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छपरा में गणेश उत्सव की धूम, सोनारपट्टी का आयोजन लोगों को कर रहा आकर्षित

शहर के सबसे बड़े बाजार सोनारपट्टी में पिछले 30 सालों से पूजा का आयोजन होता आ रहा है. पूजा के 10वें दिन प्रतिमा का विसर्जन किया जायेगा. इस अवसर पर शहर के सबसे बड़े बाजार सोनारपट्टी को काफ़ी आकर्षक ढंग से सजाया गया है. उत्सव स्थल की सजावट लोगों को अपनी ओर आकर्षित कर रहा है.

छपरा में घूम-धाम से मनाया जा रहा है गणेशोत्सव
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Published : Sep 3, 2019, 8:56 AM IST

सारण: जिले के छपरा में गणेश चतुर्थी का त्यौहार धूमधाम से मनाया जा रहा है. शहर के एकमात्र जगह मनाये जाने वाले सोनारपट्टी में मूर्ति का पट खुल गया है और पूजा शुरू हो गई है. पट खुलते ही सैकडों भक्तों ने गणपति की जयजयकार करते हुए पूजा-अर्चना की.

तीस साल से मनाया जा रहा है गणेश उत्सव
इस बाबत शहर में गणेश उत्सव आयोजकों का कहना है कि छपरा में मात्र एक इसी जगह पर गणेश उत्सव मनाया जाता है. यहां पर पिछले 30 सालों से पूजा का आयोजन होता आ रहा है. पूजा के 10वें दिन प्रतिमा का विसर्जन किया जायेगा. इस अवसर पर शहर के सबसे बड़े बाजार सोनारपट्टी को काफ़ी आकर्षक ढंग से सजाया गया है. उत्सव स्थल की सजावट लोगों को अपनी ओर आकर्षित कर रहा है. 10 दिनों तक चलने वाले इस पूजा के बाद विसर्जन के दिन गाजे-बाजे के साथ जुलूस निकाला जाएगा जो शहर के विभिन्न मार्गों से होते हुए घाघरा नदी की तट पर जाकर प्रतिमा के विसर्जन के साथ संपन्न होगा.

घूम धाम से मनाया जा रहा है गणेशोत्सव

महाराष्ट्र से हुई थी शुरुआत
गणेश उत्सव की शुरुआत महाराष्ट्र से हुई है, लेकिन अब यह धीरे-धीरे पूरे देश के अलग-अलग हिस्सों में मनाया जाने लगा है.इतिहासकारों की मानें तो गणेश चतुर्थी की शुरुआत देश के स्वतंत्रता आंदोलन से लोगों को जोड़ने के उद्देश्य से की गई. सन 1894 में जब अंग्रेजों ने राजनीतिक समागम रैलियों पर रोक लगा दी. उस वक्त लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने पेशवाओं की तरफ से गणेश जी की प्रतिमा बाहर निकालकर शहर में घुमाये जाने को लेकर एक नया प्लान तैयार किया था.जिसका नतीजा यह हुआ की जाती-पाती की बंधनों को तोड़ते हुए हर कोई इस सार्वजनिक गणेश उत्सव से जुड़ सका. क्रांतिकारी और राजनेता स्वतंत्रता आंदोलन के अपने सपने को पूरा करने के लिए गणेश उत्सव समितियों में 10 दिनों तक लगातार प्लानिंग करते रहते थे.

पूजा करते भक्त
पूजा करते भक्त

बप्पा की पूजा करने से दुखों का होता है निवारण
विघ्नहर्ता गणपति बप्पा की पूजा का सर्वोत्तम दिन बुधवार माना जाता है. ऐसी मान्यता है कि इस दिन बप्पा की पूजा करने मात्र से सभी दुखों का निवारण होता है. वहीं, बप्पा की पूजा घर के वास्तु दोष को दूर करने के लिए भी की जाती है.

सारण: जिले के छपरा में गणेश चतुर्थी का त्यौहार धूमधाम से मनाया जा रहा है. शहर के एकमात्र जगह मनाये जाने वाले सोनारपट्टी में मूर्ति का पट खुल गया है और पूजा शुरू हो गई है. पट खुलते ही सैकडों भक्तों ने गणपति की जयजयकार करते हुए पूजा-अर्चना की.

तीस साल से मनाया जा रहा है गणेश उत्सव
इस बाबत शहर में गणेश उत्सव आयोजकों का कहना है कि छपरा में मात्र एक इसी जगह पर गणेश उत्सव मनाया जाता है. यहां पर पिछले 30 सालों से पूजा का आयोजन होता आ रहा है. पूजा के 10वें दिन प्रतिमा का विसर्जन किया जायेगा. इस अवसर पर शहर के सबसे बड़े बाजार सोनारपट्टी को काफ़ी आकर्षक ढंग से सजाया गया है. उत्सव स्थल की सजावट लोगों को अपनी ओर आकर्षित कर रहा है. 10 दिनों तक चलने वाले इस पूजा के बाद विसर्जन के दिन गाजे-बाजे के साथ जुलूस निकाला जाएगा जो शहर के विभिन्न मार्गों से होते हुए घाघरा नदी की तट पर जाकर प्रतिमा के विसर्जन के साथ संपन्न होगा.

घूम धाम से मनाया जा रहा है गणेशोत्सव

महाराष्ट्र से हुई थी शुरुआत
गणेश उत्सव की शुरुआत महाराष्ट्र से हुई है, लेकिन अब यह धीरे-धीरे पूरे देश के अलग-अलग हिस्सों में मनाया जाने लगा है.इतिहासकारों की मानें तो गणेश चतुर्थी की शुरुआत देश के स्वतंत्रता आंदोलन से लोगों को जोड़ने के उद्देश्य से की गई. सन 1894 में जब अंग्रेजों ने राजनीतिक समागम रैलियों पर रोक लगा दी. उस वक्त लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने पेशवाओं की तरफ से गणेश जी की प्रतिमा बाहर निकालकर शहर में घुमाये जाने को लेकर एक नया प्लान तैयार किया था.जिसका नतीजा यह हुआ की जाती-पाती की बंधनों को तोड़ते हुए हर कोई इस सार्वजनिक गणेश उत्सव से जुड़ सका. क्रांतिकारी और राजनेता स्वतंत्रता आंदोलन के अपने सपने को पूरा करने के लिए गणेश उत्सव समितियों में 10 दिनों तक लगातार प्लानिंग करते रहते थे.

पूजा करते भक्त
पूजा करते भक्त

बप्पा की पूजा करने से दुखों का होता है निवारण
विघ्नहर्ता गणपति बप्पा की पूजा का सर्वोत्तम दिन बुधवार माना जाता है. ऐसी मान्यता है कि इस दिन बप्पा की पूजा करने मात्र से सभी दुखों का निवारण होता है. वहीं, बप्पा की पूजा घर के वास्तु दोष को दूर करने के लिए भी की जाती है.

Intro:गणपति बप्पा मोरिया ।छ्परा से पंकज श्रीवास्तव की रिपोर्ट ।छ्परा मे आज गणेश चतुर्थी का पर्व काफ़ी हर्ष और उल्लास के साथ मनाया गया । इस अवसर पर शहर के सबसे बड़े बाजार सोनारपटटी साहेब गंज के पुरे बाजार को काफ़ी आकर्षक ढंग से सजाया गया था।भादों मास की चतुर्थी तिथि को आयोजित होने वाले इस महापर्व मे आज चतुर्थी के शुभ अवसर पर सिद्धि विनायक विघ्न हरता भगवान गणेश की प्रतिमा का पूजन हवन और मत्रोचारण के बाद भगवान गणेश की प्रतिमा का पट खोला गया।


Body: पट खुलते ही सबसे पहले सैकडों श्रधालूओ भक्तों ने गणपति के दर्शन किये ।इस अवसर पर ढोल मजीरा और घन्टा घड़ियाल के साथ भगवान् गणेश की बंदना और स्तुति की। गणेश चतुर्थी के यह पर्व मुख्य रुप से भारत के पशचिंमी प्रान्त महारास्ट्र मे मनाया जाता है।और इस पर्व को लोक मान्य बाल गंगा धर तिलक ने इसे भारत के स्वतंत्रता संग्राम के आन्दोलन से जोड़ दिया था।तभी से इस पर्व का काफ़ी महत्व है। वैसे गणपति पूजन मे दस दिनो तक का होता है।लेकिन देश के कई भागों मे डेढ़ दिन के गणपति,पाच दिन के गणपति और दस दिनो तक गणपति की पूजा होती है ।


Conclusion: वही अगर छ्परा की बात करे तो छ्परा शहर मे भगवान गणपति की पूजा केवल इसी जगह पर होती है।और यह पूजा पिछ्ले तीस सालों से हो रही है।और इसके दसवे दिन अनंत चतुर्दशी के दिन इस प्रतिमा का विसर्जन किया जायेगा।गाजे-बाजे के साथ विसर्जन जुलूस शहर के मुख्य मार्गो से होता हुआ घाघरा नदी के तट तक जायेगा।जहा पर पूजन के बाद प्रतिमा को नदी मे विसर्जित किया जायेगा।वैसे आज ही हर तालिका तीज व्रत और गणेश चतुर्थी एक ही दिन हो जाने से भगवान गणेश की प्रतिमा का पट खुलने मे काफ़ी देरी हुयी। बाईट आयोजकों की ।
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