सारण: जिले के छपरा में गणेश चतुर्थी का त्यौहार धूमधाम से मनाया जा रहा है. शहर के एकमात्र जगह मनाये जाने वाले सोनारपट्टी में मूर्ति का पट खुल गया है और पूजा शुरू हो गई है. पट खुलते ही सैकडों भक्तों ने गणपति की जयजयकार करते हुए पूजा-अर्चना की.
तीस साल से मनाया जा रहा है गणेश उत्सव
इस बाबत शहर में गणेश उत्सव आयोजकों का कहना है कि छपरा में मात्र एक इसी जगह पर गणेश उत्सव मनाया जाता है. यहां पर पिछले 30 सालों से पूजा का आयोजन होता आ रहा है. पूजा के 10वें दिन प्रतिमा का विसर्जन किया जायेगा. इस अवसर पर शहर के सबसे बड़े बाजार सोनारपट्टी को काफ़ी आकर्षक ढंग से सजाया गया है. उत्सव स्थल की सजावट लोगों को अपनी ओर आकर्षित कर रहा है. 10 दिनों तक चलने वाले इस पूजा के बाद विसर्जन के दिन गाजे-बाजे के साथ जुलूस निकाला जाएगा जो शहर के विभिन्न मार्गों से होते हुए घाघरा नदी की तट पर जाकर प्रतिमा के विसर्जन के साथ संपन्न होगा.
महाराष्ट्र से हुई थी शुरुआत
गणेश उत्सव की शुरुआत महाराष्ट्र से हुई है, लेकिन अब यह धीरे-धीरे पूरे देश के अलग-अलग हिस्सों में मनाया जाने लगा है.इतिहासकारों की मानें तो गणेश चतुर्थी की शुरुआत देश के स्वतंत्रता आंदोलन से लोगों को जोड़ने के उद्देश्य से की गई. सन 1894 में जब अंग्रेजों ने राजनीतिक समागम रैलियों पर रोक लगा दी. उस वक्त लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने पेशवाओं की तरफ से गणेश जी की प्रतिमा बाहर निकालकर शहर में घुमाये जाने को लेकर एक नया प्लान तैयार किया था.जिसका नतीजा यह हुआ की जाती-पाती की बंधनों को तोड़ते हुए हर कोई इस सार्वजनिक गणेश उत्सव से जुड़ सका. क्रांतिकारी और राजनेता स्वतंत्रता आंदोलन के अपने सपने को पूरा करने के लिए गणेश उत्सव समितियों में 10 दिनों तक लगातार प्लानिंग करते रहते थे.
बप्पा की पूजा करने से दुखों का होता है निवारण
विघ्नहर्ता गणपति बप्पा की पूजा का सर्वोत्तम दिन बुधवार माना जाता है. ऐसी मान्यता है कि इस दिन बप्पा की पूजा करने मात्र से सभी दुखों का निवारण होता है. वहीं, बप्पा की पूजा घर के वास्तु दोष को दूर करने के लिए भी की जाती है.