सारण: पूर्वोत्तर रेलवे और पूर्व मध्य रेलवे (East Central Railway) के अधिकांश रेलवे कॉलोनियों की हालत बहुत खरराब है. सारण में भी यही हाल है. यहां के रहने वाले रेल कर्मचारी और उनके परिवार जैसे-तैसे अपना जीवन बसर कर रहे हैं. वरीय अधिकारियों का दौरा होता है तब आनन-फानन में मेंटेनेंस का काम तेजी से शुरू किया जाता है. नहीं तो अधिकांश दिनों में स्थिति बद से बदतर रहती है. पिछले दिनों मंडल रेल प्रबंधक (Divisional Railway Manager) के वाराणसी दौरे के दौरान रेलवे यूनियन के प्रतिनिधियों ने डीआरएम को एक ज्ञापन भी सौंपा था.
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ज्ञापन में छपरा, छपरा कचहरी और अन्य स्टेशनों पर रेल कर्मचारियों के आवासों के जर्जर स्थिति के बारे में ध्यान दिलाया गया था. इसके बाद भी, अभी तक इस ओर कोई कार्रवाई नहीं की गई है. छपरा से दिघवारा सेक्शन के बीच के स्टेशनों पर स्थित रेलवे कॉलोनियों की स्थिति बद से बदतर है. चाहे वह छपरा की स्थिति हो या छपरा कचहरी की स्थिति हो या दिघवारा रेलवे स्टेशनों के कॉलोनियों की स्थिति हो. सब जगहों की स्थिति कमोबेश एक ही है. रेलवे कर्मचारियों के आवास की हालत ये है की बरसात के मौसम में पहले तल्ले पर स्थित आवासों पर छत से पानी टपकता है. निचले तल्ले पर हमेशा जलजमाव की स्थिति बनी रहती है.
जल ही जीवन की बात की जाती है तो रेल कर्मचारियों को शुद्ध पेयजल भी मयस्सर नहीं है. सालों से यहां लगी पानी की टंकियों की साफ-सफाई नहीं होती है. रेल कर्मचारी और उनके परिजन यही गंदा पानी पीने के लिए विवश हैं. क्योंकि, 2 साल हो जाते हैं इन टंकियों की सफाई, नहीं होती है. यही गंदा पानी रेल कर्मचारी पीने को मजबूर हैं. इससे, कर्मचारियों में काफी आक्रोश है.
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