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छपरा नगर निगम पर दायर किया गया परिवाद, मेयर समेत विभाग पर लापरवाही के आरोप

छपरा व्यवहार न्यायालय में नगर निगम के खिलाफ परिवाद दायर किया गया है. बिहार लोक शिकायत अधिकार निवारण अधिनियम में भी शिकायत दर्ज करायी गयी है. इसकी जांच का जिम्मा नगर थाने के पुलिस पदाधिकारी और सदर प्रखंड के अंचलाधिकारी पंकज कुमार को मिला है.

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Published : Nov 23, 2019, 11:00 PM IST

सारण: वैसे तो प्रमंडलीय मुख्यालय स्थित पुराने शहर छपरा को विगत तीन वर्ष पूर्व नगर परिषद को अपग्रेड करते हुए नगर निगम का दर्जा दिया गया था. लेकिन आज तक न तो व्यवस्था बदली और न ही शहर का स्वरूप बदला है. जिस स्थिति में नगर परिषद हुआ करता था, आज भी उसके हाल बदत्तर हैं. जिले में नगर निगम की उदासीनता के कारण बीमारियां फैली हुई हैं. इसको लेकर व्यवहार न्यायालय में परिवाद दर्ज कराया गया है.

परिवाद में कहा गया है कि नगर निगम के अधिकारियों और कर्मचारियों के अलावा मेयर के अधीनस्थ कार्य करने वाले वार्ड पार्षदों की मिली भगत से शहर के नाली और गड्ढेनुमा स्थलों की उड़ाही या सफाई नहीं की जा रही है. इससे शहर के कई मुहल्लों की स्थिति नरकीय बनी हुई है.

जानकारी देते परिवादी

शायद यही कारण है कि नगर निगम क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को कई गंभीर बीमारियों का सामना करना पड़ रहा हैं. शहर के करिमचक मोहल्ला निवासी 35 वर्षीय नौशाद डेंगू जैसी भयानक बीमारी का शिकार हो गया है. जो पेशे से प्लम्बर का कार्य करने वाला युवक अपना और अपने परिवार का भरण पोषण करता है. वो डेंगू की वजह से विगत कई दिनों से बीमार पड़ा हुआ है. इस कारण उसके परिवार के सामने भुखमरी का संकट उत्पन्न हो गया है. नौशाद जैसे न जाने कितने परिवारों की हालत ऐसी होगी.

की जा रही खानापूर्ति- परिवादी
परिवाद सामाजिक संस्था न्याय फाइटिंग फॉर द पीपुल के महासचिव सुल्तान इदरीसी नौशाद ने दायर की है. उनके मुताबिक नगर निगम को किसी भी तरह की कोई चिंता नही है. अगर है भी तो बस कागजी खानापूर्ति पूरी की. सुल्तान इदरीसी नौशाद ने ईटीवी भारत से कहा कि शहर के कई वार्ड में जल जमाव की स्थिति होने से डेंगू, मलेरिया और टायफाइड जैसी कई भयानक बीमारियां फैल रही हैं. इस कारण कई लोग अस्पतालों के चक्कर लगा रहे हैं, तो कई की मौत हो गई है. बावजूद नगर निगम प्रशासन मौन है.

व्यवहार न्यायालय छपरा
व्यवहार न्यायालय छपरा

इसको लेकर छपरा व्यवहार न्यायालय में परिवाद दायर किया गया है. बिहार लोक शिकायत अधिकार निवारण अधिनियम में भी शिकायत दर्ज करायी गयी है. इसकी जांच का जिम्मा नगर थाने के पुलिस पदाधिकारी और सदर प्रखंड के अंचलाधिकारी पंकज कुमार को मिला है. अब देखना यह होगा कि प्रशासन द्वारा जांच रिपोर्ट कब तक न्यायालय और लोक शिकायत को सौंपी जाती हैं.

सारण: वैसे तो प्रमंडलीय मुख्यालय स्थित पुराने शहर छपरा को विगत तीन वर्ष पूर्व नगर परिषद को अपग्रेड करते हुए नगर निगम का दर्जा दिया गया था. लेकिन आज तक न तो व्यवस्था बदली और न ही शहर का स्वरूप बदला है. जिस स्थिति में नगर परिषद हुआ करता था, आज भी उसके हाल बदत्तर हैं. जिले में नगर निगम की उदासीनता के कारण बीमारियां फैली हुई हैं. इसको लेकर व्यवहार न्यायालय में परिवाद दर्ज कराया गया है.

परिवाद में कहा गया है कि नगर निगम के अधिकारियों और कर्मचारियों के अलावा मेयर के अधीनस्थ कार्य करने वाले वार्ड पार्षदों की मिली भगत से शहर के नाली और गड्ढेनुमा स्थलों की उड़ाही या सफाई नहीं की जा रही है. इससे शहर के कई मुहल्लों की स्थिति नरकीय बनी हुई है.

जानकारी देते परिवादी

शायद यही कारण है कि नगर निगम क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को कई गंभीर बीमारियों का सामना करना पड़ रहा हैं. शहर के करिमचक मोहल्ला निवासी 35 वर्षीय नौशाद डेंगू जैसी भयानक बीमारी का शिकार हो गया है. जो पेशे से प्लम्बर का कार्य करने वाला युवक अपना और अपने परिवार का भरण पोषण करता है. वो डेंगू की वजह से विगत कई दिनों से बीमार पड़ा हुआ है. इस कारण उसके परिवार के सामने भुखमरी का संकट उत्पन्न हो गया है. नौशाद जैसे न जाने कितने परिवारों की हालत ऐसी होगी.

की जा रही खानापूर्ति- परिवादी
परिवाद सामाजिक संस्था न्याय फाइटिंग फॉर द पीपुल के महासचिव सुल्तान इदरीसी नौशाद ने दायर की है. उनके मुताबिक नगर निगम को किसी भी तरह की कोई चिंता नही है. अगर है भी तो बस कागजी खानापूर्ति पूरी की. सुल्तान इदरीसी नौशाद ने ईटीवी भारत से कहा कि शहर के कई वार्ड में जल जमाव की स्थिति होने से डेंगू, मलेरिया और टायफाइड जैसी कई भयानक बीमारियां फैल रही हैं. इस कारण कई लोग अस्पतालों के चक्कर लगा रहे हैं, तो कई की मौत हो गई है. बावजूद नगर निगम प्रशासन मौन है.

व्यवहार न्यायालय छपरा
व्यवहार न्यायालय छपरा

इसको लेकर छपरा व्यवहार न्यायालय में परिवाद दायर किया गया है. बिहार लोक शिकायत अधिकार निवारण अधिनियम में भी शिकायत दर्ज करायी गयी है. इसकी जांच का जिम्मा नगर थाने के पुलिस पदाधिकारी और सदर प्रखंड के अंचलाधिकारी पंकज कुमार को मिला है. अब देखना यह होगा कि प्रशासन द्वारा जांच रिपोर्ट कब तक न्यायालय और लोक शिकायत को सौंपी जाती हैं.

Intro:डे प्लान वाली ख़बर हैं
SLUG:-COMPLAINT LETTERS HAVE BEEN FILED REGARDING CLEANNESS IN THE MUNICIPAL AREA
ETV BHARAT NEWS DESK
F.M:-DHARMENDRA KUMAR RASTOGI/ SARAN/BIHAR

Anchor:-वैसे तो प्रमंडलीय मुख्यालय स्थित पुराने शहर छपरा को विगत तीन वर्ष पूर्व नगर परिषद को अपग्रेड करते हुए नगर निगम का दर्जा दिया गया था लेकिन आज तक न तो व्यवस्था बदली और ना ही शहर का स्वरूप बदला है क्योंकि जिस स्थिति में नगर परिषद हुआ करता था उसी बदत्तर हालात में आज भी बरकरार है हालांकि एक बदलाव जरूर हुआ है वह है लूट खसोट का संसाधन.

नगर निगम के अधिकारी व कर्मचारियों के अलावे मेयर के अधीनस्थ कार्य करने वाले वार्ड पार्षदों के मिली भगत से शहर के नाली व गड्ढेनुमा स्थलो की उड़ाही या सफाई नही किया जा रहा हैं जिससे शहर के कई मुहल्लों की स्थिति नारकीय बनी हुई हैं शायद यही कारण हैं कि नगर निगम क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को कई गंभीर बीमारियों का सामना करना पड़ रहा हैं.


Body:शहर के करिमचक मोहल्ला निवासी 35 वर्षीय नौशाद डेंगू जैसी भयानक बीमारी का शिकार हो गया हैं जो पेशे से प्लम्बर का कार्य करने वाला युवक अपना व अपने परिवार का भरण पोषण करता है वह डेंगू के वजह से विगत कई दिनों से बीमार पड़ा हुआ है जिस कारण उसके परिवार के सामने भुखमरी की संकट उत्पन्न हो गई हैं.

नौशाद जैसे न जाने कितने ऐसे डेंगू के मरीज होंगे जिन्हें नगर निगम की लापरवाही के कारण भयानक बीमारियों से ग्रसित होकर भुखमरी के कगार पर आ गए होंगे लेकिन नगर निगम को किसी भी तरह की कोई चिंता नही है अगर है भी तो बस कागज़ी खानापूर्ति पूरी कर उसे पूरा करना में है.


Byte:-महमद नौशाद, डेंगू मरीज

Conclusion:वही इस तरह के मामलें को उजागर करने वाले व सामाजिक संस्था न्याय फाइटिंग फ़ॉर द पीपुल के महासचिव सुल्तान इदरीसी ने ईटीवी भारत से कहा कि शहर के कई वार्ड में जल जमाव की स्थिति होने से डेंगू व मलेरिया, टायफाइड जैसे कई भयानक बीमारियों की चपेट में आ गए हैं जिस कारण कई लोग अस्पतालों के चक्कर लगा रहे है तो कई लोग मौत को गले लगा चुके है बावजूद नगर निगम प्रशासन मौन है.

जिसको लेकर छपरा व्यवहार न्यायालय में परिवाद दायर किया गया हैं और बिहार लोक शिकायत अधिकार निवारण अधिनियम में भी शिकायत दर्ज कराया गया हैं जिसके जांच का जिम्मा नगर थाने के पुलिस पदाधिकारी व सदर प्रखंड के अंचलाधिकारी पंकज कुमार को मिली हुई हैं अब देखना यह होगा कि प्रशासन द्वारा जांच रिपोर्ट कब तक न्यायालय व लोक शिकायत को सौंपी जाती हैं.

Byte:-सुल्तान इदरीसी, महासचिव, न्याय फाइटिंग फॉर द पीपुल, सारण

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