर्व चहल्लुम पर मुस्लिम युवाओं ने डीजे के धुनों पर पर करतब दिखाते नाच- गानों का प्रदर्शन किया. जुलूस में बच्चे, बूढ़े, जवान या हुसैन या हुसैन का नारा लगाते दिखे. इस अवसर पर मुस्लिम प्रवचकों ने कहा कि इमाम हुसैन की शहादत से इंसानियत और हक की राह में कुर्बान हो जाने की प्रेरणा मिलती है.अंजाम की परवाह किए बिना सच पर कायम रहने की हिम्मत पैदा होती है. उन्होंने बताया कि सच्चाई और इंसानियत के लिए जान देने वाले कभी हारते नहीं, हमेशा जीतते हैं. वहीं ,शहर के प्रबुद्ध लोगों ने मानवता की रक्षा के लिए लोगों को आगे आने का आह्वान करते हुए शहर में शांती और अमन की दुआ मांगी.

डॉ. कन्हैया कुमार वर्मा,स्थानीय
डॉ. कन्हैया कुमार वर्मा, स्थानीय

सारण: छपरा में शिया समुदाय के लोगों नें चहल्लुम मनाया. इसमें शिया समुदाय के लोगों ने मातम जुलूस निकाला. वहीं, सुन्नी समुदाय के लोगों नें डीजे और पारंपरिक हथियारों के साथ पूरे शहर का भ्रमण किया. इस दौरान जिला प्रशासन ने सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए हुए थे. भीड़ को देखते हुए पूरे शहर में भारी संख्या में पुलिस बलों की तैनाती की गई थी.

छपरा
हथियार लहराते लोग

कानून को दिखाया ठेंगा
बताया जाता है कि जिला प्रशासन ने जुलूस के लिए रूट और डीजे बजाने पर पाबंदी लगाई थी. लेकिन जुलूस के दौरान लोगों ने जिला प्रशासन को ठेंगा दिखाते हुए शहर के विभिन्न मार्गों पर जमकर डीजे बजाया. इस मामले पर जिले के प्रबुद्ध लोग डॉ. दिप्ती सहाय और डॉ. कन्हैया कुमार वर्मा ने बताया कि इस समय जो हो रहा है. वह वो वर्तमान समाज और देश हित में नहीं है. इससे देश में नफरत और हिंसा का माहौल बनेगा

मातम मनाते शिया समुदाय के लोग
मातम मनाते शिया समुदाय के लोग

2 महीने 8 दिन मनाया जाता है मातम
हजरत इमाम हुसैन की शहादत के 40 वें दिन चहल्लुम का आयोजन किया जाता है. बताया जाता है कि इसके पीछे एक दूसरा कारण भी है. मुस्लिम समुदाय के लोगों का कहना है कि हजारों साल पहले करबला कि लड़ाई में इमाम हुसैन के साथ उनके कमांडर जनरल अब्बास और कई अन्य सैनिकों ने अपनी शहादत दी थी. इस शहादत की याद में 2 महीने 8 दिन का शोक मनाया जाता है. चहल्लुम भी उसी का हिस्सा है.

शिया समुदाय के लोगों ने निकाल मातम जुलूस

अकीदत के साथ मनाया गया मातमी त्यौहार
मातमी पर्व चहल्लुम पर मुस्लिम युवाओं ने डीजे के धुनों पर पर करतब दिखाते नाच- गानों का प्रदर्शन किया. जुलूस में बच्चे, बूढ़े, जवान या हुसैन या हुसैन का नारा लगाते दिखे. इस अवसर पर मुस्लिम प्रवचकों ने कहा कि इमाम हुसैन की शहादत से इंसानियत और हक की राह में कुर्बान हो जाने की प्रेरणा मिलती है.अंजाम की परवाह किए बिना सच पर कायम रहने की हिम्मत पैदा होती है. उन्होंने बताया कि सच्चाई और इंसानियत के लिए जान देने वाले कभी हारते नहीं, हमेशा जीतते हैं. वहीं ,शहर के प्रबुद्ध लोगों ने मानवता की रक्षा के लिए लोगों को आगे आने का आह्वान करते हुए शहर में शांती और अमन की दुआ मांगी.

डॉ. कन्हैया कुमार वर्मा,स्थानीय
डॉ. कन्हैया कुमार वर्मा, स्थानीय
Intro:जय श्री राम बनाम नारे ततवी।छ्परा से पंकज श्रीवास्तव की रिपोर्ट। छ्परा। काश्मीर तो होगा लेकिन पाकिस्तान नही होगा।यह दुर्गा पुजा के विसर्जन यात्रा पर खुब सुनने मे आया।वही आज चेहल्लुम के अवसर पर इसका जबाब भी सुनने मे आया यह जबाब है हिदुस्तान किसी के बाप का नही है नारे ततवि अलल्ला हो अकबर।ठीक उसी तरह अल्पसंख्यक समुदाय के लोग सड़को पर पारम्परिक हथियार लेकर सड़को पर उतरे और।जमकर नारे बाजी की।मानो उन लोगों ने विसर्जन यात्रा का जबाब चे ह्ल्लूम के माध्यम से दिया है।की हम भी किसी से कम नहीं है ।


Body:यह सारे वाकया छ्परा मे दस दिनो के अन्दर देखने को मिला है।आज छ्परा मे शिया सम्प्रदाय के लोगों ने मातम जुलूस निकाला और अपने इमाम हुसैन की शहादत की याद मे मातम मनाते हुये कर्बला तक गये।वही सुन्नी सम्प्रदाय के लोगों ने बकायदा आर्केस्ट्रा के साथ धार्मिक भावनाओं को भड़काने वाले गीत बजाकर पारम्परिक हथियारो के साथ प्रदर्शन करते हुये शहर भर घुमे । मानो वे जबाबी कारवाई कर रहे हो।


Conclusion:वही दोनो तरफ से इस तरह एक दुसरे को जबाबी कारवाई से धार्मिक भावनाओं को बिगाड़ने की कोशिश की जा रही है।जबकी जिला प्रशासन द्वारा किसी को भी इस तरह के गाने और डीजे बजाने की इजाजत नहीं देता है।जिससे की धार्मिक भावनाएँ भड़के।वही जिला प्रशासन के आदेशों की दोनों सम्प्रदाय के लोगों ने धज्जियां उड़ा कर रख दी।लेकिन जिला प्रशासन चुपचाप रहा है।वही काफी सख्या मे पुलिस जवानों की डियूटी इन जुलूसों के साथ थी।वही इस विषय पर बुधिजीवी वर्ग की राय है की इस समय जो हो रहा है।वो समाज और देश हित मे नही है।इससे देश मे नफरत और हिंसा का माहौल बनेगा जो देश हित मे नही होगा। बाईट डा दिप्ती सहाय और डा कन्हैया कुमार वर्मा
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