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सारण के प्राचीन सूर्य मंदिर में की जा रही है महापर्व छठ की तैयारियां

लोक आस्था के महापर्व छठ की तैयारियां की जा रही है. बुधवार को नहाय खाये के साथ ही छठ व्रत का शुभारंभ हो जायेगा. सारण के कोठिया नराव गांव स्थित प्राचीन सूर्य मंदिर में भी छठ पूजा को लेकर तैयारियां चल रही हैं. मंदिर परिसर में एक तालाब है, छठ व्रती छठ पूजा के दिन भगवान भास्कर को अर्ध्य देते हैं.

सारण
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Published : Nov 17, 2020, 3:06 PM IST

सारण:छठ पूजा में कोठिया नराव गांव के सूर्य मंदिर में श्रद्धालुओं का तांता लग जाता है. मदिर के समीप ही तालाब है. जिसमें व्रती छठ करते हैं. प्राचिन सूर्य मंदिर होने के कारण लोग दूर दूर से यहां पहुंचते हैं.

बुधवार से छठ व्रत की शुरुआत
नहाय खाय के साथ ही कल से छठ व्रत की शुरुआत हो जायेगी.मंदिर में भी व्रतियों का हुजूम उमड़ पड़ता है. इसलिए यहां तमाम तरह की व्यवस्थाएं की जा रही है. ताकि श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की परेशानी न हो. घाटों की सफाई की जा रही है. व्रतियों के रहने, परिजनों के खाने, हर तरह के इंतजाम किये जा रहे हैं.

प्राचीन सूर्य मंदर का इतिहास 300 साल पुराना है

300 साल पुराना है मंदिर का इतिहास
प्राचीन सूर्य मंदिर का इतिहास 300 साल पुराना है. पहले मंदिर और इसका परिसर इतना विकसित नहीं था. धीरे-धीरे लोगों की आस्था बढ़ती गई फिर जनसहयोग से सूर्य मंदिर का निर्माण कराया गया और एक पोखर भी बनवाया गया जहां छठ पर्व पर काफी भीड़ उमड़ती है.

पर्यटन स्थल बनाने की मांग
स्थानीय लोगों ने सरकार से इस मंदिर को पर्यटन स्थल घोषित करने की मांग की है. लोगों ने कहना है कि इस ऐतिहासिक स्थल को पर्यटन स्थल रूप में विकसित किया जाना चाहिए. ये मांग लोगों की ओर से कई बार उठायी गयी है, जिसे सालों से प्रशासन की ओर से अनदेखा किया जाता रहा है.

सारण:छठ पूजा में कोठिया नराव गांव के सूर्य मंदिर में श्रद्धालुओं का तांता लग जाता है. मदिर के समीप ही तालाब है. जिसमें व्रती छठ करते हैं. प्राचिन सूर्य मंदिर होने के कारण लोग दूर दूर से यहां पहुंचते हैं.

बुधवार से छठ व्रत की शुरुआत
नहाय खाय के साथ ही कल से छठ व्रत की शुरुआत हो जायेगी.मंदिर में भी व्रतियों का हुजूम उमड़ पड़ता है. इसलिए यहां तमाम तरह की व्यवस्थाएं की जा रही है. ताकि श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की परेशानी न हो. घाटों की सफाई की जा रही है. व्रतियों के रहने, परिजनों के खाने, हर तरह के इंतजाम किये जा रहे हैं.

प्राचीन सूर्य मंदर का इतिहास 300 साल पुराना है

300 साल पुराना है मंदिर का इतिहास
प्राचीन सूर्य मंदिर का इतिहास 300 साल पुराना है. पहले मंदिर और इसका परिसर इतना विकसित नहीं था. धीरे-धीरे लोगों की आस्था बढ़ती गई फिर जनसहयोग से सूर्य मंदिर का निर्माण कराया गया और एक पोखर भी बनवाया गया जहां छठ पर्व पर काफी भीड़ उमड़ती है.

पर्यटन स्थल बनाने की मांग
स्थानीय लोगों ने सरकार से इस मंदिर को पर्यटन स्थल घोषित करने की मांग की है. लोगों ने कहना है कि इस ऐतिहासिक स्थल को पर्यटन स्थल रूप में विकसित किया जाना चाहिए. ये मांग लोगों की ओर से कई बार उठायी गयी है, जिसे सालों से प्रशासन की ओर से अनदेखा किया जाता रहा है.

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