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महाराजगंज सीट: पिता प्रभुनाथ की विरासत बचा पाएंगे रंधीर या सीग्रीवाल दोहराएंगे संसदीय पारी? - महाराजगंज लोकसभा

महाराजगंज लोकसभा सीट पर इस बार रणधीर सिंह और वर्तमान सांसद जनार्दन सिंह सीग्रीवाल में टक्कर है. 2014 में यहां से जनार्दन सिंह सीग्रीवाल ने जीत हासिल की थी.

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Published : May 10, 2019, 4:33 PM IST

छपरा: बिहार का दूसरा चित्तौड़गढ़ यानी महाराजगंज लोकसभा सीट पर इस बार एनडीए और महागठबंधन के बीच सीधी लड़ाई है. यहां सबसे ज्यादा आबादी राजपूतों की है. एनडीए ने एक ओर जहां वर्तमान सांसद जनार्दन सिंह सीग्रीवाल पर दांव लगाया है. वहीं दूसरी ओर महागठबंधन ने महाराजगंज के पूर्व सांसद प्रभुनाथ सिंह के बेटे रणधीर सिंह को चुनावी मैदान में उतारा है. ऐसे में यहां कांटे का मुकाबला देखने को मिल सकता है.

विधानसभा सीटों का समीकरण
इस लोकसभा में विधानसभा की कुल 6 सीटें आती हैं. इसके अंतर्गत गोरियाकोठी, महाराजगंज, एकमा , मांझी , बनियापुर और तरैया विधानसभा सीटें हैं. 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में इन 6 सीटों में से 3 आरजेडी ने, 2 सीट जेडीयू ने और 1 सीट कांग्रेस ने जीती थी.

2014 चुनाव का जनादेश
2014 के मोदी लहर में बीजेपी की टिकट से चुनावी मैदान में आये जनार्दन सिंह सीग्रीवाल ने प्रभुनाथ सिंह को 38,415 मतों से पराजित कर पहली बार महाराजगंज की सीट पर बीजेपी का झंडा लहराया था. उन्होंने बाहुबली नेता प्रभुनाथ सिंह को मात दी थी. 2014 के लोकसभा चुनाव में सिग्रीवाल को 3,20,753 वोट मिले थे. जबकि प्रभुनाथ सिंह को 2,82,338 वोट. तीसरे नंबर पर एक और बाहुबली नेता जेडीयू के मनोरंजन सिंह उर्फ धूमल सिंह रहे जिन्हें 1,49,483 वोट मिले.

सांसद का रिपोर्ट कार्ड
बात वर्तमान सांसद जनार्दन सिंह सिग्रीवाल की करें तो वे सांसद बनने से पहले पहले विधायक और बिहार के खेल मंत्री के रूप में भी काम कर चुके हैं. इस दौरान उनके कामकाज की सराहना हुई थी. 16वीं लोकसभा के सांसद के रूप में सिग्रीवाल ने 81 बहसों में हिस्सा लिया. विभिन्न मुद्दों पर 15 प्राइवेट मेंबर बिल लेकर वे सदन में आए. इस दौरान 343 सवाल उन्होंने सदन के पटल पर पूछे.

इस बार जब वो फिर से चुनावी मैदान में हैं तो तमाम बड़े नेताओं ने अपने प्रत्याशियों को विजयी बनाने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह, राजनाथ सिंह, पवन सिंह, मनोज तिवारी, सुशील मोदी आदि ने जनार्दन सिंह सीग्रीवाल के पक्ष में कई चुनावी सभाएं कर चुके हैं.

जनार्दन सिंह सिग्रीवाल की मजबूती
जनार्दन सिंह सिग्रीवाल की छवि एक साफ राजनेता के तौर पर रही है. पिछले लोकसभा चुनाव में वे प्रभुनाथ सिंह जैसे बाहुबली को मात दे चुके हैं. क्षेत्र में उनकी एक राजनीतिक पहचान है. बिहार सरकार के मंत्री के रूप में काम कर चुके हैं. इस बार जनता के बीच प्रधानमंत्री मोदी के कार्यों के साथ ही अपने द्वारा किए गए कार्यों को सामने ला रहे हैं.

पिता प्रभुनाथ की विरासत बचा पाएंगे रंधीर या जनार्दन सिंह सीग्रीवाल दोहराएंगे संसदीय पारी

रंधीर सिंह की मजबूती
वहीं, महागठबंधन के प्रत्याशी रंधीर सिंह और उनके समर्थकों को भरोसा है कि माय यानी (मुस्लिम-यादव) समीकरण के साथ-साथ कोयरी, दलित, पिछड़ी जातियों और राजपूतों का वोट उनके पक्ष में जाएगा. हालांकि पिछड़ी जातियों का वोट बैंक महागठबंधन के साथ कितना जुड़ पाएगा यह दावा कर पाना मुश्किल है. रंधीर सिंह राजनीति में लंबे समय से सक्रिय रहे हैं. इस बार अपनी चुनावी सभा में अपने पिता की पहचान का लाभ लेने की कोशिश कर रहे हैं.

जनता के हाथ में फैसला
बहरहाल, महाराजगंज सीट इस बार भी हॉट केक बन चुका है. एक तरफ रंधीर सिंह के लिए अपने पिता की राजनीतिक विरासत को फिर से स्थापित करने की जद्दोजहद है तो दूसरी तरफ जनार्दन सिंह सिग्रीवाल भी एक बार फिर से जीत हासिल करने की कोशिश में हैं. यह सीट को राजपूत बाहुल्य क्षेत्र माना जाता रहा है. सांसद जनार्दन सिंह और प्रभुनाथ सिंह के पुत्र रणधीर सिंह दोनों ही प्रत्याशी राजपूत बिरादरी से ही आते हैं. ऐसे में देखना बेहद दिलचस्प होगा कि जातिगत समीकरण को साधने के साथ ही जनता किसके सिर जीत का सेहरा बांधती है.

छपरा: बिहार का दूसरा चित्तौड़गढ़ यानी महाराजगंज लोकसभा सीट पर इस बार एनडीए और महागठबंधन के बीच सीधी लड़ाई है. यहां सबसे ज्यादा आबादी राजपूतों की है. एनडीए ने एक ओर जहां वर्तमान सांसद जनार्दन सिंह सीग्रीवाल पर दांव लगाया है. वहीं दूसरी ओर महागठबंधन ने महाराजगंज के पूर्व सांसद प्रभुनाथ सिंह के बेटे रणधीर सिंह को चुनावी मैदान में उतारा है. ऐसे में यहां कांटे का मुकाबला देखने को मिल सकता है.

विधानसभा सीटों का समीकरण
इस लोकसभा में विधानसभा की कुल 6 सीटें आती हैं. इसके अंतर्गत गोरियाकोठी, महाराजगंज, एकमा , मांझी , बनियापुर और तरैया विधानसभा सीटें हैं. 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में इन 6 सीटों में से 3 आरजेडी ने, 2 सीट जेडीयू ने और 1 सीट कांग्रेस ने जीती थी.

2014 चुनाव का जनादेश
2014 के मोदी लहर में बीजेपी की टिकट से चुनावी मैदान में आये जनार्दन सिंह सीग्रीवाल ने प्रभुनाथ सिंह को 38,415 मतों से पराजित कर पहली बार महाराजगंज की सीट पर बीजेपी का झंडा लहराया था. उन्होंने बाहुबली नेता प्रभुनाथ सिंह को मात दी थी. 2014 के लोकसभा चुनाव में सिग्रीवाल को 3,20,753 वोट मिले थे. जबकि प्रभुनाथ सिंह को 2,82,338 वोट. तीसरे नंबर पर एक और बाहुबली नेता जेडीयू के मनोरंजन सिंह उर्फ धूमल सिंह रहे जिन्हें 1,49,483 वोट मिले.

सांसद का रिपोर्ट कार्ड
बात वर्तमान सांसद जनार्दन सिंह सिग्रीवाल की करें तो वे सांसद बनने से पहले पहले विधायक और बिहार के खेल मंत्री के रूप में भी काम कर चुके हैं. इस दौरान उनके कामकाज की सराहना हुई थी. 16वीं लोकसभा के सांसद के रूप में सिग्रीवाल ने 81 बहसों में हिस्सा लिया. विभिन्न मुद्दों पर 15 प्राइवेट मेंबर बिल लेकर वे सदन में आए. इस दौरान 343 सवाल उन्होंने सदन के पटल पर पूछे.

इस बार जब वो फिर से चुनावी मैदान में हैं तो तमाम बड़े नेताओं ने अपने प्रत्याशियों को विजयी बनाने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह, राजनाथ सिंह, पवन सिंह, मनोज तिवारी, सुशील मोदी आदि ने जनार्दन सिंह सीग्रीवाल के पक्ष में कई चुनावी सभाएं कर चुके हैं.

जनार्दन सिंह सिग्रीवाल की मजबूती
जनार्दन सिंह सिग्रीवाल की छवि एक साफ राजनेता के तौर पर रही है. पिछले लोकसभा चुनाव में वे प्रभुनाथ सिंह जैसे बाहुबली को मात दे चुके हैं. क्षेत्र में उनकी एक राजनीतिक पहचान है. बिहार सरकार के मंत्री के रूप में काम कर चुके हैं. इस बार जनता के बीच प्रधानमंत्री मोदी के कार्यों के साथ ही अपने द्वारा किए गए कार्यों को सामने ला रहे हैं.

पिता प्रभुनाथ की विरासत बचा पाएंगे रंधीर या जनार्दन सिंह सीग्रीवाल दोहराएंगे संसदीय पारी

रंधीर सिंह की मजबूती
वहीं, महागठबंधन के प्रत्याशी रंधीर सिंह और उनके समर्थकों को भरोसा है कि माय यानी (मुस्लिम-यादव) समीकरण के साथ-साथ कोयरी, दलित, पिछड़ी जातियों और राजपूतों का वोट उनके पक्ष में जाएगा. हालांकि पिछड़ी जातियों का वोट बैंक महागठबंधन के साथ कितना जुड़ पाएगा यह दावा कर पाना मुश्किल है. रंधीर सिंह राजनीति में लंबे समय से सक्रिय रहे हैं. इस बार अपनी चुनावी सभा में अपने पिता की पहचान का लाभ लेने की कोशिश कर रहे हैं.

जनता के हाथ में फैसला
बहरहाल, महाराजगंज सीट इस बार भी हॉट केक बन चुका है. एक तरफ रंधीर सिंह के लिए अपने पिता की राजनीतिक विरासत को फिर से स्थापित करने की जद्दोजहद है तो दूसरी तरफ जनार्दन सिंह सिग्रीवाल भी एक बार फिर से जीत हासिल करने की कोशिश में हैं. यह सीट को राजपूत बाहुल्य क्षेत्र माना जाता रहा है. सांसद जनार्दन सिंह और प्रभुनाथ सिंह के पुत्र रणधीर सिंह दोनों ही प्रत्याशी राजपूत बिरादरी से ही आते हैं. ऐसे में देखना बेहद दिलचस्प होगा कि जातिगत समीकरण को साधने के साथ ही जनता किसके सिर जीत का सेहरा बांधती है.

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महाराजगंज सीट: पिता प्रभुनाथ की विरासत बचा पाएंगे रंधीर या जनार्दन सिंह सीग्रीवाल दोहराएंगे संसदीय पारी?

छपरा: बिहार का दूसरा चित्तौड़गढ़ यानी महाराजगंज लोकसभा सीट पर इस बार एनडीए और महागठबंधन के बीच सीधी लड़ाई है. यहां सबसे ज्यादा आबादी राजपूतों की है. एनडीए ने एक ओर जहां वर्तमान सांसद जनार्दन सिंह सीग्रीवाल पर दांव लगाया है. वहीं दूसरी ओर महागठबंधन ने महाराजगंज के पूर्व सांसद प्रभुनाथ सिंह के बेटे रणधीर सिंह को चुनावी मैदान में उतारा है. ऐसे में यहां कांटे का मुकाबला देखने को मिल सकता है. 

विधानसभा सीटों का समीकरण

इस लोकसभा में विधानसभा की कुल 6 सीटें आती हैं. इसके अंतर्गत गोरियाकोठी, महाराजगंज, एकमा , मांझी , बनियापुर और तरैया विधानसभा सीटें हैं. 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में इन 6 सीटों में से 3 आरजेडी ने, 2 सीट जेडीयू ने और 1 सीट कांग्रेस ने जीती थी.  

2014 चुनाव का जनादेश

2014 के मोदी लहर में बीजेपी की टिकट से चुनावी मैदान में आये जनार्दन सिंह सीग्रीवाल ने प्रभुनाथ सिंह को 38,415 मतों से पराजित कर पहली बार महाराजगंज की सीट पर बीजेपी का झंडा लहराया था. उन्होंने बाहुबली नेता प्रभुनाथ सिंह को मात दी थी. 2014 के लोकसभा चुनाव में सिग्रीवाल को 3,20,753 वोट मिले थे. जबकि प्रभुनाथ सिंह को 2,82,338 वोट. तीसरे नंबर पर एक और बाहुबली नेता जेडीयू के मनोरंजन सिंह उर्फ धूमल सिंह रहे जिन्हें 1,49,483 वोट मिले.

सांसद का रिपोर्ट कार्ड

बात वर्तमान सांसद जनार्दन सिंह सिग्रीवाल की करें तो वे सांसद बनने से पहले पहले विधायक और बिहार के खेल मंत्री के रूप में भी काम कर चुके हैं. इस दौरान उनके कामकाज की सराहना हुई थी. 16वीं लोकसभा के सांसद के रूप में सिग्रीवाल ने 81 बहसों में हिस्सा लिया. विभिन्न मुद्दों पर 15 प्राइवेट मेंबर बिल लेकर वे सदन में आए. इस दौरान 343 सवाल उन्होंने सदन के पटल पर पूछे.



इस बार जब वो फिर से चुनावी मैदान में हैं तो तमाम बड़े नेताओं ने अपने प्रत्याशियों को विजयी बनाने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, बीजेपी  के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह, राजनाथ सिंह, पवन सिंह, मनोज तिवारी, सुशील मोदी आदि ने जनार्दन सिंह सीग्रीवाल के पक्ष में कई चुनावी सभाएं कर चुके हैं. 



जनार्दन सिंह सिग्रीवाल की मजबूती

जनार्दन सिंह सिग्रीवाल की छवि एक साफ राजनेता के तौर पर रही है.  पिछले लोकसभा चुनाव में वे प्रभुनाथ सिंह जैसे बाहुबली को मात दे चुके हैं. क्षेत्र में उनकी एक राजनीतिक पहचान है. बिहार सरकार के मंत्री के रूप में काम कर चुके हैं. इस बार जनता के बीच प्रधानमंत्री मोदी के कार्यों के साथ ही अपने द्वारा किए गए कार्यों को सामने ला रहे हैं. 



रंधीर सिंह की मजबूती

वहीं, महागठबंधन के प्रत्याशी रंधीर सिंह और उनके समर्थकों को भरोसा है कि माय यानी (मुस्लिम-यादव) समीकरण के साथ-साथ कोयरी, दलित, पिछड़ी जातियों और राजपूतों का वोट उनके पक्ष में जाएगा. हालांकि पिछड़ी जातियों का वोट बैंक महागठबंधन के साथ कितना जुड़ पाएगा यह दावा कर पाना मुश्किल है. रंधीर सिंह राजनीति में लंबे समय से सक्रिय रहे हैं. इस बार अपनी चुनावी सभा में अपने पिता की पहचान का लाभ लेने की कोशिश कर रहे हैं. 



जनता के हाथ में फैसला

बहरहाल, महाराजगंज सीट इस बार भी हॉट केक बन चुका है. एक तरफ रंधीर सिंह के लिए अपने पिता की राजनीतिक विरासत को फिर से स्थापित करने की जद्दोजहद है तो दूसरी तरफ जनार्दन सिंह सिग्रीवाल भी एक बार फिर से जीत हासिल करने की कोशिश में हैं. यह सीट को राजपूत बाहुल्य क्षेत्र माना जाता रहा है. सांसद जनार्दन सिंह और प्रभुनाथ सिंह के पुत्र रणधीर सिंह दोनों ही प्रत्याशी राजपूत बिरादरी से ही आते हैं. ऐसे में देखना बेहद दिलचस्प होगा कि जातिगत समीकरण को साधने के साथ ही जनता किसके सिर जीत का सेहरा बांधती है.


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